VIDISHA. मध्यप्रदेश के विदिशा जिले के लटेरी में 1 जून को वन कर्मियों और लकड़ी तस्करों के बीच जमकर भिड़ंत हुई थी। इसमें पुलिस की मदद के बाद बेशकीमती लकड़ी और 2 तस्करों को गिरफ्तार किया गया था। जंगल माफिया, क्षेत्र में इतने सक्रिय हैं कि पिछले 9 महीनों में वन कर्मियों और तस्कारों के बीच 14 बार संघर्ष हो चुका है। चार घटनाओं में तो वनकर्मी किसी तरह जान बचा सके हैं, लेकिन इस दौरान एक युवक की जान भी जा चुकी है। बताते हैं 1 जून को लकड़ी तस्कर पूरी तैयारी से आए थे। इसमें 25 बाइक पर करीब 50 तस्कर लकड़ी लेकर जा रहे थे। मुठभेड़ में तस्करों ने वन विभाग के वाहनों पर पथराव किया और गोफन तक से हमला किया था। वनकर्मियों के मुताबिक उन्हें देख लकड़ी तस्करों ने सड़क पर लकड़ी पटककर रास्ता रोक लिया था, बड़ी मुश्किल में जान बचाकर पुलिस थाने पहुंचे और फिर पुलिस की मदद से कार्रवाई की।
वनकर्मी और लकड़ी तस्करों में ढाई घंटे हुई थी मुइभेड़
विदिशा जिला मुख्यालय से 85 किलोमीटर दूर लटेरी का जंगल है। इस जंगल में एक मई को सागौन की लकड़ी काटकर मकसूदनगढ़ की तरफ भाग रहे लकड़ी तस्कर और वन कर्मियों के बीच मुठभेड़ हो गई। यह मुठभेड़ करीब 2.30 घंटे चली। जिसमें 3 वनकर्मी घायल हो गए। वहीं, 4 गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो हुईं। हालांकि, कार्रवाई में पहली बार वनकर्मियों ने ग्राम मुंडेला निवासी बबलू सहिया और राजू गुर्जर को दबोचा है। इस दौरान, 58 चरपट सागौन, 4 मोटर साइकिल भी जब्त की गई। जब्त की गई सागौन की कीमत 1.75 लाख की रुपए है।
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सड़क पर सागौन की सिल्लियां डाल कर रोके वाहन
दरअसल, वन विभाग की गश्ती टीम को चौकी-कोटरा बैरागढ़ के जंगल से पगडंडियों के रास्ते सुबह करीब 4 बजे बाइक पर जाते दिखी। इसके बाद तीन गाड़ियों में सवार 25 वन कर्मी उनके पीछे चल दिए। करीब 35 किलोमीटर का पीछा किया। टीम ने दो तस्करों को पकड़ लिया। इस दौरान वन मकसूदनगढ़-सुठालिया बायपास पर तस्करों ने सागौन की सिल्ली रोड पर पटक दी। कुछ आगे बढ़े, तो तस्करों ने मकसूदनगढ़ में सुठालिया रोड पर गाड़ी अड़ा कर वन कर्मियों के वाहन रोक दिए। रास्ते में काटी गई सागौन की सिल्लियां डाल दी गईं।
एसपी को फोन के बाद मिल सकी पुलिस की मदद
वन कर्मी कुछ समझ पाते, इससे पहले ही पत्थरबाजी होने लगी। चारों तरफ से घिरा देख टीम सड़क पर पड़ी लकड़ियों के बीच से आगे बढ़ती रही। सिल्लियों से रास्ता ब्लाक होने से धीमी रफ्तार में गाड़ी आगे बढ़ती जा रही। इस दौरान कभी पत्थर गाड़ी पर पड़ता, तो कभी कांच तोड़ते हुए वन कर्मियों पर जा लगते। आखिरकार टीम सुठालिया थाने पहुंची और पूरा घटनाक्रम बताया। लेकिन, यहां भी सीमा विवाद होने के वजह से दूसरे मकसूदनगढ़ थाने जाने के लिए कह दिया गया। इसी दौरान डीएफओ ओएस मर्सकोले ने एसपी को फोन लगाया, तब जाकर वन विभाग की टीम को मदद मिल सकी। इसके बाद फिर टीम घटना स्थल पर गई और वहां से सड़क पर पड़ी लकड़ियां जब्त कर लाई। घटनाक्रम में संतोष सिंह, गगन सिंह और जितेंद्र शर्मा समेत कई वन कर्मी घायल हुए हैं।
3 महीने पहले डिप्टी रेंजर से हुई थी मारपीट
विदिशा के लटेरी के जंगल में पिछले 9 महीने के दौरान 14 बार वन विभाग के कर्मचारियों और लकड़ी चोरों के बीच झड़प हो चुकी है। इसमें चार बार कर्मचारियों पर जानलेवा हमले हो चुके हैं। डीएफओ ओमकार सिंह मरकाम ने बताया कि पिछले साल अगस्त में लकड़ी तस्करों और वन कर्मियों की मुठभेड़ में एक लकड़ी तस्कर की मौत हुई थी। मामले में भी लकड़ी तस्करों ने वन कर्मियों पर हमला किया था। इसके एक 6 महीने बाद नवंबर में एक वनकर्मी को घायल किया था। तीन महीने पहले एक डिप्टी रेंजर के साथ तस्करों ने मारपीट की थी।