BHOPAL. क्या ईंट और गारे से बना भवन किसी को सत्ता या वनवास दिलाने में अहम भूमिका निभाता है। ये सवाल इसलिए पैदा हो रहा है क्योंकि प्रदेश में चुनाव आने से ऐन पहले 2 मुख्य राजनीतिक दल कांग्रेस और बीजेपी के प्रदेश मुख्यालयों में बड़ा बदलाव हो रहा है। बीजेपी 18 साल से सत्ता में है इसलिए उसका 7 मंजिला भवन बन रहा है तो कांग्रेस मुख्यालय के बेसमेंट में नवनिर्माण हो रहा है। इसके पीछे की बड़ी वजह वास्तु को माना जा रहा है। कांग्रेस के भवन में वास्तु के हिसाब से बड़ा बदलाव किया जा रहा है।
पंचांग की भविष्यवाणी वाली बाइट
जबलपुर के बाबूलाल चतुर्वेदी पंचांग की भविष्यवाणी के बाद कांग्रेस अंदरूनी तौर पर बहुत उत्साहित है। पंचांग ने सत्ता पाने की भविष्यवाणी की है। ज्योतिष के बाद कांग्रेस ने वास्तु से अपना वास्ता बना लिया है। सत्ता का सूखा मिटाने के लिए कांग्रेस अपने मुख्यालय में बड़ा बदलाव कर रही है। ये बदलाव वास्तु के हिसाब से हो रहा है। ये पूरा बदलाव अंडर ग्राउंड है। इंदिरा भवन के बेसमेंट में नया निर्माण कार्य चल रहा है। अंडर ग्राउंड मीटिंग के लिए हॉल है, तो अलग-अलग चैंबरों के लिए स्थान निर्धारित किया जा रहा है। चुनावी समय में कमलनाथ इसी हॉल में अंडर ग्राउंड मीटिंग करेंगे। यहां पर उनके लिए भी वास्तु आधारित चैंबर बनाया जा सकता है। हालांकि कांग्रेस अपनी तरह से बात करती है।
कमलनाथ ने बदला एंट्री गेट
वास्तुविदों की सलाह पर कमलनाथ ने पीसीसी में प्रवेश के लिए एंट्री गेट भी बदल लिया है। अब उनकी गाड़ी मुख्य द्वार से पीसीसी में प्रवेश नहीं करती बल्कि दाईं ओर बने गेट से कार्यालय में एंट्री करती है। हाल ही के दिनों में ये बड़ा बदलाव माना जा रहा है। वास्तु आधारित बदलाव कांग्रेस में सिर्फ अभी नहीं हो रहा। साल 2018 में भी वास्तु के हिसाब से थोड़े बहुत बदलाव किए गए थे। संयोग से कांग्रेस को सत्ता भी मिल गई तो उसका विश्वास और बढ़ गया। हालांकि सत्ता कम समय के लिए मिली अब इसका क्या कारण रहा ये अलग बात है। क्या वाकई में वास्तु के बदलाव से सत्ता हासिल की जा सकती है। इस सवाल पर वास्तुविदों की अपनी राय है।
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बीजेपी मुख्यालय में भी हो रहा बड़ा बदलाव
अकेले कांग्रेस मुख्यालय में ही नहीं बल्कि बड़ा बदलाव तो दीनदयाल परिसर यानी बीजेपी मुख्यालय में भी हो रहा है। यहां पर बीजेपी पुराने कार्यालय को तोड़कर भव्य और आलीशान 7 मंजिला बिल्डिंग बनाने जा रही है। इसका निर्माण कार्य भी शुरू हो चुका है। नया भवन में भी वास्तु का पूरा हिसाब रखा जा रहा है। हालांकि बीजेपी इसे बढ़ती हुई पार्टी की जरूरत बता रही है। इसके पीछे वजह भी है क्योंकि बीजेपी की सत्ता में हैट्रिक इसी कार्यालय से हुई है, लेकिन चुनाव के पहले का ये बड़ा बदलाव तो हो ही रहा है।
वास्तु का असर देखने के लिए करना होगा इंतजार
अब इसे आस्था कहें, अतिविश्वास या अंधविश्वास, शब्द कुछ भी हो सकते हैं, लेकिन यदि इससे सत्ता प्राप्ति का भरोसा होता है तो इसे आजमाने में नुकसान ही क्या है। हालांकि इसका कितना असर पड़ेगा इसके लिए हमें धैर्य के साथ थोड़ा इंतजार करना चाहिए।
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