Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि प्रदेश में आम नागरिक को सूचना के अधिकार के तहत सवाल पूछने की ऑनलाइन सुविधा क्यों नहीं है। एक जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल बघेल की ओर से पक्ष रखा गया। दलील दी गई कि भारत के संविधान में अनुच्छेद 19(1) ए में वर्णित वाक व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अनुक्रम में भारत के नागरिकों को संसद द्वारा 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सरकार से सवाल पूछने का हक दिया गया था। कानून में प्रावधान किया गया था कि आरटीआई एक्ट की धारा-6 के अनुसार कोई भी व्यक्ति एक लिखित आवेदन, ऑनलाइन या अन्य युक्ति से प्रेषित कर सरकार से दस्तावेज या जानकारी मांग सकता है। इसके अलावा अधिनियम की धारा 7(1) में यह भी प्रावधान है कि अगर जानकारी किसी व्यक्ति के जीवन या स्वतंत्रता से जुड़ी हुई है तो वह 48 घंटे में प्रदान की जानी चाहिए।
जनहित याचिका में कहा गया है कि इन प्रावधानों का पालन बगैर ऑनलाइन सुविधा किए संभव नहीं है, चूंकि भारत सरकार ने साल 2013 में आरटीआई पोर्टल बनाकर आवेदन हेतु ऑनलाइन व्यवस्था दी है। केंद्रीय सूचना आयोग ने भी अपीलों व शिकायतों हेतु ऑनलाइन पोर्टल बनाया है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने लंबे पत्राचार के बाद जब ऑनलाइन पोर्टल 2021 में बनाया, लेकिन उसमें सभी विभाग और शासकीय कार्यालयों को नहीं जोड़ा गया। इस कारण नागरिक किसी भी आवेदन को ऑनलाइन लगाने में असमर्थ हैं।
अदालत ने दलीलों को सुनने के बाद राज्य सूचना आयोग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। अदालत ने सरकार को जवाब पेश करने के लिए 4 सप्ताह की मोहलत दी है।