इंदौर में ठगों ने क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने के नाम पर वसूले थे 4.25 लाख, एक व्यक्ति को दस हजार देकर बनवाया था रेंट एग्रीमेंट

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The Sootr
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इंदौर में ठगों ने क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने के नाम पर वसूले थे 4.25 लाख, एक व्यक्ति को दस हजार देकर बनवाया था रेंट एग्रीमेंट

INDORE. 9 फरवरी 2023 को प्राइवेट कंपनी में काम करने वाली सिविल इंजीनियर आशीष जैन ने राज्य साइबर सेल को एक शिकायत की थी। उन्होंने बताया था कि किसी अज्ञात बदमाश ने क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने के नाम पर उनसे 4 लाख 25 हजार रुपए ऐंठ लिए। शिकायत के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की। अब इस मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। बदमाशों ने इंदौर के ही एक व्यक्ति को जाल में फंसाकर रेंट एग्रीमेंट बनवाया था। इसके बदले में उसे दस हजार रुपए भी दिए थे। 



लालच देकर कराया था किराये का एग्रीमेंट 



राज्य साइबर सेल एसपी जितेंद्र सिंह ने बताया कि जब कंपनी के रेंट एग्रीमेंट की जानकारी निकाली तो उसमें परिहार कॉलोनी में रहने वाले अंकित इटारे का पता चला। अंकित से पूछताछ की तो उसने बताया कि उसके दोस्त धनंजय ने आयुष सिंह नामक व्यक्ति से मिलवाया था। आयुष ने उसे 10 हजार रुपए का लालच दिया और एग्रीमेंट करा लिया। अंकित के बारे में टीम को जानकारी मिली की वह मीटर लगाने का काम करता है।



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राजेंद्र वैष्णव और आयुष सिंह की तलाश जारी



एसपी सिंह ने बताया कि जिस बैंक अकाउंट में पैसा गया था। उस बैंक अकाउंट की डिटेल निकाली तो बैंक अकाउंट के केवाईसी में भीलवाड़ा के राजेंद्र वैष्णव का नाम पता चला। बैंक अकाउंट में दर्ज मोबाइल नंबर की डिटेल से पता चला की वह नंबर आंध्र प्रदेश के गुंटुर में चल रहा था, जो बाद में बंद हो गया। अब इस पूरे मामले में राजेंद्र वैष्णव और आयुष सिंह की सरगर्मी से तलाश की जा रही है।



यह था मामला 



प्राइवेट कंपनी में काम करने वाली सिविल इंजीनियर आशीष जैन ने 9 फरवरी 2023 को राज्य साइबर सेल को एक शिकायत की थी। उन्होंने बताया था कि किसी अज्ञात बदमाश ने क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने के नाम पर उनसे 4 लाख 25 हजार रुपए ऐंठ लिए। बदमाशों ने पहले उन्हें कुछ टास्क करने को दिए, जिसे पूरा करने पर सिविल इंजीनियर को साढ़े चार हजार रुपए का फायदा हुआ। बाद में उन्हें क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने के नाम पर जाल में फंसाया। बदमाशों ने कहा कि ज्यादा पैसा लगाएंगे तो ज्यादा मुनाफा होगा। फिर उन्हें एक लिंक भेजकर उनका अकाउंट बनवाया। जब सिविल इंजीनियर ने उन्हें 4 लाख 25 हजार रुपए दिए तो उनके बनाए अकाउंट में काफी पैसा नजर आने लगा। जब उन्होंने इसे विड्रॉल करने की कोशिश की तो लिंक बंद हो गई और बदमाशों से भी संपर्क नहीं हुआ। शिकायत मिलने पर राज्य साइबर सेल की टीम ने तत्काल कार्रवाई की और जिस अकाउंट में उनका पैसा गया उसे फ्रिज करा दिया।


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