संजय गुप्ता, INDORE. हाईकोर्ट इंदौर बैंच में नगर निगम की बुरी तरह से किरकिरी हुई है। लोक अदालत के दौरान संपत्ति कर में छूट देने को लेकर नगर निगम ने अपने बिल कलेक्टर के खिलाफ ही धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया था, लेकिन अब इस मामले में हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि लापरवाही या तकनीकी त्रुटि को ही आपराधिक मामला बना दिया गया है। वकील मनीष यादव और अदिति गर्ग के तर्कों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत को मंजूर कर लिया।
30 लाख से ज्यादा के घोटाले के लगाए थे आरोप
नगर निगम के राजस्व बेलदार रमेश जोशी ने एरोड्रम थाने में याचिकाकर्ता और 19 लोगों के खिलाफ दिसंबर 2022 में थाना महत्मा गांधी रोड पर केस दर्ज कराया था। इसमें नवंबर महीने में आयोजित लोक अदालत में संपत्ति कर घोटाले का आरोप लगाते हुए, 420,467,468,471,120-ब समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया था। आरोप लगाया की आरोपियों ने लोक अदालत में सरचार्ज में छूट देने के बजाय पूर्ण संपत्ति कर में नियम विरुद्ध छूट देकर निगम को लाखों का नुकसान पहुंचाया और लाखों का घोटाला किया।
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ना रसीद कटी और ना किसी को लाभ दिया गया
जमानत पर बहस के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट मनीष यादव, अदिति यादव ने तर्क रखे कि याचिकर्ता तीन सालों से बिल कलेक्टर के पद पर पदस्थ है लोक अदालत में याचिकर्ता ने कोई घोटाला या निजी लाभ नहीं लिया ना ही रसीद काटी गई। पूरा मामला तकनीक त्रुटि का है। पुलिस ने बिना जांच के शासकीय सेवक पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाए। इन तर्कों से सहमत होते हुए न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की कोर्ट ने उपरोक्त टिप्पणी करते हुए अग्रिम जमानत अर्जी स्वीकार कर ली और आदेश में लिखा कि याचिकर्ता ने किसी प्रकार का लाभ लिया हो ऐसा प्रतीत नहीं होता एक तकनीकी त्रुटि के मामले को आपराधिक रंग दिया गया है पूरा लापरवाही या तकनीकी त्रुटि का प्रतीत होता है याचिकाकर्ता अग्रिम जमानत की पात्र है।