संजय गुप्ता, INDORE. सबसे बड़ा भूमाफिया कौन, चंपू, चिराग, दीपक मद्दा या फिर आईडीए (इंदौर विकास प्राधिकरण)? द सूत्र की लगातार चल रही इस मुहिम के बाद अयोध्यापुरी को एनओसी जारी हो गई है और 400 से ज्यादा प्लॉटधारकों को राहत मिली है। लेकिन स्कीम 171 जिसमें 13 संस्थाओं के 6 हजार पीड़ित है, इसे लेकर अभी भी आईडीए कछुआ गति से चल रहा है।
IDA की क्षतिपूर्ति राशि भरने को तैयार संस्थाएं
उधर पीड़ित प्लॉटधारकों वाली संस्थाओं ने रविवार को न्याय नगर के बगीचे में एक बैठक कर संयुक्त तौर पर फैसला लिया कि आईडीए द्वारा 3 साल पहले तय की गई क्षतिपूर्ति राशि 5 करोड़ 84 लाख वो भरने के लिए तैयार हैं। इस स्कीम में न्याय नगर, श्री महालक्ष्मी नगर, पुष् पविहार के ही 90 फीसदी प्लॉट धारक हैं और ये सभी मिलकर पूरी राशि भरने के लिए तैयार हैं। इन्होंने तो यहां तक फैसला कर लिया है कि बस आईडीए क्षतिपूर्ति संबंधी सूची जारी कर दे, यदि कोई नहीं भरता है तो भी हम जितने भी सक्षम लोग हैं, वे मिलकर ये राशि भर देंगे, ताकि आईडीए को भी कोई आर्थिक नुकसान नहीं हो, आईडीए स्कीम से मुक्त कर देगा, तो निगम से कॉलोनी वैध हो जाएगी और वे सभी खुद का मकान बना सकेंगे।
20-25 हजार का खर्च वहन कर लेंगे
पुष्प विहार के एनके मिश्रा को इस बैठक में खासकर बुलाया गया, उन्होंने बताया कि अब मिलजुलकर ही आगे बढ़ना होगा, हमें ये नहीं सोचना है कि दूसरी संस्था या प्लॉटधारक का खर्च हम क्यों आईडीए में भरें। प्राधिकरण को उनके क्षतिपूर्ति शुल्क से मतलब है और हम मिलकर ये राशि भरने को तैयार है। वैसे भी 90 फीसदी तो हमारे ऊपर ही व्यय आ रहा है। ऐसा करने में एक व्यक्ति पर 20-25 हजार का ही व्यय आएगा, इससे कॉलोनी को वैधता मिलती है और 22 साल से चल रही लड़ाई का अंत होता है तो इसमें बुराई नहीं है। उनके कहने पर संयुक्त तौर पर सभी ने इस फैसले पर सहमति दी और कहा कि आईडीए बस सूची जारी करे, हम ये राशि जल्द भर देंगे।
उधर आईडीए की कछुआ गति जारी
आईडीए सीईओ आरपी अहिरवार से पीड़ित मिले तो उन्होंने इस मामले में दल बनाकर लंबी-चौड़ी प्रक्रिया पर काम करने की बात कह दी, जबकि आईडीए खुद ही इन कॉलोनियों को स्कीम से मुक्त करने के लिए 13 मार्च 2020 को फैसला कर चुका है और 28 सितंबर 2020 को मप्र शासन नोटिफिकेशन जारी कर नियम जारी कर चुका है। इसके बाद भी आईडीए के अधिकारी फाइल दबाने और मामला लंबा खींचने के मूड में ज्यादा नजर आ रहे हैं।
आईडीए ने तत्काल की बैठक
वहीं सुप्रीम कोर्ट से 2 दिन पहले आए स्कीम 97 पार्ट 4 की 85 हेक्टेयर जमीन के पजेशन को लेकर आए फैसले पर आईडीए ने तत्काल बैठक भी कर ली और जमीन अधिग्रहण को लेकर प्रक्रिया भी शुरू कर दी। इसी तरह जब सीएम ने कन्वेंशन सेंटर की घोषणा की तो आईडीए के अधिकारी तत्काल मैदान में दौड़ गए, यानी जमीन का अधिग्रहण करने और निर्माण कार्यों में आईडीए की दिलचस्पी ज्यादा दिख रही है, वहीं जब पीड़ितों के प्लॉट को मुक्त करने (जिन्हें खुद शासन, प्रशासन के भूमाफिया अभियान से मुक्त कराया गया और खुद सीएम ने प्लॉट आवंटन की घोषणा की) की बात आती है तो आईडीए की चाल काफी सुस्त हो जाती है। अयोध्यापुरी की एनओसी में ये मामला सामने आ चुका है, जब साल 2001 की जारी एनओसी को जारी कर नगर निगम को पत्र लिखने में आईडीए ने 1-2 साल नहीं पूरे 22 साल लगा दिए।
ये खबर भी पढ़िए..
कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने सीएम शिवराज को दिया बर्थ-डे गिफ्ट, बदले में रखी रिटर्न गिफ्ट की मांग
स्कीम 171 से 13 संस्थाओं का स्कीम मुक्ति का संकल्प मार्च 2020 में ही बोर्ड से पारित
स्कीम 171 जिसमें पुष्पविहार सहित 13 कॉलोनियों की जमीन शामिल है, उसे आईडीए स्कीम से मुक्त करने का बोर्ड में सैद्धांतिक प्रस्ताव 13 मार्च 2020 को ही पास कर चुका है। इसमें सामने आया था कि यहां पर आईडीए ने 5 करोड़ 84 लाख की राशि विकास कामों में खर्च की है। इसके लिए शासन द्वारा नियम बनाए जा रहे हैं, ये नियम आते ही बोर्ड द्वारा इस पर यथासमय विचार कर फैसला लिया जाएगा। मप्र शासन द्वारा स्कीम लैप्स के संबंध में 28 सितंबर 2020 में नोटिफिकेशन कर नियम भी जारी कर दिए, जिसके तहत 2 अखबारों में सूचना जारी कर प्रारूप जारी कर क्षतिपूर्ति राशि ली जाएगी और इसके बाद स्कीम लैप्स हो जाएगी, इसमें 2 माह का समय लिया जाएगा, लेकिन नोटिफिकेशन के बाद भी आईडीए द्वारा इस क्षतिपूर्ति के संबंध में 30 माह बाद भी सूचना ही जारी नहीं की है।
ये था बोर्ड में प्रस्ताव
13 मार्च 2020 को आईडीए बोर्ड द्वारा पास किए गए प्रस्ताव की कॉपी मौजूद है। इसमें लिखा गया है कि प्राधिकारी की योजना 171 (पूर्व नाम 132) के संबंध में प्राधिकारी बोर्ड अवगत हुआ है कि योजनांतगर्त प्राधिकारी द्वारा मास्टर प्लान रोड एमआर-10 का निर्माण किया गया है तथा विकास काम पर राशि 5.84 करोड़ रुपए व्यय की गई है। योजना की शेष भूमि प्राधिकारिकों को प्राप्त ना हो पाने के कारण शेष अधोसंरचना विकास काम प्रारंभ नहीं किया जा सका। इसलिए संपूर्ण वस्तुस्थिति के बाद प्राधिकारी द्वारा निर्णय लिया गया है कि चूंकि इन योजना में विकास काम प्रारंभ नहीं किया गया है परंतु अधोसंरचना विकास काम पर व्यय राशि 10 फीसदी से कम है। इसलिए मप्र नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन) अधिनियम 2019 के तहत योजना नियम प्रारूपित किए जाने की कार्रवाई शासन स्तर पर प्रचलित है। इसलिए शासन स्तर से नियम अंतिम होने के पश्चात इन योजना के संबंध में प्रकरण प्राधिकारी बोर्ड के समक्ष यथासमय विचारार्थ प्रस्तुत किया जाए।