GWALIOR. जिस तरह से त्रिलोक के पहले पत्रकार देवर्षि नारद ने लोगों की भलाई के लिए काम किया, इसी तरह से समस्याओं को उठाते हुए हमें जनकल्याणकारी पत्रकारिता करना चाहिए। हालांकि विरोधियों ने नारद मुनि के चरित्र को विकृत कर दिया था, लेकिन उनका उद्देश्य हमेशा भलाई रहा। आज पत्रकारों की विश्वसनीयता पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया है। पत्रकार का काम सनसनी फैलाना नहीं समस्या का समाधान कराना है।
यह बात उत्तर प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री एवं अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष हिंदी साहित्य भारती डॉ.रवीन्द्र शुक्ल ने बाल भवन सभागार में आयोजित आद्य पत्रकार देवर्षि नारद जयंती पत्रकारिता सम्मान एवं संवाद कार्यक्रम में मुख्य वक्ता की आसंदी से कही। मामा माणिकचंद वाजपेयी स्मृति सेवा न्यास के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार हरिमोहन शर्मा थे। अध्यक्षता न्यास के अध्यक्ष दीपक सचेती ने की। चयन समिति के अध्यक्ष दिनेश चाकणकर एवं कार्यक्रम संयोजक राजीव अग्रवाल भी मंचासीन थे।
मुख्य वक्ता डॉ.शुक्ल ने कहा कि पत्रकार समाज हित में सत्य का साथ दें, लेकिन ऐसी पत्रकारिता न करें जिससे भारत का अहित हो। उन्होंने कहा कि देश में आज जातिवाद, सांप्रदायिकता सहित कई समस्याएं विस्फोटक स्थिति में है। ऐसे में सकारात्मक पत्रकारिता बहुत जरूरी है। श्री शुक्ल ने मनु स्मृति और श्रीमद् भगवत गीता का उद्धरण देते हुए कहा कि मनुष्य जन्म से शूद्र पैदा होता है। कर्म के आधार पर जाति व्यवस्था तय होती थी। उन्होंने रामायण की चौपाई का उदाहरण देते हुए कहा कि ताड़ना का अर्थ प्रताड़ना नहीं है, बल्कि देखभाल करना और विशेष रूप से ध्यान देना है। चयन समिति में शामिल दिनेश चाकणकर, प्रवीण दुबे, बलराम सोनी एवं विनय अग्रवाल को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में सरस्वती वंदना साहित्यकार करुणा सक्सेना ने की। शासकीय उमावि मॉडल डीडी नगर के गौरव गुर्जर तथा अलका कौरव ने गणेश वंदना पर रिदमिक योग की प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया। अतिथियों का परिचय वरिष्ठ पत्रकार गोपाल लालवानी ने एवं चयन समिति का परिचय सरिता सिंह ने दिया। प्रस्तावना कार्यक्रम संयोजक राजीव अग्रवाल ने रखी। संचालन राजेश वाधवानी एवं आभार कार्यक्रम सह संयोजक रवि उपाध्याय ने व्यक्त किया।
पत्रकार आत्म निरीक्षण करें: शर्मा
मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार हरिमोहन शर्मा ने कहा कि पत्रकारों को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि वह कैसा काम कर रहे हैं। उनकी समाज मे छवि कैसी है। इसलिए वह अपने साथियों के साथ महीने में एक बार गोष्ठी कर विमर्श करें। उन्होंने कहा कि हमें सामाजिक सरोकार की पत्रकारिता पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
अपनी अस्मिता को बचाएं: सचेती
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे दीपक सचेती ने कहा कि हमें अपने अस्तित्व को पहचानकर अपने गौरवशाली इतिहास पर गर्व करना चाहिए। देश में व्याप्त सामाजिक विषमताओं को दूर करें तभी अपनी अस्मिता बची रहेगी।
इनका हुआ सम्मान
श्रेष्ठ प्रवासी पत्रकार सम्मान हरीश दिवेकर (द सूत्र), श्रेष्ठ पत्रकारिता सम्मान हरीश दुबे (स्थानीय संपादक नवभारत), श्रेष्ठ संवाददाता सम्मान जोगेंद्र सेन (नई दुनिया), श्रेष्ठ सांध्य दैनिक सम्मान बृजमोहन शर्मा (स्थानीय संपादक प्रदेश टुडे), इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में श्रेष्ठ पत्रकारिता सम्मान सर्वेश पुरोहित (आज तक), श्रेष्ठ रेडियो (एफ.एम.) पत्रकार सम्मान सुरेन्द्र माथुर (स्टेशन हेड रेडियो चस्का), श्रेष्ठ आंचलिक पत्रकारिता सम्मान अनिमेष शर्मा (दैनिक भास्कर), श्रेष्ठ लघु समाचार पत्र सम्मान हरीश उपाध्याय (संपादक श्रीराम एक्सप्रेस), श्रेष्ठ छायाकार सम्मान केदार जैन, श्रेष्ठ महिला पत्रकार सम्मान रूपाली ठाकुर (दैनिक भास्कर), श्रेष्ठ पत्रकारिता शिक्षक सम्मान श्याम पाठक, श्रेष्ठ वेब पोर्टल /डिजिटल मीडिया सम्मान अजय मिश्रा (सांध्य देश), श्रेष्ठ नागरिक पत्रकारिता सम्मान नितिन शुक्ला, श्रेष्ठ नवोदित पत्रकार सम्मान राजेंद्र ठाकुर(पत्रिका) एवं शुभम चौधरी(स्वदेश) को दिया गया।