Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में होमगार्ड जवानों की याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें कॉल ऑफ नियम में संशोधन को चुनौती दी गई है। सुनवाई के दौरान प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू और जस्टिस वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने गृहविभाग के प्रमुख सचिव, होमगार्ड एंड सिविल डिफेंस के महानिदेशक, अतिरिक्त कमांडेंट होमगार्ड््स जबलपुर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता होमगार्ड्स कॉल ऑफ नियम के बिना ड्यूटी जारी रखेंगे। इस प्रकार हाईकोर्ट ने होमगार्ड की ड्यूटी में कॉल ऑफ देने के नियम में किए गए संशोधन पर अंतरिम रोक लगा दी है।
भोपाल निवासी याचिकाकर्ता सुजीत सेन ने याचिका दायर कर सरकार द्वारा 27 सितंबर 2022 को होमगार्ड रूल्स 2016 में किए गए संशोधन को चुनाती दी है। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने संशोधन कर एक की बजाए 3 वर्ष में दो माह का कॉल ऑफ प्रावधान कर दिया था। याचिका में डीजी के उस आदेश को भी चुनौती दी गई है जिसमें यह कहा गया है कि जिनके प्रकरणों में अदालत से स्टे मिला है, उन्हें कॉल ऑफ नहीं दिया जाएगा।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता के के पांडे ने दलील दी कि शासन की अधिसूचना को डीजी होमगार्ड आदेश के जरिए नहीं बदल सकते। साल 2011 में हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश शासन को आदेशित किया था कि वे होमगार्ड्स की सेवा के नियम बनाए और उन्हें पूरे वर्ष कार्य पर रखा जाए। इस आदेश को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश को यथावत रखा था। इसके बाद सरकार ने साल 2016 में नए नियम बनाए और आदेश के विपरीत पुनः एक साल में 2 माह का बाध्य कॉल ऑफ का प्रावधान रख दिया। इस संबंध में याचिकाएं हाईकोर्ट में लंबित हैं।