Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बहुचर्चित नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता में फर्जीवाड़े के मामले में मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय को भी आवश्यक पक्षकार बनाने के निर्देश देते हुए, कुलपति और कुलसचिव को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने कहा है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबल बेंच के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान इस जनहित याचिका में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने पक्ष रखा।
दलील दी गई कि मप्र नर्सिंग काउंसिल ने सत्र 2020-21 और 2021-22 में गड़बड़ी करने वाले नर्सिंग कॉलेजों और डुप्लीकेट पाई गई फैकल्टी पर दो लाख जुर्माने के अलावा कॉलेज की मान्यता निरस्त करने की कार्रवाई आज तक नहीं की है। यही नहीं फर्जी फैकल्टी और अपात्र कॉलेजों की झूठी निरीक्षण रिपोर्ट देने वाले निरीक्षकों पर भी कोई कार्रवाई नहीं की है।
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मप्र नर्सिंग काउंसिल की ओर से अधिवक्ता अभिजीत अवस्थी ने पक्ष रखा। उन्होंने पूर्व निर्देश के पालन में स्टेटस रिपोर्ट पेश की। न्यायालय को अवगत कराया गया कि सत्र 2022-23 के लिए मध्यप्रदेश में 723 नर्सिंग कॉलेजों के आवेदनों की पूरी जांच पड़ताल और भौतिक निरीक्षण कर 491 नर्सिंग कॉलेजों को अनुमति पत्र जारी किए गए हैं। जबकि शेष आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं। यह भी बताया गया कि सत्र 2020-21 और 2021-22 में डुप्लीकेट पाई गई फैकल्टी के लिए पुलिस कमिश्नर भोपाल को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया है।
हाईकोर्ट ने तमाम दलीलें सुनने के बाद गड़बड़ी करने वाले नर्सिंग कॉलेज और फर्जी फैकल्टी और झूठी रिपोर्ट देकर कॉलेज को मान्यता दिलाने वाले निरीक्षकों पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर कौंसिल के प्रति नाराजगी जताई। वहीं याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि नर्सिंग कौंसिल की तरह ही मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर भी अपात्र नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता की रेवड़ी बांट रहा है। लिहाजा उसे भी नोटिस जारी किए जाने चाहिए।