संजय गुप्ता, INDORE. 10 साल बाद इंदौर में हो रहे गुरुसिंघ सभा के चुनाव को लेकर विवाद पूरे समाज की नजरें 3 लोगों पर टिकी है। इसमें वर्तमान गुरुसिंघ सभा के प्रधान रिंकू भाटिया के साथ खालसा पैनल से जुड़े बॉबी छाबड़ा और मप्र-छग गुरुसिंघ सभा के प्रमुख मोनू भाटिया शामिल है। कोई भी फिलहाल पत्ते खोलने के मूड़ में नहीं है कि कौन किसके साथ जाएगा और किसे साथ में लेकर चुनाव लड़ेगा। शनिवार 13 मई को मोनू भाटिया ने जरूर कोशिश की थी कि वह बॉबी के साथ अपना गठबंधन घोषित कर सके और इसकी घोषणा भी कर दी थी। लेकिन 1 घंटे बाद ही बॉबी गुट ने इस गठबंधन को ही षडयंत्र करार दे दिया। इस गठबंधन में मोनू को अध्यक्ष पद का और सुरजीत सिंह टूटेजा को सचिव पद का उम्मीदवार घोषित किया गया था। लेकिन, बॉबी गुट से जिस तरह से तीखी प्रतिक्रिया आई, उससे इन दोनों के बीच सब-कुछ सही होने को लेकर संशय पैदा हो गया है। सूत्रों का कहना है कि मोनू भाटिया को बेनकाब करने के लिए और हरप्रीत सिंह मोर्चा खोलेंगे।
13 मई को पहले सुबह यह घटनाक्रम हुआ- नाम घोषित हुए
शनिवार 13 मई को प्रताप नगर गुरुघर में मप्र-छग गुरुसिंघ सभा के अध्यक्ष मोनू भाटिया के दिवंगत पिता की याद में हो रहे कार्यक्रम के दौरान प्रीतपाल द्वारा घोषणा की गई कि खालसा पैनल की ओर से मोनू भाटिया अध्यक्ष पद के लिए और सचिव पद के लिए उम्मीदवार सुरजीत सिंह टूटेजा होंगे। खालसा पैनल बॉबी छाबड़ा की है। बॉबी के मौन साधने से यही संदेश गया कि बॉबी और मोनू के बीच करार हो गया है और दोनों मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, जिसमें बॉबी पर्दे के पीछे रहेंगे। इसमें बताया गया कि बॉबी छाबड़ा हमारे साथ है और हमारे उम्मीदवार तय हो गए हैं। इसके वीडियो भी सोशल मीडिया पर जारी कर दिए गए।
1 घंटे बाद ही इसे षडयंत्र बताया गया
प्रताप नगर गुरुद्वारे में प्रितपाल (बंटी) सिंह भाटिया ने घोषणा कर दी कि खालसा पैनल की ओर से मप्र-छग गुरुसिंघ सभा के अध्यक्ष मोनू (हरपाल सिंह) भाटिया अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ेंगे और सचिव पद के लिए सुरजीत सिंह टूटेजा उम्मीदवार होंगे। खबर सामने आने के 1 घंटे बाद ही चरणजीत सिंह खनूजा ने ट्वीट कर कहा- यह भ्रामक प्रचार हो रहा है। खालसा पैनल द्वारा चुनाव के संबंध में उम्मीदवारों की कोई घोषणा नहीं हुई है, प्रीतपाल सिंह भाटिया द्वारा जो बोला गया है वह जानकारी के अभाव में त्रुटिवश कूटनीति के तहत उनसे सुरजीत सिंह टूटेजा द्वारा गुरुघर में झूठ बुलवाया गया है। खालसा पैनल द्वारा अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। सच्चाई यह है कि प्रीतपाल सिंह भाटिया स्वंय पैनल की तरह से संभावित उम्मीदवार है। जब गुरुघर में प्रीतपाल बोल रहे थे तब उनके बगल में सुरजीत सिंह पास में ही खड़े थे और वह उनके कान में बोल रहे थे, वहीं, घोषणा उन्होंने कर दी। इस घटनाक्रम के बाद सभी पैनलों ने चुप्पी साध ली है और कोई भी आपस में सभी बातें तय होने के पहले कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है।
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बीते चुनाव में रिंकू की पैनल बहुमत से आई थी
उधर वर्तमान अध्यक्ष रिंकू सिंह भाटिया ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं कि वह खुद लड़ रहे हैं या फिर किसी और को मैदान में उतारेंगे। रिंकू की खड़ा पैनल बीते चुनाव में बहुमत से आई थी। इसमें रिंकू अध्यक्ष और जसबीर सिंह गांधी सचिव चुने गए थे। सभा के चुनाव के लिए 17 पद कार्यकारिणी सदस्य के और 1-1 पद अध्यक्ष और सचिव के होते हैं। यानी कुल 19 पदों के लिए चुनाव होंगे। चुनाव की तारीख अकाल तख्त ने 13 अगस्त घोषित की हुई है।
सदस्यता का फार्म जारी हो चुका है
सदस्यता का नया फार्म जारी कर दिया है। यह फार्म केवल गुरुसिंघ सभा चुनाव के लिए है और खालसा एजुकेशन सोसाइटी के चुनाव नहीं होंगे। हालांकि, अकाल तख्त के आए पत्र में यह जरूर कहा गया है कि अगली बार से दोनों के चुनाव साथ ही होंगे। वहीं, इन चुनाव को लेकर मीडिया से किसी भी तरह की चर्चा करने पर रोक लगा दी गई है। हालांकि, रियायत दी है कि अकाल तख्त को बताकर कोई न्यूज जारी की जा सकती है।
अकाल तख्त सदस्य परमपाल सिंह ने यह दिया पत्र-
- 25 अप्रैल को गुरुद्वारा साहिब में बैठक में सभी ने मिलकर फैसला लिया।