संजय गुप्ता, INDORE. शहर के श्री बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर की बावड़ी में रामनवमी (30 मार्च) को हुए हादसे में 36 लोगों की मौत के बाद मंदिर के अवैध निर्माण को तोड़ दिया गया है और बावड़ी को भी पूरी तरह से भर दिया है। अब इसे लेकर कुछ रहवासियों ने श्री बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर संघर्ष समिति का गठन कर फिर से मंदिर बनाने की मांग की है। समिति के सदस्यों ने हनुमान जयंती के अवसर पर यहां बैठकर पूजा की और फैसला लिया कि शुक्रवार (7 अप्रैल) को सुबह पैदल मार्च करेंगे और कलेक्टर कार्यालय जाकर मंदिर तोड़ने की कार्रवाई का विरोध करेंगे।
सभी को भेजे गए संदेश में संघर्ष समिति ने ये कहा-
श्री बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर (पटेल नगर) को इंदौर प्रशासन द्वारा तोड़ने के विरोध में कल 7 अप्रैल को शुक्रवार सुबह 10 बजे सिंधी कॉलोनी चौराहा से एकत्रित होकर सबको कलेक्टर कार्यालय तक पैदल चलना है और अपना विरोध दर्ज कराना है और कलेक्टर महोदय को ज्ञापन देने चलना है। कल ( 7 अप्रैल) आधा दिन सिंधी कॉलोनी मार्केट बंद रहेगा। हम सब साथियों को साथ में चलकर इस मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए अपना विरोध दर्ज करवाना आवश्यक है। इसलिए सभी साथियों से निवेदन है कृपया अपना व्यापार व्यवसाय बंद कर मंदिर पुनःनिर्माण के लिए साथ आए और कलेक्टर महोदय अपना को विरोध दर्ज कराए।
इधर पार्षद कार्यालय को निगम ने बख्श दिया
वहीं नगर निगम की कार्रवाई में फिर पक्षपात के आरोप लग रहे हैं। मंदिर के बगल में ही बगीचे की जमीन पर बीजेपी का कार्यालय बना हुआ है, जो मूल रूप से अमृत गोल्ड योजना में सर्वेंट क्वार्टर के नाम पर बना था। लेकिन बाद में क्षेत्रीय पार्षद मृदुल अग्रवाल ने इसे बीजेपी और खुद का दफ्तर बना लिया। जिस दिन घटना हुई, तब भी वहां पर बीजेपी पार्षद कार्यालय के बोर्ड और बीजेपी के पोस्टर आदि लगे हुए थे। लेकिन मंदिर को तोड़ने वाले दिन इस कार्यालय को बख्श दिया गया। हालांकि बीजेपी के पोस्टर हट गए हैं और सर्वेंट क्वार्टर की तख्ती लगा दी गई है।
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कुएं, बावड़ियों को तोड़ने का विरोध शुरू
शहर में हर तरफ कुएं, बावड़ियों को तोड़ने को लेकर विरोध शुरू हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इनके अतिक्रमण हटाकर पेयजल का स्त्रोत बनाना चाहिए, ना कि इन्हें भर दिया जाना चाहिए। पूर्व सिटी इंजीनियर अतुल सेठ कहते हैं कि यह प्राकृतिक संसाधनों के प्रति अत्याचार है। अतिक्रमण हटाने की जगह हम बेवजह उन्हें भरने का काम कर रहे हैं। नहीं तो आने वाले समय में जलसंकट आएगा, इसका असर भूमिगत जल के नीचे जाने के रूप में दिखेगा। कायदे से फेंसिंग, चैन आदि लगाकर इन्हें अतिक्रमण से बचाया जाना चाहिए।
हिंदू संगठनों का भी विरोध
मंदिर तोड़े जाने के बाद हिंदू संगठन भी मैदान में आ गए हैं और उन्होंने मस्जिद, दरगाह आदि के भी अतिक्रमण की फोटो जारी कर इन्हें भी हटाने की मांग की है। इसे लेकर दो दिन पहले ही मधुमिलन चौराहे पर संगठन के सदस्य धरना-प्रदर्शन कर चुके हैं।