जबलपुर हाईकोर्ट ने प्रदान की सहेलियों को साथ रहने की स्वतंत्रता, पिता ने दायर की थी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर हाईकोर्ट ने प्रदान की सहेलियों को साथ रहने की स्वतंत्रता, पिता ने दायर की थी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका

Jabalpur. जबलपुर में दो युवतियों के एकदूसरे के प्यार में डूबकर जीवनसाथी की तरह रहने का मामला हाईकोर्ट जा पहुंचा। दरअसल 18 साल की युवती के पिता ने अदालत में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई थी। हैबियस कार्पस के मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों युवतियों को साथ रहने की स्वतंत्रता प्रदान की है। कोर्ट ने कहा कि युवतियों को बालिग होने पर अपने जीवन का निर्णय लेने का पूरा अधिकार है। जिसके बाद याचिका निरस्त कर दी गई। 



मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ में मामले की सुनवाई हुई थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि 22 साल की युवती उनकी 18 वर्षीय बेटी को बरगलाकर अपने साथ भोपाल भगा ले गई है। उसने उसे जबरन बंधक बना रखा है। लिहाजा उसे मुक्त कराकर उनके हवाले किया जाए। वहीं कोर्ट के समक्ष 18 वर्षीय युवती ने बयान दिया कि उसे परिवार के बजाय एकदूसरे का साथ पसंद है। वह अपनी सहेली के साथ ही रहना चाहती है। इसलिए अनुचित आरोप लगाते हुए यह याचिका दायर की गई है। कोर्ट ने युवतियों की इच्छा का सम्मान किया और बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका निरस्त कर दी। 



भोपाल के हॉस्टल से युवती को लाई पुलिस



इस याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने पुलिस को निर्देश दिए थे कि वह बंधक बनाकर रखी गई युवती को मुक्त कराकर अदालत में पेश करे। जिसके चलते पुलिस युवती को भोपाल के एक हॉस्टल से जबलपुर लाई और अदालत में पेश किया। सुनवाई के दौरान 22 वर्षीय युवती भी अदालत में मौजूद थी। कोर्ट ने दोनों सहेलियों को आपस में चर्चा करने के लिए 1 घंटे का समय भी दिया। आपसी चर्चा के बाद वे अदालत के समक्ष पुनः पेश हुईं और एक साथ रहने का फैसला किया। 


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