JABALPUR. क्रिश्चियन मिशनरी की शैक्षणिक संस्थाओं की जमीनें और रकम की घपलेबाजी में फंसे पूर्व बिशप पीसी सिंह और उनका बेटा तो जेल में है, लेकिन उनके साथ जेल में बंद करीबी सुरेश जैकब को हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दे दी है। जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने आवेदक जैकब को सशर्त जमानत देते हुए निर्देश दिया कि वह हर माह की 15 तरीख को ईओडब्ल्यू पुलिस स्टेशन में हाजिरी देगा। जमानत अर्जी पर जैकब की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त ने पक्ष रखा।
दिल्ली जाने की फिराक में था जैकब
दलील दी गई कि पीसी सिंह पर भ्रष्टाचार के जो आरोप लगे हैं, वे साल 2004 से 2012 की अवधि से संबंधित हैं। जबकि आवेदक सुरेश जैकब सेवानिवृत्त एयरफोर्स कर्मी हैं। वह संबंधित संस्था से साल 2013 में जुड़ा। जैकब का पासपोर्ट एजेंसी के पास जमा है और वह जांच में पूरा सहयोग कर रहा है। जैकब को इस आधार पर गिरफ्तार किया गया था कि वह बिना जानकारी दिए शहर छोड़कर नई दिल्ली जाने की फिराक में था। जबकि हकीकत यह है कि उसने पूर्व में आवेदन पेश कर इसकी अनुमति ली थी।
शासन ने जताई आपत्ति
जमानत अर्जी पर राज्यशासन की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने दलील दी कि करीब 10 गवाहों ने यह कहा है कि बिशप और जैकब के दबाव में शैक्षणिक संस्थानों से धार्मिक संस्था में काफी राशि ट्रांसफर की गई। ऐसे में आरोपी को जमानत देना जांच को प्रभावित कर सकता है। यह भी कहा गया कि मामले में भ्रष्टाचार के नित नए सुराग ईओडब्ल्यू के हाथ लग रहे हैं। ऐसे में करीबी को जमानत न दी जाए। हालांकि दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने जैकब को सशर्त जमानत दे दी।