संजय गुप्ता, INDORE. भूमाफिया चंपू उर्फ रितेश अजमेरा, नीलेश अजमेरा, हैप्पी धवन, चिराग शाह, महावीर जैन, निकुल कपासी के सिर पर फिर से जेल जाने की तलवार लटक गई है। हाईकोर्ट इंदौर बेंच ने तीन कॉलोनियों के पीड़ितों को लेकर चल रही सुनवाई में करीब ढाई घंटे तक चली बहस के दौरान यह कहा कि हमने मान लिया है कि इन लोगों की सैटलमेंट में कोई रुचि नहीं है। वहीं अब बुधवार, 19 अप्रैल के दिन जिला प्रशासन द्वारा लगाए गए जमानत कैंसिलेशन आवेदन पर हाईकोर्ट सुनवाई करेगा। यह विशेष कर कालिंदी गोल्ड कॉलोनी को लेकर बाणगंगा में दर्ज हुई 10 एफआईआर में सामने आए आरोपियों को लेकर होगी। एक बार फिर पीड़ित भी पहुंचे थे और उन्होंने कहा कि हमें झूठे वादे किए गए भूमाफिया की पत्नी ने पैर पड़े कि आप अनापत्ति दे दो तो मेरे पति बाहर आकर आपको राशि दे देंगे, लेकिन जमानत के बाद फिर कुछ नहीं किया। कुछ पीड़ितों के अधिवक्ता ने कहा कि हमें लगातार धमकियां मिल रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट से केस आने के बाद किसी का सैटलमेंट नहीं किया गया
हाईकोर्ट के विशेष आदेश पर सुनवाई के लिए उपस्थित हुए अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर ने कहा कि लगातार सभी को नोटिस भेजे जाने के बाद भी कोई आने को और पीड़ितों के निराकरण के लिए तैयार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट से केस हाईकोर्ट में आने के बाद किसी का भी इन्होंने सैटलमेंट नहीं किया है। यह लगातार झूठे शपथपत्र दे रहे हैं। इनके शपथपत्र के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में प्रशासन ने स्टेटस रिपोर्ट पेश की और इन्हें जमानत मिली, लेकिन इसके बाद यह अपने वादों से मुकर गए, इनकी किसी भी तरह से इसमें रुचि नहीं है।
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48 शपथपत्र दिए थे, 22 ने कहा हमसे झूठ बोला
शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि 48 पीड़ितों ने पहले कहा था कि हमारा निराकरण हो रहा है। इसी आधार पर स्टेटस रिपोर्ट में इनका निराकरण बताया गया, लेकिन बाद में 22 पीड़ितों ने कमेटी को आकर बताया कि उनके वादे झूठे निकले और हम उन सभी पर कार्रवाई चाहते हैं। कई लोगों के चेक बाउंस हो गए हैं, प्लॉट बुक कराने के बाद भी केवल मामूली ब्याज छह फीसदी देकर सेटलमेंट करना चाह रहे हैं। लोग चेक लेने के तैयार नहीं है, वह बाजार की दर से राशि चाहते हैं या फिर प्लाट चाहते हैं, भले ही वह किसी अन्य जगह पर दे दें।
नौकर ने खोली भूमाफियाओं की पोल
मामले में आरोपी निकुल कपासी के बयानों ने भूमाफिया चंपू, चिराग, हैप्पी की पोल खोलकर रख दी। उनके बयान कोर्ट में पेश किए गए जो उन्होंने डीआईजी को दिए थे, इसमें कहा गया है कि चंपू, चिराग, महावीर और उनके साथी कुख्यात भूमाफिया है, मैं बस नौकर आदमी हूं जो तनख्वाह पर रखा गया हूं, लेकिन हर जगह मुझे उलझा दिया गया है
प्रशासन ने फिर कहा पर्दे के पीछे दूसरे लोग
