Jabalpur. जबलपुर हाईकोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान रात 12 बजे घूम रहे शख्स को गिरफ्तार करने के मामले में पुलिस कर्मियों पर की गई बर्खास्तगी की कार्रवाई को अनुचित ठहराया है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबल बेंच ने एकलपीठ द्वारा पुलिस कर्मियों की बर्खास्तगी निरस्त करने के आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि पुलिस का मनोबल गिराने वाली कार्रवाई अनुचित है। पुलिस कर्मी से 24 घंटे ड्यूटी अपेक्षित रहती है, लिहाजा उनकी छोटी-मोटी गलतियों का नजरअंदाज कर देना चाहिए। यह कहते हुए अदालत ने राज्य शासन की अपील पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें एकलपीठ के पूर्व आदेश को चुनौती दी गई थी।
यह है मामला
कोरोना लॉकडाउन के दौरान रायसेन में एसआई केशव शर्मा, प्रधान आरक्षक सुरेश शर्मा और आरक्षक कुद्दूश अंसारी रात में ड्यूटी पर थे। रात 12 बजे सुरेंद्र तिवारी नाम शख्स सड़क पर घूम रहे थे। पुलिस कर्मियों ने उन्हें रोका और पूछताछ की तो दोनों पक्षों में बहस हो गई। पुलिस ने सुरेंद्र को हथकड़ी पहनाई और थाने ले जाया गया। जिसके खिलाफ सुरेंद्र ने तीनों पुलिस कर्मियों पर अभद्रता और नियमविरूद्ध गिरफ्तार करने की शिकायत कर दी थी। पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद तीनों को बर्खास्त कर दिया।
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एकलपीठ ने निरस्त कर दी थी बर्खास्तगी
एकलपीठ में याचिका की सुनवाई के दौरान दलील दी गई थी कि चार्जशीट दिए बिना और नियमित जांच किए बिना बर्खास्त करना अवैधानिक है। 28 जुलाई 2022 को एकलपीठ ने तीनों पुलिसकर्मियों की बर्खास्तगी निरस्त कर दी थी। जिस आदेश के खिलाफ सरकार ने अपील प्रस्तुत की। सरकार की ओर से दलील दी गई कि पुलिस कर्मियों ने शिकायतकर्ता और गवाहों को मामला वापस लेने के लिए धमकाया था, इसलिए नियमित जांच की जरूरत नहीं थी। हाईकोर्ट युगलपीठ ने सरकार की यह अपील निरस्त कर दी।