संजय गुप्ता/ज्ञानेंद्र पटेल, INDORE. भूमाफिया दीपक मद्दा द्वारा कल्पतरू गृह निर्माण सहकारी संस्था में की 4.89 करोड़ की ठगी में हुई गिरफ्तारी के बाद कोर्ट से मिली पुलिस रिमांड खत्म हो गई है। मद्दा एक बार फिर जेल की चार दीवारी के पीछे पहुंच गया है। कोर्ट ने आगे पुलिस रिमांड नहीं देते हुए उसे न्यायिक हिरासत यानी जेल में भेजने के आदेश दिए। मद्दा 28 मार्च को ही जेल से बाहर आया था। इसके बाद उसे तीन अप्रैल (सोमवार) को कल्पतरू सोसायटी के घोटाले मे एफआईआर कर गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद वह चार दिन तक पुलिस रिमांड में था।
एक हजार स्टाम्प पेपर पर बनवा रखा है डेवलपमेंट करार
सूत्रों के अनुसार मद्दा ने संस्था से अपने निजी खाते में ली गई 4.89 करोड़ की रकम को लेकर पहले से ही बैकअप प्लान बना रहा है। इसके लिए उसने सालों पहले ही संस्था के साथ उसके डेवलपमेंट के लिए एक हजार के स्टाम्प पेपर पर करार किया हुआ है। जानकारी के अनुसार पुलिस को भी उसने बयान में यही कहा है कि कोई गलत राशि नहीं ली है। मैंने यह डेवलपमेंट के लिए राशि ली है। इसे मैं कोर्ट में पेश करूंगा।
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लेकिन यह करार रजिरस्टर्ड नहीं है, कोई डेवलपमेंट भी नहीं हुआ
लेकिन द सूत्र को मिली जानकारी के अनुसार इस बैकअप प्लान को पुलिस और प्रशासन आसानी से काउंटर कर सकती है। इसके दो अहम आधार है- पहला यह कि यह करार रजिस्टर्ड नहीं है। सहकारी संस्था के साथ किसी भी करार के रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। बिना रजिस्टर्ड करार के नियमों के अनुसार कोई मायने नहीं है। वहीं दूसरा आधार है कि मौके पर कोई डेवलपमेंट ही नहीं हुआ है, तो फिर राशि लेकर मद्दा ने किया क्या है? यानी यह पूरी तरह से मिलीजुली धोखाधड़ी है।
मद्दा पर आठ एफआईआर है, रासुका से बच निकला था
मद्दा पर फरवरी 2021 में हुए भूमाफिया अभियान के दौरान छह एफआईआर दर्ज हुई थी। इसी दौरान रासुका भी लगाई गई, लेकिन वह फरार हो गया और गिरफ्तारी नहीं हुई। फिर गृह विभाग के फर्जी रासुका निरस्ती के पत्र पेश करने के चलते दिसंबर 2022 में उस पर सातवीं एफआईआर हुई। एक मार्च 2023 को वह रासुका मामले में मथुरा-वृंदावन में गिरफ्तार हुआ, लेकिन एनएसए एडवायजरी बोर्ड ने रासुका रद्द कर दी। इसके बाद वह केवल 27 दिन मे ही जेल से बाहर आ गया था। जेल से बाहर आते ही खजराना पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए पकड़ा था, लेकिन इसके बाद छोड़ दिया था। फिर कल्पतरू मामले में तीन अप्रैल को गिरफ्तार किया गया।
मद्दा ने इस तरह से किया है पूरा खेल
मद्दा ने संस्था में गजब का खेल किया है। संस्था ने जो जमीन बेची, उसकी राशि संस्था के इंदूर परस्पर सहकारी बैंक मनोरमा गंज के खाते में आया, लेकिन खाते में रुपए आते ही उसे दो दिन से लेकर 10 दिन के भीतर ही अपने दो निजी बैंक खातों में देना बैंक साउथ तुकोगंज और देना बैंक जेलरोड में शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन यह राशि पूरी शिफ्ट नहीं हुई। मद्दा ने इस राशि का 99 फीसदी हिस्सा अपने खातों में शिफ्ट कराया तो वहीं एक फीसदी संस्था के पास ही छोड़ दिया। बतौर कमीशन के, जो संस्था के पदाधिकारियों के काम आए। मद्दा ने यह काम संस्था का अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद किया।
देखिए इस तरह काटा गया एक फीसदी कमीशन
- 23 नवंबर 2018 में भोले नाम के व्यक्ति से संस्था के खाते में 40 लाख गए, इसमें से 26 नवंबर को मद्दा के खाते में 39.60 लाख रुपए शिफ्ट हो गए, यानि एक फीसदी ( 40 हजार) काटकर।
इन्होंने संस्था को राशि दी, वहां से मद्दा के खाते में गए 48927472 रुपए
संस्था का खाता इंदूर परस्पर सहकारी बैकं मनोरमा गंज में हैं, संस्था के खाते में 9 नवंबर 2018 में दीपक संधू से करीब 1.35 करोड़ राशि दीपक संधू से आई। इसमें से 20 नवंबर को ही दिलीप सिसोदिया यानी मद्दा के देना बैंक साउथ तुकोगंज के खाते में 1.13 करोड़ रुपए और 22 नंवबर को 24.75 लाख राशि उसके देना बैंक के जेलरोड शाखा में शिफ्ट हुए।
- संस्थाओं के खाते में 23 नवंबर 2018 को भोले पिता जुगल किशोर से 40 लाख जमा हुए। इसमें से 26 नवंबर को ही मद्दा के खाते में 39.60 लाख शिफ्ट हुए।
जयहिंद गृह निर्माण संस्था के तो पूरे पैसे खा गया मद्दा
- जयहिंद गृह निर्माण संस्था द्वारा कल्पतरु संस्था के खाते में 2019 से 2020 के दौरान अलग-अलग समय पर कुल 1.76 करोड़ रुपए डाले गए। यह सभी राशि संस्था के खाते में आने के कुछ दिनों बाद ही इसी अवधि में 1.32 करोड़ मद्दा के देना बैंक के जेलरोड खाते में और 44 लाख उसके साउथ तुकोगंज वाले खाते में शिफ्ट हो गए।