Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अवैध ऑटो रिक्शा की धमाचौकड़ी की समस्या को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य शासन से पूछा है कि प्रदेश में अब तक कितने अवैध ऑटो जब्त किए गए, जो बिना परमिट चल रहे हैं। साथ ही कार्रवाई को अपर्याप्त बताते हुए सरकार को एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि बिना परमिट चल रहे हजारों ऑटो को मामूली जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाता है। जबकि, 30 सितंबर 2019 को राज्य शासन ने अभिवचन दिया था कि बिना परमिट चल रहे ऑटो को जब्त कर छोड़ा नहीं जाएगा। पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए थे कि नियमविरूद्ध ऑटो संचालन पर अंकुश लगाने ठोस कार्ययोजना पेश करें। निर्देशों के पालन में पेश प्रतिवेदन का सारांश भी प्रस्तुत किया जाए, लेकिन यह नजर नहीं आया।
बहस के दौरान याचिकाकर्ता एडवोकेट सतीश वर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार के मोटर व्हीकल संशोधन नियम 2019 मध्यप्रदेश में लागू नहीं किए जा रहे हैं। इस नियम से पूरे प्रदेश में ट्रेफिक ओर यातायात में सुधार लाया जा सकता है, इसमें भारी जुर्माने का प्रावधान भी है। साल 2013 में अधिवक्ता सतीश वर्मा ने जबलपुर के साथ प्रदेश भर में नियम विरूद्ध ऑटो संचालन को चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की थी। बाद के सालों में कुछ और याचिकाएं भी संलग्न की गईं। हाईकोर्ट ने कई दिशानिर्देश जारी किए लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस मामले में सरकार केवल कागजी रिपोर्ट पेश कर अदालत को गुमराह कर रही है। जबकि वास्तविक स्थिति कुछ और है।