BHOPAL. हरीश दिवेकर, सालों से राजनीतिक वनवास झेल रहे कैलाश विजयवर्गीय की मुख्य धारा में वापसी हो सकती है। दूसरी बार राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद जेपी नड्डा अपनी पुरानी टीम के साथ पहली बार बैठक कर रहे हैं। एमपी, सीजी और राजस्थान के साथ 6 अन्य राज्यों के चुनावों को देखते हुए ये बैठक अहम मानी जा रही है। ऐसा माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद कैलाश विजयवर्गीय को नई जिम्मेदारी मिलने की संभावना है। खबरीलाल की माने तो जिम्मेदारी के दौर में मध्यप्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव की भूमिका भी बदली जा सकती है।
ताई का बड़ा बेटा सियासत का उत्तराधिकारी
भाई का बेटा विधायक बनने के बाद अब ताई की अपने बड़े बेटे को राउ के चुनावी मैदान में उतारने के मूड में हैं। राउ मराठी बाहुल्य इलाका माना जाता है, यहां 20 हजार मराठी भाषी लोग रहते हैं। ताई के राजनीति से संन्यास लेने के बाद माना जा रहा था कि उनकी कमान मंदार महाजन संभालेंगें। लेकिन इस आयोजन की कमान बड़े बेटे मिलिंद महाजन को मिलने के बाद ये साफ हो गया है कि ताई की सियासत का उत्तराधिकारी मिलिंद ही होगा। मिलिंद के लिए राउ के राजेन्द्र नगर में देशभर के मराठी दिग्गज हस्तियों का जमावड़ा किया जा रहा है। इस आयोजन में ज्योतिरादित्य सिंधिया, देवेन्द्र फड़णवीस, भैय्या जी जोशी सहित कई नाम शामिल हैं। मजेदार बात है कि इंदौर शहर के अध्यक्ष और मराठी युवा चेहरे गौरव रणदीवे को इस आयोजन से दूर रखा गया है। राजनीति में तो ये सब चलता है।
दिन में विरोध रात को जाम पे जाम
मालवा के एक कारोबारी विधायक का दारु पर विरोध करना चर्चा का विषय बना हुआ है। कारण कि माननीय खुद सुरा प्रेमी है, पूरे जिले को मालूम है कि विधायक के बंगले पर रात 11 से 2 बजे तक मदिरापान का आयोजन चलता है। कहावत है ना रात के अंधेरे में आशनाई करते हैं और सुबह के उजाले में पहचानने से इंकार करते हैं। ऐसा ही कुछ माननीय के साथ है पार्टी का संदेश आया कि नई शराब नीति में आहते बंद होने पर सरकार की वाहवाही करना है और नशा करना गंदी आदत है इसे प्रचारित करना है तो माननीय ने कर दिया।
लाड़लों को आईएएस बनाने टाली डीपीसी
राप्रसे के अफसरों में चर्चा है कि मैडम ने अपने लाड़लों को आईएएस बनाने के लिए डीपीसी की बैठक टलवा दी। ये हम नहीं कह रहे हैं, 2002 बैच के राप्रसे अफसर बंद कमरे में बैठक कर इस बात को कह रहे हैं। दरअसल, ये बैठक 27 फरवरी को होना थी, लेकिन कार्मिक ने 2006 बैच के अफसरों की भी डीपीसी कराने का प्रपोजल भेज दिया। डीपीसी के ऐन पहले दूसरा प्रपोजल आने के कारण यूपीएससी ने 27 की डीपीसी टाल दी। कार्मिक विभाग की इस कारनामे से 2002 बैच के अफसरों में नाराजगी है। उनका कहना है कि हमारी डीपीसी के बाद 2006 के बैच का प्रपोजल जाता तो हमारी डीपीसी नहीं अटकती। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस बैच के दो अफसर कार्मिक में ही पदस्थ हैं।
चले थे खुशी बांटने दुख को गले लगा बैठे
डीजी लेवल के आईपीएस अफसर को काम में खुशी ढूंढते हुए जीवन भर खुश रहने की किताब लिखना भारी पड़ गया। उनकी किताब पढ़कर कितने लोग अपने जीवन और काम में खुशी ढूंढ पाते हैं वो तो पता नहीं, लेकिन साहब ने अपनी बुक को पब्लिश करने की अनुमति लेकर जरुर बेवजह की उलझन ले ली है। दरअसल साहब के चाहने वालों ने गृह विभाग के आला अफसरों से कानाफुसी कर दी है। ऐसे में अब साहब से सवाल जवाब की तैयारी की जा रही है। आपको बता दें ये साहब पहले से मामा की वक्र दृष्टी का शिकार चल रहे हैं। कभी ये महाराज की गुड बुक में माने जाते थे, लेकिन करोड़ों का हिसाब न मिला तो महाराज ने भी मुंह मोड लिया। घर पर खाली बैठकर जीवन में खुशी ढूंढने पर किताब लिख डाली, लेकिन अनुमति लेना भूले तो अब खुशी की किताब दुख का कारण बनती दिख रही है।
पीएस की बल्लेबाजी से परेशान कमिश्नर
प्रमुख सचिव की बल्लेबाजी से विभाग के कमिश्नर परेशान हैं, धीमे और सधे लहजे में कमिश्नर से पीएस को समझा दिया है कि यदि कोई काम कराना है तो उन्हें बता दें, सीधे संचालनालय के अधिकारियों से संपर्क न करें। दरअसल हिसाब-किताब का काम आने पर प्रमुख सचिव सीधे संचालनालय के निचले अफसरों को बुलाकर काम करा रहे हैं, आयुक्त को इसकी भनक भी नहीं लगती और काम हो जाता है। पीएस के इस खेल की जानकारी मिलते ही आयुक्त ने आग्रह किया है कि उनकी जानकारी के बगैर संचालनालय से सीधे काम न करवाएं। आयुक्त को डर है कि कहीं कोई खेला हो गया तो संचालनालय प्रमुख होने के नाते उन पर ही गाज गिरेगी।