मध्यप्रदेश कांग्रेस में कमलनाथ करेंगे बड़ा बदलाव, जिला अध्यक्षों के साथ कई विधायकों को भी लगेगा झटका

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Harish Divekar
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मध्यप्रदेश कांग्रेस में कमलनाथ करेंगे बड़ा बदलाव, जिला अध्यक्षों के साथ कई विधायकों को भी लगेगा झटका

BHOPAL. नए साल से पहले कांग्रेस का चेहरा पूरी तरह बदला होगा। चुनावी साल की कांग्रेस पहले से ज्यादा अनुशासित, संगठित और नए चेहरों से लैस होगी। कम से कम बैठकों का दौर तो इसी ओर इशारा कर रहा है। 2018 से सबक लेकर प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ अब कुछ अहम फैसले लेने के मूड में हैं जिसका शिकंजा गोविंद सिंह और जीतू पटवारी जैसे वरिष्ठ नेताओं पर भी कसेगा।



कांग्रेस कर रही उसूलों पर चलने की तैयारी



ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के चुनाव के वक्त खबरें थीं कि कमलनाथ का नाम रेस में सबसे आगे था लेकिन कमलनाथ प्रदेश को ही पूरा समय देना चाहते हैं। 2018 में मध्यप्रदेश में जीत का स्वाद चख चुकी कांग्रेस एक बार फिर वापसी करने को बेताब है। न सिर्फ कांग्रेस बल्कि कमलनाथ भी 2023 में बड़ी जीत की ताबीर गढ़ना चाहते हैं। इस मकसद को लेकर कांग्रेस अब पहले से ज्यादा सख्त और उसूलों पर चलने की तैयारी कर चुकी है जिसकी शुरुआत हो भी चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि बहुत जल्द कुछ विधायकों पर गाज गिर सकती है और कई जिलाध्यक्षों को बाहर का रास्ता देखना पड़ सकता है।



कांग्रेस में हो सकते हैं बड़े बदलाव



मध्यप्रदेश कांग्रेस में बड़े बदलावों का फैसला जनवरी 2023 के शुरुआती दिनों में ही लिया जा सकता है। दिन मुकर्रर हुआ है 8 जनवरी 2023। जब कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ एक बड़ी बैठक करने वाले हैं। खबर है कि इस बैठक में उनके साथ सहप्रभारी शामिल होंगे। जो अपने-अपने जिलों की रिपोर्ट उनके सामने पेश करेंगे। यही रिपोर्ट सख्त फैसलों का आधार बनेगी। सहप्रभारियों की रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस हर जिले में अपनी स्थिति का आंकलन करेगी और ये तय होगा कि जिला प्रभारी बदलना कितना जरूरी हो चुका है। उसके बाद बारी आएगी बड़े फेरबदलों की।



बीजेपी के क्राइटेरिया से मेल खाते हैं कांग्रेस के नियम



न सिर्फ सह प्रभारियों की रिपोर्ट बल्कि कांग्रेस संगठन ने खुद इस बार कुछ सख्त नियम तैयार किए हैं। ये नियम काफी कुछ बीजेपी के अलग-अलग क्राइटेरिया से मेल खाते हैं। उन नियमों पर अमल करते हुए कांग्रेस में बड़े बदलावों को तरजीह दी जाएगी। हाल ही में भोपाल में हुई प्रभारियों और सहप्रभारियों की बैठक में कमलनाथ ये ताकीद कर चुके हैं कि इस बार मुकाबला बीजेपी के नेताओं से ही नहीं बीजेपी के संगठन से भी होगा। लिहाजा कोताही बरतना भारी पड़ सकता है।



