संजय गुप्ता, INDORE. श्री बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर की बावड़ी कांड में हुई 36 मौतों की जांच के लिए कलेक्टर डॉ. इलैया राजाटी ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश कर दिए हैं, लेकिन जिस बात को लेकर आमजन और पंड़ितों में सबसे ज्यादा गुस्सा है, वह जांच का बिंदु गायब है? ना इसमें कहीं पर यह है कि रेस्क्यू में देरी क्यों और किस कारण से हुई और ना ही यह बिंदु है कि आखिर अतिक्रमण पर कार्रवाई किस नेता के कहने पर रोकी गई और किस नेता और अधिकारी की जिम्मेदारी है। यह जांच इंदौर में पूर्व में अलग-अलग हादसों में हुई मजिस्ट्रियल जांच की तरह ही महज खानापूर्ति और टाइमपास ही माना जा रहा है, जिससे लोगों का गुस्सा कम हो जाए और बाद में मामले को ढुलमुल कर दिया जाए।
ये हैं जांच के बिंदु
- मजिस्ट्रियल जांच के बिंदुओं में हैं कि- मृत्यु किन परिस्थितियों में हुई, घटनाक्रम क्या था, इसके लिए कौन जिम्मेदार है, भविष्य में ऐसी घटना ना हो इसके लिए सुझाव, अन्य बिंदु। जांच 15 दिन में पूरी करना है।
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क्यों उठ रही है यह बात
- आमजन और पीड़ितों का सीधा आरोप है कि बावड़ी पर कब्जे की शिकायत की निगम ने नोटिस जारी किए, लेकिन रसूखदार नेताओं ने कार्रवाई रूकवा दी।
पुरानी मजिस्ट्रियल जांच का हाल देख लीजिए
इंदौर में इसके पहले भी कई हादसे हुए जिसकी मजिस्ट्रियल जांच हुई, हाल ही में महू गोलीकांड की जांच के आदेश हुए हैं, जिसकी जांच अभी चल रही है। साल अप्रैल 2017 में रानीपुरा पटाखा कांड में आठ लोगों की मौत हुई जिसकी जांच हुई, तहसीलदार, टीआई की लापरवाही मानी, लेकिन कुछ नहीं हुआ, इधर से उधर अधिकारियों को करके मामला खत्म कर दिया गया। जनवरी 2018 में डीपीएस बस हादसा हुआ, इसमें मासूमों की जांच गई, जांच हुई जिसमें स्कूल प्रबंधन से लेकर परिवहन विभाग तक की जिम्मेदारी मानी गई। लेकिन वही ढांक के पांत, मामला आया-गया हो गया। पीड़ित आज भी बेबस है और हाईकोर्ट में केस चल रहा है।
डीपीएस हादसे के बाद पहली बार दिखा शहर में इतना गुस्सा
पांच जनवरी 2018 को हुए डीपीएस बस हादसे में पांच की मौत हो गई थी। बायपास पर हुए बस हादसे के बाद पूरे शहर में लोगों का गुस्सा खुलकर बाहर आया था। सीएम शिवराज सिंह चौहान उस समय भी जब पीड़ितों से मिलने पहुंचे थे, तब परिजनों ने खरी-खरी सुनाई थी। आज भी वह हादसा लोगों के जेहन में बसा हुआ है। पांच साल बाद फिर ऐसा हादसा हुआ जिसने पूरे शहर को हिला दिया है। लोगों ने दुकान, दफ्तर बंद रखे तो पूरे शहर में जगह-जगह लोग श्रृंद्धाजलि सभा कर रहे हैं। बावड़ी हादसे की आंच कई नेता से लेकर अधिकारी तक महसूस कर रहे हैं और सभी अब खुद के बचाव में ज्यादा लगे हुए हैं।