संजय गुप्ता/ज्ञानेंद्र पटेल, INDORE. भूमाफिया दीपक मद्दा उर्फ दीपक जैन उर्फ दिलीप सिसोदिया के घोटाले को लेकर द सूत्र का बड़ा खुलासा कर रहा है। कल्पतरू गृह निर्माण सहकारी संस्था की 4.89 करोड़ की राशि निजी खाते में ट्रांसफर करने के आरोप में मद्दा पर एफआईआर हुई और गिरफ्तारी हुई है, लेकिन संस्था में यह केवल ऊपरी दिखाया हुआ घोटाला है, असल घोटाला है इसकी जमीन खरीदी-बिक्री का जो आज के बाजार मूल्य के हिसाब से 600 करोड़ से कम का नहीं है। इस मिलीभगत में मद्दा से जमीन डेली कॉलेज बोर्ड के पूर्व चेयरमैन नरेंद्र सिंह झाबुआ, उनके बेटे व बोर्ड मेंबर रह चुके जय सिंह झाबुआ, यशवंत क्लब के पूर्व सचिव संतोष वागले, एक अन्य पूर्व पदाधिकारी पंकज मंत्री, मद्दा की पत्नी समता जैन, भाई कमलेश जैन, सुरेंद्र संघवी, उनके बेटे प्रतीक संघवी, बिल्डर नितेश चुघ से लेकर शहर के कई बड़े रसूखदार शामिल है। किसी ने पांच रुपए तो किसी ने 10 रुपए प्रति वर्गफीट के हिसाब से संस्था से अविकसित खेती की जमीन खरीदी। कई की रजिस्ट्री तो मद्दा ने संस्था अध्यक्ष रहते हुए ही की है। यह जमीन आज के पॉश, क्रीम लोकेशन की खजराना, कनाडिया, बिचौली हप्सी, निपानिया जैसे एरिया में हैं।
पहले देखते हैं सहकारिता के तीन अहम नियम
- पूर्व सहकारिता उपायुक्त जगदीश कनौजे के अनुसार. संस्था में वही सदस्य बन सकता है, जिसके पास, भूमि, भवन, अचल संपत्ति नहीं हो, इसके लिए शपथपत्र देना होता है।
अब देखिए संस्था में आलीशन घर, कोठियों के मालिक, रसूखदार मेंबर
संस्था 1989 में बनी थी, इसमें 153 सदस्य है। अब देखिए इसके प्रमुख सदस्यों की सूची। दीपेश कुमार बोहरा, कमलेश जैन, रमेश प्रजापत, नरेंद्र सिंह झाबुआ, कमलेंद्र सिंह झाबुआ, जय सिंह झाबुआ, समता जैन, भूपेश (टीनू) जयंतीलाल संघवी, संतोष वाघले, सपना बेताला, प्रतीक सुरेंद्र संघवी, सुरेंद्र जयंती लाल संघवी, संदीप जैन आदि।
किसी ने पांच रुपए तो किसी ने 10 रुपए के भाव खरीदी जमीन
1996 से 2008 के बीच इस तरह संस्था की 30 एकड़ से ज्यादा जमीन मात्र 1.43 करोड़ रुपए में कौड़ियों के भाव बिक गई, अधिकांश जमीन 5 रुपए प्रति वर्गफीट के भाव बिकी जो आज पांच हजार से लेकर 15-20 हजार रुपए प्रति वर्गफीट तक है, यह जमीन खजराना, कनाडिया, बिचौली हप्सी, बिचौली मर्दाना, कनाडिया जैसे पॉश एरिया में हैं।
- जयसिंह झाबुआ- 51 हजार रुपए में खजराना की 303 सर्वे नंबर की 0.38 एकड़ जमीन अप्रैल 1996 में ली।
इन्हें जमीन खुद मद्दा ने रजिस्ट्री कराकर दी
इसके अलावा मद्दा जब 1997 से 1999 के दौरान संस्था का अध्यक्ष था, तब इस दौरान संस्था की निपानिया की जमीन के सर्वे नंबर 31/5/6/7/8 के अलग-अलग टुकड़े कर बिल्डर नितेश चुघ, राज जय सिंघानिया, कमल बाफना, चेतना जैन, अनिल गुजराती, कमलेश बागरेचा, अशोक मंगल, प्रकाश गुप्ता, कमलेश गोयल, अजय गोयल, सपता दिलीप सिसौदिया आदि को बेच डाली। इस रिपोर्ट को लेकर यह भी लिखा गया है कि संस्था में पति या पत्नी से कोई एक ही सदस्य रह सकता है, लेकिन दिलीप सिसौदिया और उनकी पत्नी समता दोनों ही सदस्य थे।
क्या कह रहे हैं जांच करने वाले अधिकारी?
पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर जांच कर रहे हैं, सहकारी संस्था का पैसा निजी खातों में लेने का मामला है। अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी जल्द होगी। वहीं, पूर्व सहकारिता संयुक्त आयुक्त जगदीश कनौजे ने कहा- खेती की भूमि बेची नहीं जा सकती, उसे विकसित करना जरूरी होता है। प्लॉट आवंटन तभी हो सकता है। संस्था के सदस्यों के पास पहले से संपत्ति है तो वह सदस्य नहीं बन सकता है, इसके लिए पहले ही शपथपत्र देना होता है, यदि सदस्य बना है तो जरूरी मिलीभगत है। वहीं, बिकी हुई जमीन वापस पाने का अधिकार संस्था को है, इसके लिए रजिस्ट्रेशन शून्य कराकर जमीन लेना चाहिए।
अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेडेकर के मुताबिक, कल्पतरू की जांच प्रशासन और सहकारिता ने की थी, इसमें अपने लोगों को जमीन बेचने की बात सामने आई थी, सीएम और कलेक्टर सर के स्पष्ट निर्देश है कि भूमाफिया को बख्शा नहीं जाना है, इसी के तहत एफआईआर हुई है। पुलिस की जांच में अभी काफी कुछ सामने सकता है, यह घोटाला 200-250 करोड़ का हो सकता है, क्योंकि सहकारिता ने किसी को भी जमीन बेचने की मंजूरी नहीं दी थी। पिट्ठू अध्यक्ष लोगों ने बनवा दिए और दिमाग से हरकतें कीं, जो जांच में पकड़ में आ गई, जमीन अब वापस संस्था में आना चाहिए।