इंदौर के श्री बेलेश्वर महादेव मंदिर के खंगाले जा रहे हैं पुराने दस्तावेज, कलेक्टर ने मंदिर संघर्ष समिति को बैठक में बताया

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Neha Thakur
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इंदौर के श्री बेलेश्वर महादेव मंदिर के खंगाले जा रहे हैं पुराने दस्तावेज, कलेक्टर ने मंदिर संघर्ष समिति को बैठक में बताया

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर के श्री बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर को एक बार फिर से बनाने की मांग उठने लगी है। मंदिर संघर्ष समिति सदस्यों ने इस मामले के संबंध में बुधवार 12 अप्रैल को कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी से मुलाकात की। इसमें मंदिर समिति से बात करते हुए कलेक्टर ने कहा- मंदिर फिर से वहीं बनाने के लिए पुराने दस्तावेज चाहिए, जिसमें मंदिर कितना प्राचीन है कि जानकारी शामिल होना चाहिए। कागजी आधार पर ही प्रशासन आगे की प्रक्रिया करेगा और जमीन चिन्हित कर मंदिर बनाने की प्रक्रिया को मंजूरी मिलेगी।



बावड़ी में दबे दस्तावेज



संघर्ष समिति के सदस्यों ने कलेक्टर को बताया कि- मंदिर काफी प्राचीन है, लेकिन कागज की बात करें तो एक अलमारी में कुछ दस्तावेज थे। जो मंदिर तोड़ने की कार्रवाई के दौरान बावड़ी में ही दब गए। कलेक्टर ने कहा- कि हम पुराने रिकार्ड दिखवा रहे हैं, आपके पास भी कुछ हो तो बताइएगा, मंदिर बनवाने में शासन, प्रशासन की जो मदद होगी वह करेगा। प्रारंभिक जानकारी जो निकाली गई है, इसमें मंदिर अभी 40-45 साल पुराना सामने आ रहा है।



फंड की भी उठी बात



समिति द्वारा मंदिर निर्माण के दौरान होने वाले खर्च को लेकर भी बात इस बैठक में उठी थी। समिति ने कहा कि पुराने मंदिर के पास बने नए मंदिर के लिए रहवासियों ने 55-60 लाख का फंड दिया था, लेकिन मंदिर तोड़ दिया गया। अब नए सिरे से करीब एक करोड़ का खर्च आएगा। इस पर कलेक्टर ने कहा पहले मंदिर का तय हो जाए, फिर रहवासियों और सभी की मदद से आगे इसके लिए देखेंगे।



मंदिर ट्रस्ट साल 2017 में बना है



मंदिर ट्रस्ट साल 2017 में बना है, मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों के पास उसी के गठन के कागज बस बचे हैं और उनके पास भी अभी कोई लिखित दस्तावेज मौजूद नहीं है। पुराने पत्रचार व अन्य फाइल अतिक्रमण तोड़ने में दब गए हैं। बैठक के दौरान मंदिर संघर्ष समिति के ललित पारानी लक्ष्मीकांत पटेल, राम सुगानी, किशोर परियानी, नरेंद्र पटेल, सुनील वाधवानी, हरीश भाटिया, मनीष रिजवानी, नरेश ज्ञानवानी के साथ धर्म रक्षा समिति के धीरज यादव व अन्य सदस्य मौजूद थे।



यह चला घटनाक्रम



रामनवमीं 30 मार्च को मंदिर की बावड़ी धंस गई, जिसमें 54 लोग बावड़ी में गिर गए, जिसमें से 36 लोगों की जान चली गई। मंदिर अतिक्रमण कर बना है, निगम ने 30 जनवरी को नोटिस भी दिया था, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। सीएम ने 31 मार्च को दौरा किया और कहा की सख्त कार्रवाई होगी। बाद में पुराने मंदिर और नए मंदिर को अतिक्रमण मानकर तोड़ दिया गया, लेकिन इससे नाराज रहवासियों ने मंदिर संघर्ष समिति बनाकर वहीं फिर से पूजा शुरू की और कलेक्टरेट तक पैदल मार्च निकालकर मंदिर फिर से बनाने की मांग की। 



सीएम ने मंदिर बनाने की घोषणा



मप्र सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जन आस्था की बात कहते हुए मंदिर फिर से बनाने की घोषणा कर दी। इसके बाद शासन, प्रशासन अतिक्रमण कार्रवाई को लेकर बैकफुट पर आ गया। रहवासी अब जल्द से जल्द मंदिर बनाने की कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। तकनीकी समस्या यह है कि मंदिर अब बगीचे की जमीन पर है, इसमें TNCP से और निगम से मंजूरी मिलने में तकनीकी पेंच दिख रहा है, हालांकि मंदिर प्राचीन साबित होने पर उतनी ही जगह पर मंदिर बनाने की प्रक्रिया औपचारिक तौर पर की जा सकती है। इसलिए यह पुराने रिकार्ड खंगाले जा रहे हैं।


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