इंदौर का ऐतिहासिक गांधी हाल लीज पर जाने के द सूत्र के खुलासे के बाद विरोध शुरू, कांग्रेस और आप ने जताया विरोध

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The Sootr
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इंदौर का ऐतिहासिक गांधी हाल लीज पर जाने के द सूत्र के खुलासे के बाद विरोध शुरू, कांग्रेस और आप ने जताया विरोध

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर की ऐतिहासिक इमारत गांधी हॉल लीज पर चला गया है। उज्जैन की एक कंपनी ने इसे करीब 50 लाख प्रति साल की राशि पर लीज पर ले लिया है। द सूत्र ने शनिवार को इसका खुलासा किया था। इस खुलासे के बाद शहर में नगर निगम, स्मार्ट सिटी के इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है। खासकर कांग्रेस और आप द्वारा इस फैसले का विरोध करते हुए टेंडर को रद्द करने की मांग उठी है। वहीं आमजनों, बुद्धीजीवियों की भी प्रतिक्रिया इसी तरह की है और सभी का कहना है कि क्या किराए पर चलाने के लिए 6.62 करोड़ की लागत से इसका रिनोवेशन हुआ था। ऐसे तो फिर छत्रियों सहित शहर की अन्य धरोहरों को भी किराए पर चढ़ा दो। इसके पहले रविंद्र नाट्य ग्रह भी रिनोवेशन के बाद निजी हाथों में चला गया और महंगी किराया दर के चलते आम लोगों के आयोजनों से दूर हो गया। हालांकि महापौर पुष्यमित्र भार्गव सफाई दे रहे हैं कि आयोजन व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होगा, इससे भवन का अच्छा रखरखाव हो सकेगा और किराया भी लगभग वही रहेगा जो अभी लगता है। वर्तमान में 11 हजार प्रतिदिन का किराया आयोजन के लिए लगता है। 



विरोध करने वालों का क्या है कहना



महाराष्ट्र साहित्य सभा के अश्विन खरे कहते हैं कि बेहतर होगा कि निगम ही इसे संभाले। रविंद्र नाट्य गृह निजी हाथों में जाने के बाद कितना महंगा हुआ सभी को पता है। इस तरह गांधी हाल भी आमजन, कलाकारों इन सभी के बूते से बाहर हो जाएगा। आर्किटेक्ट अतुल सेठ का कहना है कि कंपनी 50 लाख देकर पांच करोड़ कमाएगी, इसे पूरी तरह से व्यावसायिक स्थल बना दिया जाएगा। शहर के जिम्मेदारों को भी बताना चाहिए कि आखिर किन शर्तों पर यह धरोहर किराए पर दी जा रही है। मराठी सोशल ग्रुप के सुधीर दांडेकर ने कहा कि आखिर निगम निजी हाथों में देना ही क्यों चाहता है, मेंटनेंस की राशि कोई बहुत बड़ी नहीं है, यह तो निगम खुद भी कर सकता है। इस फैसले पर दोबारा विचार होना चाहिए। समाजसेवी किशोर कोडवानी ने भी कहा कि यह तो निगम की जिम्मेदारी है, इस तरह तो धरोहरें आम इंदौरी से दूर हो जाएंगी। आप के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. हेमंत जोशी ने कहा कि किराया भी निजी कंपनी अपने हिसाब से तय करेगी। निगम को इन धरोहरों के रखरखाव के लिए अलग से बजट रखना चाहिए, किराए पर देने की जरूरत ही नहीं है। 



स्मार्ट सिटी ने टेंडर किया था



स्मार्ट सिटी द्वारा कराए गए टेंडर के आधार पर यह कंपनी को ठेका दिया गया है। अब कंपनी द्वारा ही जगह को किसी आयोजन के लिए दिया जाएगा और वही किराया राशि भी तय करेगी, उसी की मंजूरी से यह आयोजन होंगे। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत छह करोड़ 62 लाख रुपए की राशि से गांधी हॉल का रिनोवेशन कर भव्य तरीके से तैयार कराया गया था। कंपनी के अधिकार में एक जून से यह हॉल आएगा। हॉल को लीज पर दिए जाने को लेकर जनप्रतिनिधियों का रिएक्शन तो आने वाले समय में सामने आएगा, क्योंकि इस भवन को लेकर खासकर पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन अधिक संवेदनशील रही है और इसी के चलते उन्होंने मेट्रो के रूट को लेकर भी आपत्ति ली थी। 



स्मार्ट सिटी सीईओ ने कहा मेंटनेंस के लिए जरूरी था यह कदम



स्मार्ट सिटी सीईओ दिव्यांक सिंह ने कहा कि गांधी हाल में जो इतनी बड़ी राशि लगाकर भव्य काम हुए हैं, उसे मेंटनेंस करने के लिए हर साल एक बड़ी राशि की जरूरत है, जो इस टेंडर के जरिए हो सकेगी। कंपनी हॉल का मेंटनेंस करेगी। आयोजन किस तरह के होंगे इसे लेकर सिंह ने कहा कि यहां केवल सांस्कृतिक, देशभक्ति वाले ही आयोजन हो सकेंगे, आयोजन के लेकर वही शर्त रहेगी जिनके तहत स्मार्ट सिटी द्वारा पहले यहां आयोजन होते थे। शासकीय आयोजनों के लिए छूट रहेगी।



किराया कंपनी ही तय करेगी, अभी 11 हजार लगता था



सिंह ने बताया कि कंपनी ही यहां आयोजन के लिए किराया राशि तय करेगी। अभी सामान्य तौर पर हमारे द्वारा आयोजन के लिए 11 हजार की राशि ली जाती थी। उम्मीद है कंपनी भी इसी के आसपास ही राशि रखेगी, क्योंकि अधिक राशि रखने पर फिर लोग आयोजन से दूर होंगे। लेकिन कंपनी के आने से मेंटनेंस का इश्यू खत्म होगा। 



साल 1904 में ढाई लाख में तैयार हुई थी इमारत



महात्मा गांधी टाउन हॉल इन्दौर की एक ऐतिहासिक इमारत है। यह इमारत ब्रिटिश काल की है और तब समय बताने का कार्य भी करती थी और इसे घंटाघर भी कहते थे। इमारत का निर्माण साल1904 में ढाई लाख रुपए में में किया गया था और तब इसका नाम किंग एडवर्ड हॉल रखा गया था। भवन का उदघाटन नवंबर 1905 में में प्रिंस ऑफ़ वेल्स (जार्ज पंचम) द्वारा भारत आगमन पर किया गया था।  साल 1947 में देश के स्वतंत्र होने के बाद इसका नाम गांधी हाल कर दिया गया। इस भवन का निर्माण अंग्रेज वास्तुकार स्टीवेंसन ने किया था। भवन के ऊपर राजपुताना शैली के घटक गुंबद और मीनारें हैं। इमारत सफेद सिवनी और पाटन के पत्थरों से इन्डो-गोथिक शैली में बनी है तथा आंतरिक सजावट प्लास्टर ऑफ पेरिस से की गयी है। इसके फर्श को काले और श्वेत संगमरमर से सुसज्जित किया गया है तथा इसमें बीच की मीनार आयताकार बनी है। इस मीनार के ऊपरी भाग में चारों ओर एक एक घड़ी लगी है। ये घडियां इतनी बडी हैं कि दूर से ही दिखाई देती हैं, और इसी कारण से इसे घंटाघर भी कहा जाता है।

 


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