Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में कोविड के दौरान शिक्षिका की मौत के बाद उसका पति मुख्यमंत्री विशेष अनुग्रह योजना का लाभ पाने गुहार लगा रहा है। पूर्व में हाईकोर्ट ने इस मामले में कलेक्टर को आदेश दिया था कि वह शिक्षिका के मेडिकल रिकॉर्ड की जांच कर उचित निर्णय पारित करे, लेकिन कलेक्टर ने उक्त आवेदन ही निरस्त कर दिया। जिसके बाद पति ने दोबारा हाईकोर्ट में अर्जी लगाई। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मृतका का इलाज करने वाले डॉक्टर से यह हलफनामा तलब कर लिया है कि वह बताए कि मरीज को उसने कौन सा इलाज दिया था।
नरसिंहपुर निवासी अजीत कुमार सोनी ने याचिका दायर कर बताया कि उसकी पत्नी अभिलाषा सोनी शासकीय शिक्षिका के पद पदस्थ थी। जिसकी मौत कोविड 19 के दौरान हो गई थी। जिसके चलते पति ने मुख्यमंत्री विशेष अनुग्रह योजना का लाभ पाने आवेदन दिया लेकिन उसे लाभ नहीं दिया जा रहा है।
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याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता योगेश तिवारी ने अदालत को बताया कि अभिलाषा को कोरोना होने पर 2 अप्रैल 2021 को जबलपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया और 3 दिन बाद उसकी मौत हो गई। आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटिव आई, लेकिन फेफड़े 100 फीसद डैमेज होने से मौत हुई। उन्होंने बताया कि पूर्व में अदालत ने निर्देश दिए थे कि मृतका के सभी मेडिकल दस्तावेजों की सूक्ष्मता से जांच कर यदि कोरोना से मृत्यु हुई हो तो मुख्यमंत्री कोविड-9 विशेष अनुग्रह योजना का लाभ प्रदान करें। लेकिन ऐसा नहीं हुआ इसलिए दोबारा याचिका दायर की गई।
पूर्व सुनवाई के दौरान अदालत ने इलाज करने वाले डॉक्टर से यह बताने के निर्देश दिए थे कि यदि मरीज की आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटिव थी तो क्यों और किन परिस्थितियों में उसे कोविड का इलाज का दिया गया। अदालत ने यह भी पूछा कि रिकॉर्ड में मरीज की मौत का कारण क्यों नहीं लिखा गया। मामला कोरोना के दौरान शत-प्रतिशत फेंफड़े खराब होने के चलते टीचर की मौत से जुड़ा है। अदालत ने निर्देश दिए हैं कि इलाज करने वाले डॉक्टर हलफनामा दें कि मरीज को कौन सा इलाज दिया गया।