ग्वालियर के गांधी प्राणी उद्यान के सबसे बुजुर्ग शेर ने ली आखिरी सांस, 2012 में चिड़ियाघर में लाया गया था जय

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Rahul Garhwal
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ग्वालियर के गांधी प्राणी उद्यान के सबसे बुजुर्ग शेर ने ली आखिरी सांस, 2012 में चिड़ियाघर में लाया गया था जय

देव श्रीमाली, GWALIOR. ग्वालियर के गांधी प्राणी उद्यान की शान माने जाने वाले सबसे पुराने बब्बर शेर जय ने आज आखिरी सांस ली। जय के जाने से पूरे चिड़ियाघर की आंखें नम हो गईं। जय काफी लंबे समय से बीमार चल रहा था। उसकी उम्र 16 साल से ज्यादा थी।



जय ने खाना-पीना छोड़ दिया था



जय बीते एक पखवाड़े से बीमार था। ये बीमारी उम्र के कारण थी। इस दौरान उसने धीरे-धीरे खाना-पीना बेहद कम कर दिया था, जिससे शरीर में काफी कमजोरी भी हो गई थी। सामान्य तौर पर साधु और संत अपने अंतिम समय में ऐसे ही उपवास और अल्प आहार करके धीरे-धीरे देह को जर्जर करके प्राण त्यागते हैं। शेर ने भी यही तरीका अपनाया। डॉक्टरों का कहना था कि ये उम्र का भी प्रभाव है, जिसके चलते पाचन क्रिया में भी कमी आने लगती है। यही कारण था कि अब उसने खाना बेहद कम कर दिया था और सुबह के समय उसने आखिरी सांस ली।



2012 में ग्वालियर आया था जय



ग्वालियर चिड़ियाघर के क्यूरेटर गौरव परिहार का कहना है कि बब्बर शेर जय को 2012 में ग्वालियर के चिड़ियाघर में लाया गया था। उसके बाद से ही यहीं पर रहकर वो सबका लाड़ला बन गया था। जय अपनी उम्र पूरी कर चुका था। वो 16 साल से ज्यादा उम्र का था और बीते एक साल से उम्र के कारण बीमारियों से जूझ रहा था। बीते 1 सप्ताह से उसने धीरे-धीरे खाना पीना छोड़ दिया था। लगभग 15 दिनों से जय ने मटन खाना बंद कर दिया था और लगभग सूप के सहारे ही था और कभी-कभी वो भी नहीं पीता था। ये सब उम्र का प्रभाव था, जिसके चलते उसने भोजन बंद कर दिया था। डॉक्टर्स की टीम उसकी सतत निगरानी कर रही थी। खाना-पीना छोड़ने के बाद डॉक्टर उसे ड्रिप चढ़ा रहे थे।



जय का भरा-पूरा परिवार



आज जय सिंह के निधन के बाद अब वर्तमान में गांधी प्राणी उद्यान में 5 लॉयन मौजूद हैं। जिनमें 1 एडल्ट, 3 बच्चे और एक मादा मौजूद है। उन्होंने बताया कि जय और मादा लायन परी ने हाल ही में 3 बच्चों को जन्म दिया गया था। इनके नाम अर्जुन तमन्ना और रानी हैं।



शेर की मांद में पसरा सन्नाटा



परिवार के सबसे बुजुर्ग लॉयन के जाने के बाद से ही उसके साथ रहने वाले मादा और उनके बच्चे काफी उदास नजर आ रहे हैं। कैब्स में उसके साथ दिनभर अठखेलियां करने वाले बच्चे आज खामोश नजर आ रहे हैं। डॉक्टर उपेंद्र यादव कहना है कि जानवर सामूहिक रूप से रहना ज्यादा पसंद होता है। इसलिए उन्हें किसी साथी के अचानक कम होने अहसास ज्यादा होता है और वे रिएक्ट भी करते हैं। हालांकि वे ये जल्दी ही सब कुछ भूल भी जाते हैं। इसलिए कुछ दिन बाद ये अपने आप रिकवर करने लग जाएंगे।



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वन्य जीव खानून के तहत होगा अंतिम संस्कार



चिड़ियाघर के क्यूरेटर गौरव परिहार ने बताया कि शेर का अंतिम संस्कार पोस्टमार्टम के बाद वन विभाग की टीम के सामने किया जाएगा। इस दौरान जय का दाह संस्कार करके उसे अंतिम विदाई दी जाएगी। इस दौरान सभी वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे। उन्होंने बताया कि वर्तमान में हमारे पास हमारे क्षेत्र के हिसाब से शेरों की संख्या पर्याप्त है। इसलिए बाहर से किसी को लाने की आवश्यकता फिलहाल तो नहीं है। वर्तमान में भी हमारे पास 5 लॉयन मौजूद हैं।


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