संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर हाईकोर्ट बेंच ने भूमाफिया चंपू अजमेरा, नीलेश अजमेरा, महावीर जैन, चिराग शाह, निकुल कपासी और हैप्पी धवन के मामले में आखिरकार हाईकोर्ट के रिटायर जज आईएस श्रीवास्तव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन कर दिया है। इस कमेटी में अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर भी रहेंगे और साथ ही तीनों कॉलोनियों के संबंधित थाना एरिया के एएसपी भी जरूरत होने पर मौजूद रहेंगे। कमेटी के सामने सभी छह आरोपियों को चेयरमैन के बुलाने पर आना होगा। इसकी पहली सुनवाई नौ मई को दोपहर 12 बजे कांफ्रेंस हॉल हाईकोर्ट में होगी। वहीं 21 जून को हाईकोर्ट फिर सुनवाई करेगा, यानि तब तक कमेटी तीनों कॉलोनियों के मामले मे अपनी रिपोर्ट बनाकर पेश कर देगी। इसके बाद भूमाफियाओं का हश्र तय होगा।
तीनों कॉलोनियों के सभी पीड़ितों बात सुनेगी कमेटी
कमेटी कालिंदी गोल्ड के साथ ही फिनिक्स और सेटेलाइट तीनों ही कॉलोनियों के पीड़ितों के मामले को सुनेगी। कमेटी इसमें आगे पूरा रूट और प्रक्रिया तय करेगी और कमेटी की रिपोर्ट फिर हाईकोर्ट में पुटअप होगी। कमेटी देखेगी कि किस आरोपी ने किस कॉलोनी में किस तरह का सेटलमेंट किया है और इससे वास्तविक पीड़ितों को राहत मिली है कि नहीं। प्रिंसीपर रजिस्ट्रार द्वारा इस मामले में कमेटी को सपोर्ट किया जाएगा, रिटायर जज के बैठने आदि की व्यवस्था की जाएगी।
नीलेश पेश हो, अभी गिरफ्तारी नहीं करेगी पुलिस
हाईकोर्ट के सामने नीलेश अजमेरा बीती सुनवाई में पेश नहीं हुआ था और तब उनके अधिवक्ता ने कहा थी कि पुलिस कार्रवाई की आशंका है। इस पर हाईकोर्ट ने पीड़ितों के निराकरण के हिसाब से राहत दी है कि नीलेश पर अभी कोई एक्शन नहीं होगी, अगली तारीख तक गिरफ्तारी व अन्य कार्रवाई पर रोक लगाई गई है। चिराग शाह को भी राहत मिली है और उनके अधिवक्ता द्वारा दी गई जानकारी कि इतने केस सेटल हो गए हैं, इसे ऑन रिकार्ड लिया गया है, कोर्ट में शिकायतकर्ता गगन बाजड ने भी सेटलमेंट होने की जानकारी दे दी है।
अब सेटलमेंट के नाम पर झूठे शपथपत्र नहीं होंगे पेश
कमेटी सभी 255 पीड़ितों के एक-एक मेटर को देखेगी कि वास्तविकता में इनका सेटलमेंट हुआ है कि नहीं। भूमाफिया द्वारा जो भी सेटलमेंट के शपथपत्र पेश किए गए हैं वह सभी कमेटी के पास जाएंगे और कमेटी देखेगी कि यह शपथपत्र के अनुसार सेटलमेंट हुआ भी है कि नहीं। यदि भूमाफिया द्वारा किसी भी तरह की आनाकानी की गई तो फिर उनका मुशिकल में फंसना तय है। पीड़ितों का भी तय होगा कि उन्हें राशि के बदले प्लाट ही चाहिए या फिर प्लाट ही चाहिए। यदि प्लाट नहीं दे पा रहे हैं तो फिर इसके बदले में क्या राशि उन्हें दिया जाना उचित होगा।