गोरानी और शाह पर पुलिस की मेहरबानी- जमीन की धोखाधड़ी के मामलों में चंपू और चिराग जैसे आरोपियों पर 420 के साथ दूसरी धाराएं भी लगाई

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The Sootr
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गोरानी और शाह पर पुलिस की मेहरबानी- जमीन की धोखाधड़ी के मामलों में चंपू और चिराग जैसे आरोपियों पर 420 के साथ दूसरी धाराएं भी लगाई

संजय गुप्ता, INDORE. चंपू, चिराग, मद्दा यह सभी भूमाफियाओं ने पीडितों के साथ जमीन की धोखाधड़ी की, जिसमें पुलिस ने इन सभी पर आईपीएसी की धारा 420 के साथ ही 406, 409, 467 और 468 जैसी धाराओं भी में भी केस दर्ज किया। जमीन की धोखाधड़ी के अन्य कई केस में भी पुलिस यह धाराएं लगाती है, लेकिन इसी तरह का केस यशवंत क्लब सदस्य नरेंद्र गोरानी और मुंबई के बिल्डर रमेश शाह के खिलाफ होने पर भी उन पर अन्नपूर्णा पुलिस ने जमकर मेहरबानी की। इन दोनों आरोपियों पर एक तो केस चार माह बाद दर्ज किया और वह भी अनमने ढंग से। केवल धारा 420 लगाकार मामला जांच में ले लिया, जिसके नाम पर केस को आराम से सालों साल खींचा जा सकता है। थाना प्रभारी गोपाल परमार से जब द सूत्र ने इस बारे में बात की तो उन्होंने मामला अभी जांच में शुरू होने पर ही कह दिया कि धारा 406 का केस तो बनता ही नहीं है। जब हमने पूछा कि जांच के बाद धाराएं बढाएंगे क्या, तो कहा नहीं यह तो बनता ही नहीं है, अब बिना जांच के अभी ही कम से कम बाकी धाराओं में क्लीनचिट दे दी है।



इसलिए गोरानी, शाह पर बनती है बाकी की धाराएं, यह देखिए




  • 420 धारा- यह धोखाधड़ी के लिए होती है, जो पुलिस ने गोरानी और शाह पर लगाई है।


  • 406 धारा- यह धारा अमानत में ख्यानत के लिए होती है, यह केस से ही साफ है कि गोरानी और शाह दोनों ने ही 20 से ज्यादा पीडितों की अमानत में ख्यानत की है, ना उन पीड़ितों की साढे पांच करोड की राशि लौटा रहे हैं और ना ही उन्हें फ्लैट दे रहे हैं। जबकि बकायदा एग्रीमेंट हुआ है।

  • 409 धारा- एजेंटी के माध्यम से यहा बायर-सेलर के बीच एग्रीमेंट को लेकर धोखाधड़ी, इसमें भी पीडितों के साथ ग्रुप का एग्रीमेंट हुआ, जिसमें गोरानी और शाह दोनों के हस्ताक्षर है, फिर यह भी धारा लगती है। 

  • 467 व  468  धारा- फर्जी दस्तावेज बनाना और उसका उपयोग करना।  



  • पीडितों का साफ कहना है कि हमारे साथ फ्लैट की बुकिंग टावर वन में की गई, लेकिन हमे बाद में पीछे के टॉवर में फ्लैट देने का बोला गया। यानि पीडितों के साथ एग्रीमेंट फर्जी था। दूसरा पीडितों के नाम बुक किए गए फ्लैट अन्य किसी को बेचे गए। अन्य बात बाद में मल्टी और प्रोजेक्ट का नाम सुमेर सेफ्रान होम्स से बदलकर डी आर्नेट कर दिया गया, जिसकी सूचना फ्लैट बुकिंग धारकों को दी ही नहीं गई, ऐसे में रेरा में जो मंजूरी ली गई है, वह पीड़ितों को बिना बताए ली गई, उनकी बुकिंग वाली मल्टी का स्वरूप ही बदल दिया गया, इसके लिए उनसे एनओसी नहीं ली और ना उन्हें किसी तरह की सूचना दी। पीड़ितों का साफ कहना है कि फिर यह फर्जी दस्तावेज बनाकर रेरा से भी मंजूरी लेने का मामला बनता है। हमसे गोरानी और शाह ने कभी भी किसी तरह का पत्राचार कर इसकी सूचना नहीं दी कि आपका प्रोजेक्ट बदला जा रहा है, जबकि हमारी बुकिंग है तो यह हमारा अधिकार बनता है। 



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    धारा 420 में सात साल तक की सजा है, लेकिन जब धारा 409, 467, 468 लगती है तो यह आरोपियों के लिए घातक हो जाती है। इनमें केस साबित होने पर कोर्ट द्वारा इसमें दस साल और आजीवन तक की सजाएं दी जा सकती है,अर्थदंड के भी प्रावधान है। ऐसे में पुलिस ने केस तो दर्ज कर लिया लेकिन धाराओं में ऐसा खेल कर दिया कि आरोपी परेशान भी नहीं हो।



    रेरा में भी हुई गोरानी, शाह की शिकायत



    वहीं इस मामले में अब पीड़ितों ने गोरानी और शाह को लेकर रेरा में भी शिकायत कर दी है। खासकर रेरा में दर्ज प्रोजेक्ट जो उन्हीं के पुराने प्रोजेक्ट सुमेर सेफ्रान होम्स की जगह बनाया गया है, इसे लेकर शिकायत की गई है।



     केस दर्ज करने में ही लगा दिए सात साल



    पुलिस ने इस मामले में गोरानी, शाह पर केस दर्ज करने में एक-दो महीना या साल नहीं बल्कि पूरे सात साल की देरी की है। पीड़ितों ने इनके खिलाफ धोखाधड़ी करने की पहली शिकायत साल 2016 में की थी। लेकिन पुलिस टालते रही। इसी दौरान आर्बिट्रेशन का फैसला आ गया, जिसमें गोरानी और शाह को शर्तों का परिपालन करने के लिए कहा गया, लेकिन नहीं हुआ। गोरानी कोर्ट भी गए कि यह कहते हुए कि मेरी जवाबदारी नहीं, पुलिस कार्रवाई मुझ पर नहीं हो, लेकिन कोर्ट से राहत नहीं मिली। अक्टूबर 2022 में पीडितों ने फिर पुलिस को शिकायत की, जब केस दर्ज नहीं हुआ तो सीएम हेल्पलाइन भी गए, जगह-जगह शिकायत की, आखिर में 25 फरवरी 2023 में जाकर पुलिस ने अनमने ढंग से गोरानी और शाह पर 420 की धारा में केस दर्ज कर लिया।

     


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