जबलपुर हाईकोर्ट ने मंडी चुनाव मामले में सरकार को दी अंतिम मोहलत, 2012 से नही हुए एमपी में मंडी चुनाव, नियम भी किए सरकार ने दरकिनार

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर हाईकोर्ट ने मंडी चुनाव मामले में सरकार को दी अंतिम मोहलत, 2012 से नही हुए एमपी में मंडी चुनाव, नियम भी किए सरकार ने दरकिनार

Narsinghpur, Brijesh Sharma. जबलपुर हाईकोर्ट ने प्रदेश में मंडी चुनाव कराए जाने के मामले में राज्य शासन को जवाब पेश करने के लिए चार सप्ताह की अंतिम मोहलत दी है। राज्य शासन का जवाब पेश होने के साथ ही इस मामले में फिर से सुनवाई होगी। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए लगा। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के संयोजक गाडरवारा के मनीष शर्मा, पवन कौरव, सज्जाद अली, अभिषेक मेहरा, विजय आहूजा, राजेश शर्मा की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा। 







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  • यह दी गई दलील 





    अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने हाईकोर्ट में दलील दी कि मंडी अधिनियम की धारा-11 में मंडी समितियों के गठन का प्रविधान है। धारा-13 में मंडी समितियों का कार्यकाल पांच वर्ष निर्धारित किया गया है। धारा-59 में राज्य शासन को यह शक्ति दी गई है कि वह पांच वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद एक वर्ष के लिए चुनाव आगे बढ़ा सकता है। किंतु किसी भी सूरत में यह अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं हो सकती। वर्ष 2012-13 में एमपी में मंडी चुनाव हुए थे जिसके बाद 2017 में किये जाने थे लेकिन अब 2023 में करीब पांच वर्ष यानी मंडियों का एक पूरा कार्यकाल ही अधिकारियों को प्रभार देकर निकाल दिया गया चुनाव नही कराए गए । 





    2018 में हो चुका कार्यक्रम समाप्त 





    याचिकाकर्ताओं के ओर से पक्ष रख रहे अधिवक्ता दिनेश उपाध्यक्ष ने कहा कि मध्य प्रदेश में मनमानी की पराकाष्ठा हो गई है। यहां मंडी समिति का कार्यकाल जनवरी-2018 में समाप्त हो चुका है। जिसके बाद कार्यकाल बढ़ाया गया। दो वर्ष से अधिक समय बीत गया किंतु नए सिरे से मंडी समिति में चुनाव नहीं कराए गए। पूर्व में जारी नोटिस का जवाब तक नदारद है। बार-बार समय लेेने का खेल खेला जा रहा है। इस पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने तर्क से सहमत होकर सख्ती बरतते हुए राज्य शासन को अंतिम मोहलत दे दी।



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