शासकीय अधिवक्ता की ओर से बताया गया कि इस पूरे जमीन घोटाले में पर्दे के पीछे चंपू, चिराग जैसे लोग रहे हैं। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि हवा में बात मत करो, ऑन रिकार्ड बताइए। इस पर अधिवक्ता ने बताया कि हमने गोल्ड सिटी के खाता जो एक्सिस बैंक लसूडिया में हैं, उसकी रिपोर्ट लगाई है, इसकी फारेंसिंक ऑडिट भी सीए से कराई है। कंपनी के खाते से चिराग के खाते में कई लेन-देन हुए हैं। इस तरह चंपू के खाते में भी लेन-देन हुए हैं। इसके अलावा निकुल कपासी से लेकर किसानों के बयान, पीड़ितों के बयान मौजूद है, जिसमें कहा गया है कि हर सौदे के दौरान यह लोग मौजूद रहते थे। किसानो ने कहा है कि चिराग को कालिंदी के लिए जमीन बेची थी लेकिन रजिस्ट्री किसे हुए यह नहीं पता। प्रशासन की ओर से यह भी बताया गया कि किसानों के अंगूठे के फर्जी हस्ताक्षर है, ऐसा फारेंसिक रिपोर्ट में भी सामने आ चुका है।
37 हजार वर्गफीट जमीन भी निकली विवादित
हैप्पी धवन की ओर से उनके अधिवक्ता ने कहा कि हमने प्रशासन को चेक दिए हैं और 37 हजार वर्गफीट जमीन भी अटलांटिस कॉलोनी में दे दी है, जिस पर पीड़ितों को प्लाट मिल जाएंगे। इस पर अपर कलेक्टर बेडेकर ने खुलासा किया कि इस जमीन को लेकर चिराग शाह ने आपत्ति ली है कि उन्हें हैप्पी ने पूरा पेमेंट नहीं किया है, चिराग और हैप्पी के बीच जमीन का विवाद उलझा है, ऐसे में किसी भी पीडित को वहां जमीन देने की स्थिति ही नहीं बन रही है।
इतने शातिर भूमाफिया डायरी पर एफआईआर तो रसीद देना शुरू
प्रशासन और पीड़ितों की ओर से बताया गया कि यह भूमाफिया इतने शातिर है कि इन्होंने डायरी पर सौदे किए, इसके लिए किसी को अधिकृत कर दिया वह राशि लेकर प्लॉट नंबर लिखकर साइन करके देता था। उन्हें लगता था कि इस पर एफआईआर नहीं होगी, लेकिन बाणगंगा थाने में हो गई। इसके बाद इन्होंने डायरी बंद कर रसीद देना शुरू कर दिया। इस पर भी बाद में शिकायतों पर एफआईआर हो गई।
पीड़ित क्या जाने कंपनी में किसकी हिस्सेदारी
भूमाफियाओं की ओर से लगातार यह तर्क रखे गए कि वह इन मामलों में इन्वाल्व नहीं है और हमारी कंपनी में हिस्सेदारी कम है, जो है वह सेटलमेंट कर रहे हैं। इस पर शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि पीड़ितों को क्या मालूम कि किसकी कितनी हिस्सेदारी है, वह तो जाता है और पैसे देकर प्लाट लेता है, लेकिन आरोपी इसका फायदा उठाते हैं और अब अपनी जिम्मेदारियों एक-दूसरे के पाले में डालकर पीडितों से लेकर प्रशासनिक कमेटी इन सभी को घुमा रहे हैं। यह मात्र समय पास कर रहे हैं, जिससे जमानत पर बाहर रह सकें।
कालिंदी में भी चंपू की अहम भूमिका
मुख्य सुनवाई कालिंदी गोल्ड को लेकर हुई थी जिसमें बताया गया कि 96 मामलों में पहले 48 का निराकरण बताया गया क्योंकि इन्होंने वादा किया कि सेटलमेंट कर रहे हैं लेकिन सच्चाई यह है कि नई सैटलमेंट रिपोर्ट के अनुसार केवल 27 का निराकरण किया गया है। इस मामले में आरोपियों के वकीलों ने कहा कि इस कॉलोनी में चंपू की कोई भूमिका नहीं है वह सेटेलाइट और फिनिक्स में हैं, लेकिन इस पर शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि इसकी तो सबसे अहम भूमिका है और गोल्ड सिटी खाते से चंपू के खातों में लेन-देन हुआ है।