जबलपुर हाईकोर्ट ने आवारा मवेशियों पर ठोस कार्ययोजना पेश करने दिए निर्देश, सरकार को 4 हफ्ते की दी मोहलत

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर हाईकोर्ट ने आवारा मवेशियों पर ठोस कार्ययोजना पेश करने दिए निर्देश, सरकार को 4 हफ्ते की दी मोहलत

Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आवारा मवेशियों के मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि सड़कों पर घूमने वाले आवारा जानवरों पर अंकुश लगाने क्या कार्ययोजना है। बुधवार को मामले पर सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि सरकार एक माह के भीतर एक्शन प्लान तैयार करे और उस पर अमल भी करे। कोर्ट ने अगली सुनवाई के दौरान रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए। मामले पर अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी। 



अधिवक्ता सतीश वर्मा ने इस मामले में अवमानना याचिका दायर की है। उन्होंने बताया कि पूरे प्रदेश की सड़कों पर जानवरों की वजह से राहगीरों का चलना मुश्किल हो रहा है। आवारा सांड और कुत्तों के हमले में पिछले कुछ वर्षों में कई लोगों की जान गई है। 



गौरतलब है कि पूर्व में एक जनहित याचिका दायर कर शहर की सड़कों पर आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने वर्ष 2007 में मामले का निराकरण करते हुए नगर निगम को कहा था कि वो आवारा कुत्तों पर अंकुश लगाने कार्रवाई करें। इस आदेश का पालन नहीं होने पर 2009 में अवमानना याचिका दायर की गई। आरोप है कि शहर की सभी सड़कों पर आवारा सांड और कुत्तों का आतंक है। जिससे राहगीरों की जान हमेशा खतरे में बनी रहती है और यातायात बाधित होता है। याचिका में कहा गया है कि नगर निगम ऐसे आवारा जानवरों को पकड़ने में कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। 



इस मामले में 2019 में तत्कालीन कलेक्टर ने शपथ-पत्र पेश कर कहा था कि सड़क पर आवारा जानवर छोड़ने वाले पशु पालकों के खिलाफ धारा 144 के तहत प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है। जिला प्रशासन आवारा जानवरों की धरपकड़ के लिए नगर निगम द्वारा की जाने वाली कार्रवाई में भी पूरा सहयोग करेगा। 


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