नवीन मोदी, GUNA. मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना के तहत टेंडर मिलने के बाद गुजरात कन्ट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड उड़हना सूरत ने 14 अक्टूबर 2016 को बीनागंज-चांचौड़ा में पेयजल योजना का कार्य शुरू किया था। उस समय इस कंपनी से अनुबंध नगर परिषद चाचौड़ा-बीनागंज के तत्कालीन सीएमओ विनोद उन्नीतान ने किया था। कंपनी ने न तो समय पर काम पूरा किया और न योजना के अनुसार घर-घर नलों के जरिए पानी पहुंचाया। 6 साल बाद भी यह योजना अधूरी पड़ी है। मामले में अनियमितता बरतने पर वर्तमान एडीएम आदित्य सिंह ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी है, रिपोर्ट में उन्होंने 2 तत्कालीन सीएमओ, एक उपयंत्री और एक लेखापाल पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करके योजना में 3 करोड़ 62 लाख रुपए की वसूली की बात है।
एडीएम की जांच में खुलासा
कलेक्टर के आदेश पर एडीएम ने इस पूरे मामले की जांच की तो खुलासा हुआ। इसमें ये सामने आया कि कंपनी के पहले से लेकर आज तक हुए काम का भुगतान तत्कालीन सीएमओ विनोद उन्नीतान और उपयंत्री रवि बुनकर के समय हुआ था, तो वहीं आठवें भुगतान के लिए तत्कालीन प्रभारी सीएमओ और उपयंत्री दोनों ही पदों पर बृजेश शर्मा थे, जिनको आरबी एसोसिएट्स भोपाल ने ठेकेदार कंपनी को भुगतान करने को लेकर मना किया था। पत्र में ये भी कहा था कि निर्माण कार्य से अधिक का भुगतान कंपनी को किया है। आठवें चरण में हुए काम का भुगतान न किया जाए, लेकिन आरबी एसोसिएट्स के मना करने पर भी तत्कालीन सीएमओ ने भुगतान कर दिया, जिसमें वे भी दोषी पाए गए हैं।
अधूरे और गुणवत्ताविहीन कार्य के बाद भी भुगतान
चाचौड़ा-बीनागंज में बीते दिनों ही में आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास मप्र भोपाल को जांच रिपोर्ट भेजी है। इसके बाद भी अधूरे और गुणवत्ता विहीन कार्य के बाद भी पेयजल योजना का ठेकेदार को 9 करोड़ 68 लाख रुपए का भुगतान कर दिया है। सूत्र बताते हैं कि इंजीनियर रवि बुनकर ने कंपनी के कार्यों की नियमानुसार निगरानी नहीं की। वहीं एक बार भी माप पुस्तिका में इन्द्राज किए बिना ही भुगतान कर दिए। मामले में हुए घोटाले में दो तत्कालीन सीएमओ विनोद उन्नीतान, बृजेश गुप्ता, उपयंत्री रवि गुप्ता और लेखापाल अहसान उल्ला खान दोषी पाए गए। इनके खिलाफ शासन ने आरोप पत्र जारी किया है। अभी ठेकेदार के खिलाफ चाचौड़ा पुलिस थाने में मामला दर्ज हुआ है।
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मनमानी करके किया भुगतान
ग्वालियर नगरीय प्रशासन विभाग के कार्यपालन यंत्री ने जांच रिपोर्ट में बताया है कि माप पुस्तिका में ओवरहेड टैंक, इंटकवेल और डब्ल्यूटीपी अंकित नहीं हैं लेकिन उसके बाद भी प्रतिशत के आधार पर उसका भुगतान कर दिया। इसी प्रकार नगर परिषद क्षेत्र में कितनी पाइपलाइन डाली है। इसका आंकलन भी माप पुस्तिका में नहीं है। अर्थ वर्क और मुरम फिलिंग का कार्य भी सही नहीं पाया है। आरबी एसोसिएट्स टीम ने साल 2018 में जांच के बाद 8वां भुगतान करने पर रोक लगाई थी, इसके बावजूद भुगतान हो गया।