Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने उच्च माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्ष्ज्ञा 2018 में उत्तीर्ण शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त करने पर रोक लगा दी है। जस्टिस नंदिता दुबे की सिंगलबेंच ने जनजातीय कार्य विभाग भोपाल के आयुक्त को 9 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने महाधिवक्ता कार्यालय को कमिश्नर की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के भी निर्देश दिए हैं।
सागर, सिवनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, इंदौर, ग्वालियर, अशोक नगर, झाबुआ, राजगढ़ समेत कई जिलों के शिक्षकों की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह और रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि जनजातीय कार्य विभाग आयुक्त ने सभी को 21 अक्टूबर 2022 को उच्च माध्यमिक शिक्षक के पद पर नियुक्ति दी थी। शिक्षकों ने संबंधित जिलों में उपस्थिति भी दर्ज करवाई। विभाग ने स्कूलों में पदस्थापना का आदेश भी दे दिया। बावजूद इसके तकनीकी कारणों का बहाना बनाकर उनकी नियुक्ति निरस्त कर दी गई। कारण बताया गया कि दस्तावेजों का सत्यापन नहीं कराया गया, जबकि साक्षात्कार से लेकर उपस्थिति दर्ज कराते समय अनेक बार समस्त दस्तावेजों का परीक्षण और सत्यापन कराया जा चुका था।
सुनवाई के दौरान यह दलील दी गई कि जनजातीय कार्य विभाग के आयुक्त ने 7 नवंबर को आदेश जारी कर अभ्यर्थियों को सुनवाई का मौका दिए बिना नियुक्तियां निरस्त कर दीं। आदेश में सिर्फ यह कहा गया कि तकनीकी कारणों से नियुक्ति निरस्त की जाती है। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि वैधानिक तरीके से नियुक्ति के बाद उन्हें अकारण निरस्त करना अनुचित है। नियुक्ति आदेश में सभी को 15 दिन के भीतर ज्वाइनिंग करने कहा गया था, जो उन्होंने की थी।
तमाम दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने उच्च माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त किए जाने के आदेश पर रोक लगा दी और जनजातीय कार्य विभाग के आयुक्त को अदालत में हाजिर होकर जवाब पेश करने के निर्देश दिए।