Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने फेफड़ों की खराबी के चलते शिक्षिका की मौत के मामले में सुनवाई करते हुए सभी संबंधित डॉक्टर्स को शपथ-पत्र पर यह स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं कि जब मरीज की आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव थी तो उसका कोविड का इलाज क्यों किया गया। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने डॉक्टरों को यह भी साफ करने कहा है कि रिकॉर्ड में मरीज की मृत्यु का कारण क्यों नहीं लिखा गया। मामले में अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी।
मामला कोरोना काल में शत प्रतिशत फेंफड़े खराब होने की वजह से शिक्षिका की मौत का है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कलेक्टर को सभी रिकॉर्ड पेश करने के निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट ने मरीज के मेडिकल रिकॉर्ड का अवलोकन करने पर यह कहा कि प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि मरीज की मौत कोविड से हुई है, हालांकि आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। इसलिए यह जानना जरूरी है कि डॉक्टर्स ने मरीज को कोरोना का इलाज क्यों दिया। पूर्व में अदालत ने मुख्यमंत्री अनुग्रह योजना का लाभ दिए जाने के संबंध में कलेक्टर को शिक्षिका के मेडिकल रिकॉर्ड जांच कर निर्णय पारित करने कहा था। कलेक्टर ने आवेदन को निरस्त कर दिया था, जिसके बाद मृतका के पति ने दोबारा हाईकोर्ट की शरण ली थी।
नरसिंहपुर निवासी अजीत कुमार सोनी ने याचिका दायर कर बताया कि उसकी पत्नी अभिलाषा शासकीय शिक्षिका के पद पर पदस्थ थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता योगेश मोहन तिवारी ने बताया कि मृतका को कोरोना होने पर 2 अप्रैल 2021 को अस्पताल में भर्ती कराया गया और तीन दिन बाद उसकी मौत हो गई थी। आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आई, लेकिन फेफड़े शत प्रतिशत डैमेज होने से मौत हुई थी। लेकिन मुख्यमंत्री कोविड 19 विशेष अनुग्रह योजना का लाभ परिवार को प्रदान नहीं किया गया।