संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर के साथ ही पूरे मप्र की इंडस्ट्री, मॉल और कमर्शियल प्लेस संचालक, जिनके यहां बोरिंग है, वह सभी मुश्किल में आ गए हैं। इन सभी को एक अक्टूबर 2022 की तारीख से सेंट्रल ग्राउंट वाटर बोर्ड ( CGWB) की एनओसी लेना जरूरी है, साथ ही इन्हें इलेक्ट्रिक किट वॉटर फ्लो भी लगवाना है। इससे पता चल सके कि यह सालभर में कितना ग्राउंड वाटर (भूमिगत जल) का उपयोग कर रहे हैं और इसके बदले कितना वाटर रिचार्ज कर रहे हैं। साथ ही उन्हें 170 रुपए प्रति दिन के हिसाब से शुल्क भी देय होगा। यह शुल्क एक अक्टूबर से ही देय होगा यानी जब भी एनओसी के लिए आवेदन करेंगे तो शुल्क एक अक्टूबर से ही लगेगा। इंदौर में इसके लिए नेक्टर वाटर मैनेजमेंट सर्विस नाम की कंपनी सभी को ईमेल कर रही है, लेकिन इसके अधिक शुल्क से सभी उद्योगपतियों, संचालकों, बिल्डरों के होश उड़ने लगे हैं।
बिना एनओसी के तो पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ऑपरेट की मंजूरी नहीं देंगे
सेंट्रल बोर्ड से एनओसी नहीं मिलने पर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड भी कंसेट टू ऑपरेट नहीं देगा, यानि इंडस्ट्री की पुरानी एनओसी जैसे ही रिन्यूअल के लिए आएगी, उसे सेंट्रल बोर्ड वाली एनओसी लगाना ही होगी। इसके लिए उसे अपनी पूरी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बोर्ड में लगाना होगी, जिसमें होगा कि वह कितना वाटर यूज कर रही है, कितना रिचार्ज कर रही है और प्रतिदिन के हिसाब से 170 रुपए की दर से शुल्क देय होगा।
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नेक्टर कंपनी की दरें बहुत ज्यादा, कंपनी भी इकलौती
नेक्टर कंपनी जो यह सुविधा इंदौर में उपलब्ध करा रही है, इसके साथ भोपाल की अमय इन्वायरमेंटल कंसलटेंसीज भी जुड़ी हुई है, लेकिन इसके दाम काफी ज्यादा होने से लोग परेशान हो रहे हैं। इलेक्ट्रिक फ्लो मीटर ही 50 हजार से ज्यादा कीमत का आ रहा है, वहीं प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने के लिए कंपनी वर्कप्लेस के हिसाब से 25-30 हजार से लेकर दो लाख रुपए और ज्यादा तक ले रहे हैं। इसके अलावा दिल्ली में प्रोजेक्ट रिपोर्ट सबमिट करने के खर्चे, रजिस्ट्रेशन चार्ज, यह सभी जोड़ने पर तीन-चार लाख का खर्च हो रहा है। वहीं एक अक्टूबर से शुल्क का भुगतान भी करना है।
इंदौर क्रिटिकल जोन में, 25 हजार से ज्यादा को लेना होगी मंजूरी
नेक्टर कंपनी के राजीव रंजन सिन्हा ने द सूत्र को बताया कि सेंट्रल बोर्ड से देशभर में 12 कंपनियां रजिस्टर्ड है जो पूरे देश में कहीं भी काम कर सकती है। यह ऑडिट भी करेंगी और कंपनियों के रजिस्ट्रेशन के लिए मदद भी कर रही है। उन्होंने कहा कि इंदौर में 20-25 हजार से ज्यादा जगह ऐसी है जिन्हें यह एनओसी लेना जरूरी है, नहीं तो वह देर-सबेर मुश्किल में आएंगी और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से कंसेट टू ऑपरेट मिलेगा ही नहीं, इसके लिए सेंट्रल बोर्ड का रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा। इंदौर पहले से ग्राउंट वाटर के हिसाब से क्रिटिकल जोन में है। इंदौर में अभी शंकरा नेत्रालय, अपोलो और अन्य सात-आठ संस्थाओं ने अभी यह एनओसी ली है।