देव श्रीमाली, GWALIOR. इस समय केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी और ग्वालियर के सिंधिया राजघराने की महारानी प्रियदर्शिनी राजे चर्चा में हैं। वे उस समय चर्चा में आईं जब उन्होंने अचानक मांडरे की माता के पास बनी कैंसर हिल्स के नाम को डरावना बताते हुए इसको बदलने की मुहिम शुरू की। उन्होंने लोगों से इसके लिए नए नाम भी मांगे। वे अपने महल से पैदल ही मांडरे की माता तक पहुंचीं। उनकी इस सक्रियता के सियासी मायने तलाशे जाने लगे हैं। लोगों के मन में ये सवाल उठने लगा है कि क्या ये ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए अगले लोकसभा चुनाव की सियासी जमीन मजबूत करने की कोशिश है।
कैंसर हिल्स का नाम बदलने की मुहिम
पिछले सप्ताह प्रियदर्शिनी जयविलास परिसर के म्यूजियम में आयोजित होने वाले इकम नामक कार्यक्रम के आयोजन की जानकारी देने के लिए कुछ लोगों से रूबरू हुईं और चुनिंदा पत्रकारों को भी वहां बुलाया गया। ये आयोजन म्यूजियम में हर साल किया जाता है और इसका मकसद स्थानीय कलाकारों, प्रतिभाओं, खानपान और अन्य विधाओं से जुड़े लोगों और आंत्र्प्रेन्योर को एक मंच देना होता है। लेकिन इस आयोजन से ज्यादा चर्चा निजी बातचीत की होने लगी। हुआ यूं कि यहां चर्चा में प्रियदर्शिनी राजे ने बताया कि वे मांडरे की माता पर इकम से जुड़े लोगों के स्टॉल लगाना चाहती हैं ताकि शहर के लोग भी इससे जुड़ सकें। उन्हें वहां जाने में डर-सा लगता है जब इसका नाम सुनती हैं। लोग बोलते हैं कि कैंसर पहाड़ी पर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे निगेटिव भावना दिमाग में आती है लिहाजा इसका नाम बदला जाना चाहिए।
वीडियो देखें.. महल से निकलकर सड़क पर उतरीं महारानी, गर्मा गई सियासत
मांडरे माता मंदिर की तरफ पैदल गईं प्रियदर्शिनी
अगले दिन उनका बयान मीडिया में सुर्खियों में आया और मामले ने तब अचानक और तूल पकड़ लिया जब वे दूसरे दिन सुबह वे महल के जीवाजी क्लब गेट से निकलकर ही मांडरे की माता मंदिर की तरफ पैदल ही चलकर गईं। ये मंदिर कैंसर पहाड़िया के ऊपर ही बना है। यहां उन्होंने लोगों से इसके लिए नया नाम भी पूछा, उसकी रायशुमारी भी हुई।
महारानी का सड़क पर उतरने के पीछे एजेंडा क्या है ?
हालांकि प्रियदर्शिनी ने इसको लेकर किसी भी तरह की राजनीतिक बात नहीं की। उन्होंने कहा कि वे ग्वालियर की बहू हैं और यहीं रहती हैं इसलिए वे लगातार इस तरह की कोशिश करती रहती हैं। लेकिन इससे इतर इसके सियासी मायने तलाशे जाने लगे कि सामान्य तौर पर सार्वजनिक आयोजनों से दूरी बनाकर रखने वाली सिंधिया परिवार की महारानी के अचानक सड़क पर पैदल उतर पड़ने के पीछे का एजेंडा क्या है। इसके साथ ही सिंधिया या उनकी पत्नी के आगामी लोकसभा या विधानसभा चुनावों में मैदान में उतरने की चर्चाएं शुरू हो गईं। कांग्रेस इसे ज्योतिरादित्य सिंधिया के ग्वालियर से चुनाव लड़ने की तैयारी का हिडन एजेंडा ही मान रही है।
पदयात्रा जनसंपर्क का बेहतरीन जरिया
जानकार कहते हैं कि पदयात्रा को जनसंपर्क का एक बेहतरीन जरिया माना जाता है जो चुनाव में बहुत काम आता है। चुनाव के पहले अक्सर नेताओं के परिजन का मेलजोल बढ़ जाता है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा हो या फिर उमा भारती की शराब के खिलाफ मुहिम में प्रदेशभर का भ्रमण इन सबको चुनाव से जोड़कर ही देखा जाता है।
'हर काम को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए'
उधर बीजेपी प्रियदर्शिनी राजे की सक्रियता में किसी तरह की राजनीति नहीं देखती। पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष कमल माखीजानी का कहना है कि हर काम को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। आगे कौन चुनाव लड़ेगा और कौन नहीं इसका फैसला भी आज नहीं समय आने पर पार्टी द्वारा किया जाएगा।
क्या सिंधिया ग्वालियर सीट से ही लड़ेंगे अगला चुनाव ?
दलबदल के बाद सिंधिया ग्वालियर में खूब समय दे रहे हैं। उनके बिना न तो यहां कोई उदघाटन हो सकता है और न शिलान्यास। इससे अटकलें लगने लगी हैं कि अगला चुनाव सिंधिया ग्वालियर सीट से ही लड़ेंगे। हालांकि अभी वे राज्यसभा के सदस्य हैं और उनका काफी कार्यकाल बाकी है। इसके बावजूद लोगों को लगता है कि वे लोकसभा का चुनाव लड़कर अपनी लोकप्रियता का प्रदर्शन करना चाहेंगे जो गुना की पराजय से हुई है।