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संजय गुप्ता, INDORE. एमपीसीए (मप्र क्रिकेट एसोसिएशन) की 10 दिसंबर को होने वाली चुनावी एजीएम से पहले ही नई मैनेजिंग कमेटी का चेहरा लगभग साफ हो गया है। द सूत्र को मिली जानकारी के अनुसार खुद केंद्रीय मंत्री और एमपीसीए के पूर्व प्रेसीडेंट ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रविवार के दिन चुनाव लड़ने के मजबूत उम्मीदवार और दावेदारों को फोन करके उन्हें चुनाव में नहीं उतरने के लिए कह दिया है।
खांडेकर-राव वाली पुरानी कमेटी ही होगी रिपीट
संदेश दिया गया है कि प्रेसीडेंट अभिलाष खांडेकर और सचिव संजीव राव वाली वर्तमान मैनेजिंग कमेटी को ही रिपीट किया जाएगा। सिंधिया के इस फॉर्मूले से बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के खास और रणजी सीनियर टीम के सिलेक्टर अमिताभ विजयवर्गीय का अब चुनाव लड़ने से पीछे हटना तय हो गया है। इसी तरह प्रेसीडेंट पद पर उतरने की मंशा पाले हुए मिलिंद कनमड़ीकर और सचिव पद के दावेदार पूर्व अंपायर सुधीर असनानी के भी चुनाव में नहीं उतरना लगभग तय हो गया है। 6 और 7 दिसंबर को नॉमिनेशन है और 10 दिसंबर को चुनावी एजीएम है।
सिंधिया क्यों ला रहे पुरानी कमेटी
सिंधिया ने जिन्हें फोन किया उनसे एक ही बात कही है कि परिवार में चुनाव नहीं होना चाहिए और इस आधार पर उन्होंने दावेदारों को शांत बैठाया, साथ ही कहा कि इसी टीम के कारण मध्यप्रदेश पहली बार रणजी ट्राफी चैंपियन बना है, ऐसे में उन्हें बदलना ठीक संदेश नहीं जाएगा। 4 अक्टूबर को टी-20 मैच के दौरान नगर निगम और एमपीसीए के बीच उठे विवाद के दौरान भी खांडेकर जिस तरह से ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ मैदान में उतरे, उससे भी उन्होंने कई सदस्यों के विरोध के बाद भी सिंधिया के पास और जगह बना ली। संदेश दिया गया कि एमपीसीए को उनके जैसे दमदार प्रेसीडेंट की जरूरत है। इन सभी के चलते अब पुरानी कमेटी को ही लाने की तैयारी का जा रही है।
सिंधिया ने अमिताभ विजयवर्गीय से चुनाव नहीं लड़ने को कहा
बताया जाता है कि सिंधिया द्वारा विजयवर्गीय को चुनाव नहीं लड़ने के लिए किए गए फोन के दौरान ये बात विजयवर्गीय की ओर से कही गई कि रणजी चैंपियन बनाने में उनका और पूरी सिलेक्शन टीम का भी काफी अहम रोल रहा क्योंकि टीम का सही संयोजन कर उन्हें चुना तो सिलेक्टर्स ने ही है, तो ऐसे में उन्हें भी आगे बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इस पर सिंधिया ने कहा कि बात सही है लेकिन फिलहाल मैनेजिंग कमेटी में बड़े स्तर पर फेरबदाल नहीं चाहते हैं। इसके बाद विजयवर्गीय ने खुद को पीछे कर लिया।
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2019 के चुनाव में क्या हुआ था
आपको बता दें कि साल 2019 के चुनाव में वो मात्र 17 वोट से संजीव राव से चुनाव हारे थे और बीते चुनाव में केवल 5 पदों के लिए चुनाव हुए थे जिसमें सचिव पद, कोषाध्यक्ष पद और क्रिकेट कमेटी के 3 पद थे। हालांकि इन सभी पांचों पद पर सिंधिया समर्थक ही चुनाव जीते थे।