Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में आरक्षित पदों को छोड़कर शेष पदों पर नियुक्ति कर रिपोर्ट पेश की जाए। मामला शासकीय मेडिकल कॉलेजों में अधीक्षक के पद पर पूर्णकालिक नियुक्ति से जुड़ा है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबल बेंच ने इसके लिए सरकार को दो सप्ताह की मोहलत दी है। अदालत ने यह भी कहा है कि इसके बाद अतिरिक्त मोहलत नहीं दी जाएगी।
शासन की ओर से इस मामले में यह दलील दी गई कि अधीक्षक के पद पर नियुक्ति प्रोफेसर के पद से प्रमोशन पर की जाती है। आरक्षण से जुड़े कुछ मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं और शीर्ष कोर्ट ने प्रमोशन पर रोक लगा रखी है। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि आरक्षित सीटों को छोड़कर अन्य पर तो नियुक्तियां की जा सकती हैं।
- यह भी पढ़ें
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ पीजी नाजपांडे की ओर से साल 2016 में दायर याचिका में कहा गया था कि प्रदेश के लगभग सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अधीक्षक के पद खाली हैं और वहां पर प्रभारी ही जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। जो अधीक्षक हैं, उनके पास पहले से पढ़ाने और इलाज की जिम्मेदारी थी और अब वे अधीक्षक के पद की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने बताया कि राज्य सरकार ने पूर्व में जवाब पेश कर बताया था कि मेडिकल कॉलेज में भर्ती नियम को लकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित है। उस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भर्तियों पर यथास्थिति के निर्देश दिए हैं। इसलिए पूर्णकालिक नियुक्ति नहीं की जा रही है। इसके अलावा मेडिकल कॉलेजों में सुविधाओं को लेकर सवाल उठाए गए हैं।