Jabalpur. मध्यप्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में कुछ ठीक नहीं चल रहा है। एक तरफ तो एकेडमिक कैलेंडर नहीं होने के चलते एग्जाम समय पर नहीं हो पा रहे हैं, तो वहीं विश्वविद्यालय जो परीक्षा एक बार करा चुका है, उसे एक बार पुनः कराया जा रहा है। जिसके चलते अन्य सत्र के छात्र पिछड़ रहे हैं। मामला बीएमएलटी फर्स्ट ईयर की परीक्षा का है। जानकारी के अनुसार पिछले साल दिसंबर में सत्र 2019-20 के छात्रों ने प्रथम वर्ष की परीक्षा दी थी, जिसका रिजल्ट भी आ चुका है, लेकिन मेडिकल विश्वविद्यालय ने एक बार पुनः सत्र 2019-20 की सप्लीमेंट्री के साथ नए प्रवेश वाले विद्यार्थियों के लिए भी परीक्षा रख दी है, जो 16 नवंबर को होगी। दूसरी तरफ सेकेंड ईयर के स्टूडेंट्स की परीक्षाएं जनवरी माह में रखी गई हैं। जिससे 2020-21 सत्र की फर्स्ट ईयर की परीक्षाएं भी लेट होना तय हैं।
बीएमएलटी के छात्र यूनिवर्सिटी प्रशासन की इस कार्यप्रणाली से प्रभावित हो रहे हैं। 2020-21 सत्र के छात्रों ने बताया कि उनकी फर्स्ट ईयर की परीक्षाएं नियम के मुताबिक इस साल मार्च-अप्रैल में हो जानी चाहिए थीं, 6 माह बीतने को हैं लेकिन परीक्षाओं का अता-पता नहीं है। जिस तरह से टाइम-टेबल आ रहा है उसे देखकर लगता यही है कि एग्जाम अब अगले साल ही हो पाऐंगे। छात्रों का कहना है कि ऐसे में वे पूरे एक साल पीछे हो जाऐंगे। इधर एमयू के कुलसचिव डॉ पुष्पराज बघेल का कहना है कि 16 नवंबर से बीएमएलटी सत्र 2019-20 की सप्लीमेंट्री की परीक्षाएं रखी गई हैं, इनके साथ पात्रता रखने वाले वे स्टूडेंट्स भी शामिल होंगे जिनके कॉलेजों को किन्ही कारणवश देर से संबद्धता मिली। वहीं सत्र 2020-21 के छात्रों की परीक्षाएं अगले साल जनवरी माह में रखी जाएंगी।
विश्वविद्यालय द्वारा अपनाई जा रही कार्यप्रणाली पर सवाल भी उठने लगे हैं। एमपी स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष अभिषेक पांडे ने आरोप लगाया है कि एक बार सत्र 2019-20 की संबद्धता की प्रक्रिया हो जाने के बाद मिलीभगत से कुछ कॉलेजों को एफीलिएशन दिया गया, इसी के चलते अब उन कॉलेजों के स्टूडेंट्स को परीक्षाएं देने का मौका दिया जा रहा है, जो अन्य स्टूडेंट्स के साथ अन्याय है।