Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एडीपीओ भर्ती को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए भर्ती को अंतिम निर्णय के अधीन करने का अंतरिम आदेश दिया है। मामला संशोधित परीक्षा कार्यक्रम को दी गई चुनौती से संबंधित है। मामले में अगली सुनवाई 12 दिसंबर को नियत की गई है। वहीं नोटिस जारी कर पीएससी को अपना जवाब पेश करने के निर्देश दिए गए हैं।
जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई जिसमें याचिकाकर्ता सतना निवासी मनीष कुमार पाठक समेत अन्य की ओर से अधिवक्ता अशोक कुमार तिवारी ने पक्ष रखा। दलील दी गई कि एडीपीओ भर्ती परीक्षा पीएससी द्वारा आयोजित की जा रही है। 7 जून, 2021 को इसका विज्ञापन निकाला गया था। इसके साथ पाठ्यक्रम भी संलग्न किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने आवेदन दिया। पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयारी कर ली। लेकिन बाद में किन्हीं कारण से लिखित परीक्षा स्थगित कर दी गई। साथ ही 30 अगस्त, 2022 को नए सिरे से संशोधित विज्ञापन निकाल दिया गया। दिलचस्प बात यह थी कि इसके साथ जो पाठ्यक्रम संलग्न किया गया, उसमें पुराने पाठ्यक्रम के बिंदुओं को पूरी तरह विलोपित करते हुए 10 नए अधिनियम जोड़े गए।
याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांत का हवाला देते हुए कहा गया कि खिलाड़ी मैदान में आ गए तब नियम बदलना अनुचित वाली टिप्पणी रेखांकित की गई। साथ ही चयन प्रक्रिया को पूर्व में प्रकाशित विज्ञापन व निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुरूप ही संपन्न कराने पर दिया गया। 18 दिसंबर से चयन प्रक्रिया शुरू होनी है। इसलिए याचिका दायर की गई।
बहस के दौरान पीएससी की ओर से दलील दी गई कि हम सर्वोत्कृष्ट एडीपीओ चाहते हैं, इसलिए नया पाठ्यक्रम जारी किया गया। लिहाजा हाईकोर्ट मामले में हस्तक्षेप करते हुए याचिकाएं निरस्त कर दे। हाईकोर्ट ने सभी तर्क सुनने के बाद कहा कि फिलहाल सुप्रीम कोर्ट की लार्जर बैंच में चयन प्रक्रिया के पूर्व संशोधित विज्ञापन और पाठ्यक्रम को चुनौती का मामला विचाराधीन है, उस पर फैसला नहीं आया है, अतः एडीपीओ भर्ती को विचाराधीन याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन किया जाता है। साथ ही पीएससी समेत अन्य अनावेदकों को अपना जवाब पेश करने के निर्देश भी दिए गए हैं।