Ujjain. उज्जैन के केंद्रीय भैरवगढ़ जेल में हुए जीपीएफ के घोटाले में गिरफ्तार हो चुकीं पूर्व जेल अधीक्षक ऊषा राजे को शासन ने निलंबित कर दिया है। शासन ने इस बाबत आदेश जारी कर दिए हैं। उधर पुलिस ने करीब 15 करोड़ के इस गबन मामले के आरोपी पूर्व जेल अधीक्षक ऊषा राजे और जेल प्रहरी रिपुदमन सिंह समेत 5 आरोपियों को कोर्ट में पेश किया। जहां से उनकी 5 दिन की रिमांड मांगी गई। अदालत ने सभी आरोपियों को 5 दिन की पुलिस रिमांड पर सौंपा है। सीएसपी अनिल सिंह मौर्य ने बताया कि भैरवगढ़ गबन कांड के आरोपियों से पूछताछ की जानी है, इसलिए उनकी रिमांड का आवेदन दिया गया था।
बता दें कि उज्जैन की केंद्रीय भैरवगढ़ जेल में कर्मचारियों के जीपीएफ का घोटाला चर्चा का विषय बना हुआ है। जेल के कर्मचारियों को इस बात की भनक भी नहीं लगी और उनके नाम से 15 करोड़ रुपए निकाल लिए गए। गबन का मास्टरमाइंड जेल प्रहरी रिपुदमन अपने साथियों के साथ मिलकर इस गफलत को अंजाम दे रहा था, आरोप है कि इस पूरे कांड में जेल अधीक्षक की भी भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। जिसके बाद उन्हें अरेस्ट किया गया था। इस मामले में भैरव थाने में विभिन्न धाराओं के तहत मामला पंजीबद्ध हुआ था। जिसके बाद आरोपी रिपुदमन को बनारस से दबोचा गया था। उसके साथी शैलेंद्र सिकरवार और धर्मेंद्र लोधी पर ईनाम का ऐलान भी किया गया था।
- यह भी पढ़ें
फर्जी साइन और धांधली के जरिए निकाले पैसे
इस मामले में जिला कोषालय में प्रारंभिक जांच में केंद्रीय जेल के फर्जी दस्तावेज के आधार पर जीपीएफ ट्रांजेक्शन में गड़बड़ी मिली थी। प्रारंभिक पड़ताल में पुलिस को यह पता चला है कि मास्टरमाइंड रिपुदमन ने पहले तो किसी कर्मचारी के जीपीएफ निकालने के आवेदन में गड़बड़ी की गई। जैसे यदि कर्मचारी ने 1 लाख 70 हजार रुपए निकालने का आवेदन दिया तो उसके आवेदन की राशि को 17 लाख कर दिया गया। वहीं अनेक कर्मचारियों के नाम से फर्जी आवेदन बनाकर जीपीएफ निकाल लिया गया। जांच में 13 करोड़ 50 लाख 46,325 रुपए की राशि का अनियमित भुगतान हुआ था। इस मामले के सामने आते ही जेल मुख्यालय द्वारा जेल उप महानिरीक्षक (कल्याण) की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति गठित की गई। जिसकी जांच में लगभग 15 करोड़ का अनियमित भुगतान और गबन किया जाना पाया गया।