Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक से सवाल किया है कि एमडी और एमएस की परीक्षाओं का संचालन नियम पूर्वक क्यों नहीं हो रहा है। जस्टिस राजेंद्र कुमार वर्मा और जस्टिस अवनींद्र कुमार सिंह की अवकाशकालीन डबल बेंच ने यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक को 5 जून को अदालत में हाजिर होकर जवाब देने के निर्देश दिए हैं।
मप्र जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव डॉ प्रतीक भदौरिया ने याचिका दायर कर बताया था कि सामान्य तौर पर एमडी और एमएस का स्नातकोत्तर कोर्स 36 महीने का होता है, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने केवल 34 महीने बाद ही परीक्षाएं आयोजित कर दी हैं, जो कि अनुचित है। चूंकि यह कोर्स विशेषज्ञों का है, इसलिए पाठ्यक्रम के साथ ट्रेनिंग पूरी करना अनिवार्य होता है। मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी ने 6 जून से एमडी और एमएस की परीक्षाएं आयोजित की हैं।
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याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अविरल विकास खरे ने अदालत को बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा परीक्षा संचालन में नेशनल मेडिकल काउंसिल के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। दलील दी गई कि विश्वविद्यालय का यह नियम भी है कि परीक्षा शुुरू होने के 3 महीने पहले छात्रों द्वारा प्रस्तुत थीसिस अप्रूव हो जाना चाहिए। यह नियम विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर भी अपलोड है। जबकि एनएमसी की गाइडलाइन के अनुसार थीसिस जमा होने के 6 माह बाद परीक्षा शुरू कराई जानी चाहिए। मेडिकल यूनिवर्सिटी के पीजी छात्रों ने 20 जनवरी को थीसिस जमा की हैं। लेकिन अभी तक उन्हें अप्रूव नहीं किया गया है और परीक्षा की डेट आ गईं।
बता दें कि इस मामले में पिछली सुनवाई के दौरार विश्वविद्यालय के जवाब पर अदालत ने असंतुष्टि जाहिर की थी, इसलिए अब हाईकोर्ट ने परीक्षा नियंत्रक को ही हाजिर होने के निर्देश दिए हैं।