संजय गुप्ता, INDORE. राज्य सेवा परीक्षा 2019 की मार्च 2021 में हुई लिखित परीक्षा रद्द करके दोबारा परीक्षा कराने के पीएससी के फैसले को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। यह खुलासा खुद जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा मंगलवार को जारी किए गए फैसले में किया गया है। मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) इस परीक्षा को रद्द करने का कारण हमेशा से यह बताते आया है कि अप्रैल 2022 में याचिका क्रमांक 542 के मामले में हाईकोर्ट जबलपुर के आए फैसले के कारण यह परीक्षा रद्द की गई। लेकिन जबलपुर हाईकोर्ट ने साफ कहा कि- इस याचिका पर फैसले में हाईकोर्ट ने कभी नहीं कहा कि परीक्षा रद्द कर दोबारा ली जाए, उलटे हाईकोर्ट ने तो यह कहा था कि पुराने रोस्टर नियम 2015 के तहत परीक्षा की पूरी प्रक्रिया को किया जाए। यह पीएससी ने अपने हिसाब से मनमाना मतलब समझा और अर्थ का अनर्थ लगाकर गलत व्याख्या कर फैसला लिया।
पीएससी के दूसरे तर्क को भी किया खारिज
पीएससी ने दूसरी बार परीक्षा कराने को लेकर एक औऱ तर्क दिया था कि दूसरे रिजल्ट में अतिरिक्त पास हुए अन्य अभ्यर्थियों की केवल लिखित परीक्षा लेने से मेरिट तैयार करने में समस्या आएगी, क्योंकि पेपर को दो-दो स्तर हो जाएंगे। इस पर भी हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि साल 2011, 2013 और साल 2015 की परीक्षा के दौरान पीएससी अतिरिक्त अभ्यर्थियों के लिए विशेष परीक्षा ले चुका है, तब क्या ऐसी स्थिति नहीं बनी थी? यह कोई बात नहीं होती है, जिस तरह उस समय मेरिट सूची तैयार की थी, उसी तरह इस बार भी कीजिए।
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8894 अभ्यर्थियों का कोई हक नहीं बनता
याचिकाओं के दौरान यह बात सामने आई कि मार्च 2021 में हुई लिखित परीक्षा के दौरान 10767 अभ्यर्थी शामिल हुए, जिसमें से 1918 इंटरव्यू के लिए क्वालीफाई हुए और 8894 फेल हुए। यदि दूसरी बार परीक्षा सभी की होती है तो 8894 को दोबारा मौका मिलेगा, जो सफल हो चुके 1918 के साथ अन्याय होगा। इसलिए इन्हें दोबारा मौका नहीं दिया जाएगा। लेकिन पीएससी ने जो अक्टूबर 2022 में दूसरा रिजल्ट जारी किया, इसमें अतिरिक्त अभ्यर्थी 2721 पास हुए हैं, उन्हीं के लिए दोबारा विशेष लिखित परीक्षा की जाए।
छह माह में करना है पूरी प्रक्रिया
हाईकोर्ट में अपने आदेश में यह भी साफ निर्देश दिए हैं कि पीएससी द्वारा पूरी चयन प्रक्रिया छह माह में पूरी कर ली जाए। यानि इसमें विशेष लिखित परीक्षा कराना और रिजल्ट जारी कर इंटरव्यू करना और अंतिम चयन प्रक्रिया भी शामिल है।
उधर परीक्षा के आवेदन प्रक्रिया को पीएससी ने रोक दिया
उधर दोबारा लिखित परीक्षा के लिए मप्र लोक सेवा आयोग ने 14 दिसंबर से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू कराई थी, जिसे हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद रद्द कर दिया गया है और इसकी सूचना पीएससी ने अपनी साइट पर डाल दी है। इसमें यही कहा गया कि अपरिहार्य कारणों से इसे अभी रोका जाता है। बाद में सूचना दी जाएगी।
अब आगे क्या संभव
पीएससी के पास विकल्प है कि वह रिवीजन में चली जाए और विशेष परीक्षा नहीं कराकर अपने फैसले पर अडे रहे, ऐसे में प्रक्रिया और लंबी हो जाए। या फिर पीएससी हाईकोर्ट के फैसले को मान्य कर छह माह के भीतर अंतिम चयन प्रक्रिया पूरी कर ले।
साल 2020 की परीक्षा का भी फंस गया पेंच
पीएससी के फैसले का असर केवल साल 2019 परीक्षा नहीं बल्कि साल 2020 की राज्य सेवा परीक्षा पर भी होना है, क्योंकि इसकी भी प्री के बाद मैन्स हो चुकी है। यदि इसी आदेश को लें तो पीएससी ने भले ही इस लिखित परीक्षा का रिजल्ट जारी नहीं किया हो लेकिन वह इसे रद्द कर फिर से प्री का रिजल्ट नए सिरे से जारी कर सभी की दोबारा लिखित परीक्षा लेने की स्थिति में नहीं होगी। इस मामले में फिर हाईकोर्ट में मामला जा सकता है। ऐसे में अब पीएससी को राज्य सेवा परीक्षा 2019 के साथ ही 2020 को लेकर भी इस नए आदेश के परिप्रेक्ष्य में समझकर फैसला लेना होगा। यह तय है कि मामले में कोई ना कोई पक्ष अभी फिर याचिका लगाएंगे, इसमें पीएससी भी सकता है और वह 8894 अभ्यर्थी हो सकते हैं जो लिखित परीक्षा के रिजल्ट में फेल घोषित हो चुके हैं।
पूरी प्रक्रिया में अब तक यह हुआ
- 14 नवंबर 2019 को पीएससी ने राज्य सेवा परीक्षा 2019 के तहत 571 पदों की विज्ञप्ति जारी की