जबलपुर हाईकोर्ट ने पुलिस आरक्षक भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की, कहा याचिकाकर्ता तथ्य छिपाने के हैं दोषी

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर हाईकोर्ट ने पुलिस आरक्षक भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की, कहा याचिकाकर्ता तथ्य छिपाने के हैं दोषी

Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जस्टिस एमएस भट्टी की अदालत ने पुलिस आरक्षक भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन आवेदन में झूठी जानकारी अंकित की इसलिए वे तथ्य छिपाने के दोषी हैं। सभी उम्मीदवारों ने जीवित एंप्लॉयमेंट कार्ड नहीं होने के बावजूद कॉलम में हां लिखा था। अदालत ने एक दर्जन से ज्यादा उम्मीदवारों की याचिका खारिज कर दी, जिन्होंने रोजगार पंजीयन के संबंध में गलत जानकारी दी थी। वहीं कोर्ट ने केवल एक अभ्यर्थी को राहत दी जिसने आवेदन में सच लिखा था। कोर्ट ने विभाग को निर्देश दिए कि शाजापुर की रानी बाई को कांस्टेबल के पद पर चयन करने पर विचार करें। 





बता दें कि 25 नवंबर 2020 को अधिसूचना जारी कर पुलिस विभाग में 4 हजार आरक्षकों की भर्ती निकाली गई थी। प्रदेश के कई जिलों के अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चयन प्रक्रिया में अनियमितता का आरोप लगाया था। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि जनवरी 2022 में उन्होंने लिखित परीक्षा दी और उसके बाद शारीरिक दक्षता परीक्षा में भी वे शामिल हुए। सभी ने दोनों परीक्षा उत्तीर्ण की, लेकिन उन्हें चयनित नहीं किया गया। 





याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि कोरोना के कारण उनका रोजगार पंजीयन कार्ड एक्सपायर हो गया था। उन्होंने शारीरिक परीक्षा के पहले नवीनीकरण करवाकर कार्ड जमा कर दिया था। वहीं शासन की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने बताया कि याचिकाकर्ता उम्मीदवारों ने जानते हुए भी ऑनलाइन आवेदन करते समय गलत जानकारी दी थी। सभी ने इस तथ्य को छिपाया कि आवेदन करते समय उनका रोजगार पंजीयन एक्सपायर हो गया था। उन्होंने दलील दी कि नियमानुसार दस्तावेजों के वेरिफिकेशन के समय यदि वे अधूरे या गलत पाए जाते हैं तो उम्मीदवारी निरस्त की जा सकती है। 



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