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आमीन हुसैन, RATLAM. ग्राम पंचायत से लेकर मंत्रालय तक के भारीभरकम अमले के बाद भी सरकार को जनसमस्याओं के समाधान के लिए बड़ी राशि खर्च कर सीएम हेल्पलाइन यानी 181 चलानी पड़ रही है। इसका मूल मंत्र है-जन हेतु-जन सेतु, और ध्येय वाक्य है-शासन और नागरिकों के बीच सिर्फ एक कॉल का फासला। लेकिन बहुप्रचारित सीएम हेलपलाइन ये मूल मंत्र और ध्येय वाक्य रतलाम जिले के 6 गांवों के करीब 8 हजार लोगों के लिए छलावा साबित हो रहा है।
इप्का लेबोरेटरी के गंदे पानी से परेशान ग्रामीण
रतलाम के 6 गांवों के ग्रामीण अपने गांवों के पास चल रही एक बड़ी दवा फैक्टरी से खुले नाले में छोड़े जाने वाले केमिकलयुक्त लाल और बदबूदार पानी से त्रस्त हैं। इससे पीड़ित ग्रामीणों की खेती खराब हो रही है और ग्राउंड वॉटर प्रदूषित हो रहा है। ट्यूबवेल और हैंडपंप में गंदा पानी आने से वे पीने का पानी दूसरे गांवों से लाने को मजबूर हैं। इस समस्या के समाधान के लिए वे दो बार सीएम हेल्प लाइन में शिकायत कर चुके हैं लेकिन दोनों ही बार उनकी शिकायत समाधान किए बिना ही बंद कर दी गई।
लेबोरेटरी से निकल रहा पानी लाल-काले रंग का और बदबूदार
रतलाम शहर से करीब 15 किलो मीटर दूर ग्राम जड़वासा खुर्द और सेजावदा के किसान उनके गांव के पास बनी दवा फैक्टरी इप्का लेबोरेटरी से छोड़े जाने वाले लाल और बदबूदार पानी से लंबे समय से परेशान हैं। उनका आरोप है कि खाचरोद रोड पर दवा फैक्टरी से केमिकलयुक्त लाल और काले रंग का पानी उनके खेतों के पास से गुजरने वाले बड़े नाले में छोड़ा जा रहा है। किसान इसी नाले में बहने वाले पानी से अपने खेतों में सिंचाई करते हैं। इससे उनके खेत खराब हो रहे हैं। उनकी प्याज और लहसुन की पैदावर घटकर करीब आधी रह गई है।
हैंडपंप और ट्यूबवेल से आ रहा गंदा पानी
पीड़ित किसानों की मानें तो इप्का लेबोरेटरी से नाले में छोड़े जाने वाले रासायनिक पानी से जड़वासा खुर्द और सेजावदा के अलावा आसपास के जड़वासा कला, सिमलावदा, करोली, हतनारा और मलवासा गांव के भूमिगत जलस्त्रोत भी प्रदूषित हो रहे हैं। इन गांवों के हैंडपंप और ट्यूबवेल से गंदा और बदबूदार पानी आता है तो पीने लायक नहीं है। इस पानी से नहाने से ग्रामीणों को खुजली होती है।
सीएम हेल्पलाइन में शिकायत बिना समाधान के बंद
पीड़ित गांव वाले इस समस्या की शिकायत रतलाम ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के विधायक दिलीप मकवाना से लेकर कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी तक को कर चुके हैं लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। स्थानीय स्तर पर कोई कार्रवाई न होने के बाद परेशान ग्रामीणों ने सीएम हेल्पलाइन में एक नहीं दो-दो बार शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने पहली शिकायत 28 सितंबर 2022 को की जिसका नंबर 19225566 था। उन्हें उम्मीद थी कि सरकार की इस हेल्पलाइन पर की जाने वाली शिकायतों की मॉनिटरिंग मुख्यमंत्री कार्यालय के स्तर पर भी की जाती है। इसलिए अब तो जरूर कार्रवाई होगी। जिला प्रशासन और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी उनकी समस्या को गंभीरता से लेंगे और दवा फैक्टरी से छोड़े जा रहे प्रदूषित पानी की जांच कर समाधान कराएंगे। लेकिन सीएम हेल्पलाइन से भी उन्हें समस्या का समाधान नहीं बल्कि पूछताछ करने वाले फोन कॉल ही सुनने को मिले और 15 दिन बाद उनकी शिकायत बिना समाधान के बंद कर दी गई।
सीएम हेल्पलाइन में दूसरी शिकायत भी बंद, अब तीसरी बार की शिकायत
परेशान किसानों ने सीएम हेल्पलाइन पर दूसरी शिकायत 7 नवंबर 2022 को की। इसका नंबर 19754871 था लेकिन ये शिकायत भी समाधान के बिना बंद कर दी गई। जड़वासा खुर्द के किसान दशरथ पाटीदार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से समस्या के समाधान की गुहार लगाते गुए बताते हैं कि हमने सीएम हेल्पलाइन पर तीसरी बार 19 नवंबर को शिकायत की है और इसका नंबर 19907438 है।
इप्का लेबोरेटरी के प्रबंधन ने नहीं दिया कोई जवाब
इप्का लेबोरेटरी से नाले में छोड़े जा रहे प्रदूषित पानी और किसानों की शिकायतों के बारे में फैक्टरी मैनेजमेंट का पक्ष जानने के लिए द सूत्र संवाददाता ने प्लांट के जनरल मैनेजर दिनेश सियाल से कई बार संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। उन्हें समस्या के बारे में उनके मोबाइल फोन पर व्हाट्सएप मैसेज भेजने के बाद भी उन्होंने रिप्लाई नहीं किया।
कलेक्टर ने दिए जांच के निर्देश
द सूत्र ने किसानों की समस्या के बारे में रतलाम के कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी से चर्चा की। उन्होंने बताया कि कलेक्ट्रेट में होने वाली टाइम लाइन की बैठक में ये मामला उनके सामने आया है। इस बारे में जल संसाधन विभाग और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों को मौके पर जाकर जांच करने के निर्देश दिए हैं।