संजय गुप्ता, INDORE. चुनावी साल में मप्र शासन द्वारा नगरीय निकायों की आमदनी बढ़ाने के लिए ट्रेड लाइसेंस शुल्क (व्यापार अनुज्ञप्ति शुल्क) दस गुना तक बढ़ाने के फैसले का विरोध शुरू हो गया है। इसी बीच इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने रविवार को विविध संगठनों के साथ बजट को लेकर चर्चा करने के दौरान साफ कर दिया कि यह टैक्स मप्र शासन द्वारा लागू किया गया है, इसे इंदौर निगम ने नहीं लगाया है और हम इसे इंदौर में लागू नहीं करेंगे। इंदौर में पुराना सिस्टम ही लागू रहेगा, पहले भी होर्डिंग्स टैक्स को लेकर आप सभी के बात रखी थी और निगम ने संवेदनशील होकर इसे नहीं वसूलने का फैसला लिया, इसी तरह इस व्यापार शुल्क टैक्स को भी लागू नहीं करेंगे। मालवा चेंबर ऑफ कॉमर्स के अजीत सिंह नारंग ने महापौर के सामने यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि महापौर ने टैक्स को लेकर स्पष्ट कर दिया है, इससे व्यापारी वर्ग को काफी राहत होगी, यह अनावश्यक टैक्स का बोझ होता।
सांसद ने भी लिखा सीएम को पत्र
नारांग ने बताया कि इस मुद्दे पर हम सांसद शंकर लालवानी से भी मिले थे, उन्होंने भी सीएम को इस संबंध में पत्र लिख दिया है। इसमें कहा गया है कि- नगरीय विकास एवं आवासीय विभाग ने नियमों में संशोधन कर व्यापारियों पर दुकान के क्षेत्रफल के हिसाब से कर लगाने के विषय में नोटिफिकेशन की जानकारी मिली है। इस से व्यापारियों में नाराजगी है क्योंकि उनपर अतिरिक्त भार आएगा। अतः आपसे अनुरोध है कि इस नए कर पर सहानुभूतिपूर्वक पुनर्विचार किया जाए एवं ये निर्णय वापिस लिया जाए। वहीं इस टैक्स के विरोध में अहिल्या चेंबर ने बुधवार को शाम चार बजे सभी व्यापारिक संगठनों की बैठक बुलाई हुई है, जिसमें इस टैक्स के विरोध के लिए रणनीति बनाने की बात कही गई है।
यह नोटिफिकेशन हुआ है जारी
शासन द्वारा शुक्रवार रात को जारी किए गए नोटिफिकेशन के अनुसार अब प्रति वर्गफीट और दुकान, संस्थान के सामने वाली रोड़ की चौड़ाई के आधार पर व्यापारी अनुज्ञप्ति शुल्क को नियत कर दिया है। अभी तक यह शुल्क आपके व्यापार पर निर्भर था, हर व्यापार की अलग-अलग कैटेगरी के आधार पर यह दस रुपए से लेकर 15-20 हजार रुपए तक होता था। जैसे कि विधवा महिला के कारोबार करने पर शुल्क दस रुपए मात्र था, लेकिन अब दुकान, संस्थान की माप और सामने की रोड़ चौडाई के आधार पर यह शुल्क लगेगा, जो अधिकतम 50 हजार रुपए तक होगा।
इस तरह होगा नया शुल्क
- यदि आपके संस्थान के सामने सड़क की चौड़ाई 7.5 मीटर तक है तो निगम में शुल्क चार रुपए प्रित वर्गफीट, नगर पालिका परिषद में तीन और नगर परिषद में दो रुपए प्रति वर्गफीट प्रति साल लगेगा।
व्यापार परिसर की स्थिति के आधार पर
यदि यह मोहल्ला, कॉलोनी में हैं तो निगम में चार रुपए, नगर पालिका परिषद में तीन रुपए और नगर परिषद में रुपए प्रति वर्गफीट प्रति साल लगेगा। छोटे मकान और मध्यम बाजार में यह क्रमशं पांच रुपए, चार रुपए और तीन रुपए प्रति वर्गफीट होगा। वहीं बड़े बाजारों में यह क्रमशं: छह, पांच और चार रुपए प्रति वर्गफीट होगा।
गुमटी, कच्ची दुकान के लिए यह रहेगा न्यूनतम दर
गुमटी व कच्ची दुकान के लिए यह निगम एरिया में 250 रुपए, नगर पालिका परिषद में 150 रुपए और नगर परिषद में टोटल 100 रुपए प्रति साल लगेगा।
वाहनों से होने वाले कारोबार पर टैक्स
अब मोटरयान छोटे ट्रक, पिकअप वाहन, जीप से कारोबार करने पर यह प्रति साल निगम में 400 रुपए, नगर पालिका परिषद में 300 रुपए और परिषद में 200 रुपए होगा। वहीं ऑटो रिक्शा या तिपहिया वाहन से कारोबार पर यह क्रमशं 250, 200 औऱ् 150 रुपए प्रति साल होगा।
अभी इस तरह बनी हुई है लिस्ट
निगम की वर्तमान लिस्ट के अनुसार इसमें 686 काम के हिसाब से ट्रेड लाइसेंस शुल्क की लिस्ट जारी हुई है। अधिकांश कारोबार पर 500 से एक हजार रुपए का ही अधिकतम शुल्क है। वहीं न्यूनतम इसमें पांच रुपए, दस रुपए से लेकर अधिकतम 15-20 हजार रुपए तक की दर कारोबार के हिसाब से तय है। कार शोरूम के लिए भी दस हजार रुपए है, प्ले स्कूल के लिए एक हजार रुपए, मैरिज गार्डन पर एरिया के हिसाब से दस हजार से लेकर 15 हजार रुपए अधिकतम है। कोचिंग सेंटर के लिए 4500 रुपए है, कोचिंग क्लास में टर्नओवर के हिसाब से एक हजार से लेकर 7500 रुपए प्रति वर्गफीट तक है। होटल के लिए अधिकतम पांच हजार तो भोजनालय के लिए 1500 रुपए अधिकतम है, दस कमरों से अधिक नर्सिंग होम के लिए यह तीन हजार रुपए है, किराना दुकान के लिए अधिकतम दो हजार रुपए, निजी स्कूल के लिए अधिकतम पांच हजार है। थिएटर के लिए भी अधिकतम पांच हजार है।
राज्य सरकरा ने जारी किया आदेश
आपको बता दें कि ट्रेड लाइसेंस के लिए जारी किए गए नोटिफिकेशन का राज्य सरकार ने स्थगित कर दिया है। इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। नई व्यवस्था को लेकर व्यापारियों में काफी रोष था, चुनावी साल में सरकार व्यापारियों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती थी इसलिए नई व्यवस्था को टाल दिया गया है।