Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी कर यह जवाब पेश करने को कहा है कि पीएससी 2019 की पूरी चयन प्रक्रिया को आखिर क्यों निरस्त कर दिया गया। जस्टिस एमएस भट्टी की एकलपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार और एमपीपीएससी को नोटिस जारी किया है। मामले में अगली सुनवाई 15 नवंबर को होगी। याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने पक्ष रखा।
जबलपुर निवासी हर्षित जैन, यजत प्यासी समेत विभिन्न जिलों के उम्मीदवारों ने याचिका दायर कर पीएससी के इस रवैए को अवैधानिक बताते हुए चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि पीएससी के उक्त आदेश से हजारों उम्मीदवारों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। उन्होंने बताया कि जिन अभ्यर्थियों ने प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद साक्षात्कार के लिए तैयारी की है, अब उन्हें फिर से परीक्षा देनी होगी। जो कि पूरी तरह अनुचित है। वरिष्ठ अधिवक्ता नागरथ ने बताया कि इससे पहले वर्ष 2011, 2013 और 2015 में कोर्ट से परीक्षा की पात्रता पाए उम्मीदवारों के लिए विशेष परीक्षा आयोजित की जा चुकी है। अदालत से मांग की गई है कि साल 2019 की परीक्षा के बाद पूरी चयन प्रक्रिया करने की बजाय, कुछ उम्मीदवारों के लिए विशेष परीक्षा आयोजित कराई जाए।
ओबीसी आरक्षण के चलते हुआ था फैसला
दरअसल, ओबीसी वर्ग की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया था कि आरक्षित वर्ग के उन उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी में स्थान मिलना चाहिए, जिनके अंक कट ऑफ से ज्यादा आए हैं। सरकार का यह नियम था कि ऐसे उम्मीदवारों को चयन प्रक्रिया के अंतिम चरण में शामिल किया जाएगा। ओबीसी संघ का कहना था कि प्रत्येक चरण यानि प्री, मेन्स और इंटरव्यू में इसका लाभ मिलना चाहिए। हाईकोर्ट ने अप्रैल माह में पीएससी रिजल्ट निरस्त कर उक्त उम्मीदवारों को शामिल करते हुए नए सिरे से चयन प्रक्रिया अपनाने कहा था।
लाखों उम्मीदवारों ने दी थी परीक्षा
बता दें कि साल 2019 की पीएससी परीक्षा में 3 लाख 60 हजार उम्मीदवारों ने प्रारंभिक परीक्षा दी थी। जिसमें से 10 हजार से ज्यादा उम्मीदवार मेंस के लिए सिलेक्ट हुए थे और साक्षात्कार के लिए 1900 अभ्यर्थियों को सिलेक्ट किया गया था। कुल 571 पदों के लिए साक्षात्कार होने थे, इस बीच अदालत में मामला लंबित होने के चलते पूरी चयन प्रक्रिया निरस्त हो गई थी।