मिशन-2023 की तैयारी कर रही कांग्रेस



कमलनाथ की कांग्रेस इस बार किसी कॉकटेल की तरह होगी जिसमें कुछ नियम पुराने तजुर्बे के आधार पर बनेंगे। कुछ बीजेपी संगठन की तर्ज पर बनेंगे और कुछ नए नियम भी होंगे जिसके साथ कांग्रेस मिशन 2023 की तैयारी करेगी। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भी बहुत से जिलाध्यक्षों के परफॉर्मेंस का आधार बनने वाली है। माना जा रहा है कि इस यात्रा में खराब परफॉर्मेंस वाले जिलाध्यक्षों के लिए अपनी कुर्सी बचा पाना मुश्किल होगा। नए नियमों से एनपी प्रजापति, गोविंद सिंह और जीतू पटवारी सरीखे वरिष्ठ विधायक भी बच नहीं सकेंगे।



प्रदेश कांग्रेस में जिला कार्यकारिणी के स्तर पर होगी बड़ी सर्जरी



प्रदेश कांग्रेस में जिला कार्यकारिणी के स्तर पर बड़ी सर्जरी होनी है। पूरी कांग्रेस इसका इंतजार कर रही है। ये तय माना जा रहा है कि मिशन-2023 में जुटने से पहले कांग्रेस के कई जिलाध्यक्ष और उपाध्यक्ष बदल दिए जाएंगे। हर जिले में एक नया चेहरा कमान संभालेगा। इसके अलावा कार्यकारिणी के स्तर पर तकरीबन 150 चेहरे बदलना तय माना जा रहा है जिसमें उपाध्यक्ष, महासचिव, सचिव सहित अन्य पदाधिकारी शामिल हैं। नई टीम में इनकी संख्या करीब आधी रह जाएगी। नई टीम में अनुभवी नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी। ये प्रयोग 2018 की तर्ज पर होगा जिसमें कमलनाथ ने ज्यादा से ज्यादा तजुर्बेकार नेताओं को टीम का हिस्सा बनाया था। नतीजों ने जाहिर कर दिया था कि ये प्रयोग काफी सफल भी रहा था।



8 जनवरी को सहप्रभारियों के साथ बैठक करेंगे कमलनाथ



जिलों में बदलाव सहप्रभारियों की रिपोर्ट पर होगा। आने वाली जनवरी की 8 तारीख को कमलनाथ की सहप्रभारियों से बैठक प्रस्तावित है। उनकी रिपोर्ट पर जिलों में सर्जरी होगी। नई जिम्मेदारियों के साथ नए और मेहनती चेहरों को जिला का जिम्मा सौंपा जा सकता है। सिर्फ जिला स्तर पर ही नहीं संगठन के स्तर पर भी नए नियमों के साथ विधायकों और पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। कुछ नियम बनाए गए हैं जिनके आधार पर जिम्मेदारियों का विभाजन होगा।



नया साल, नई कांग्रेस




  • 2023 में चुनाव लड़ने वालों को संगठन में कोई जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी।


  • नई टीम में भारत जोड़ो यात्रा का असर भी देखने को मिलेगा।

  • संगठन के मौजूदा पदाधिकारियों को यात्रा के दौरान महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई थीं लेकिन खंडवा और बुरहानपुर से कई शिकायतें मिली हैं।

  • कमजोर परफॉर्मेंस वाले पदाधिकारियों को भी टीम से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।

  • प्रदेश कांग्रेस के 6 में से 5 महामंत्री विधायक भी हैं। उन्हें महामंत्री पद से हटाया जा सकता है।

  • कमलेश्वर पटेल और नर्मदा प्रसाद प्रजापति वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं। दोनों फिलहाल विधायक हैं और अगला विधानसभा चुनाव भी लड़ सकते हैं। उन्हें भी संगठन की जिम्मेदारियों से मुक्त किया जाएगा।

  • जीतू पटवारी, बाला बच्चन, रामनिवास रावत और सुरेंद्र चौधरी कार्यकारी अध्यक्ष हैं और चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। उनकी भूमिकाएं भी बदले जाने की संभावना है।

  • डॉ. गोविंद सिंह नेता प्रतिपक्ष और पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी हैं। उन्हें उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी से मुक्त किया जा सकता है।



  • कांग्रेस संगठन का स्ट्रॉन्ग होना बेहद जरूरी



    बड़े नेताओं से जुड़े बड़े फैसले संगठन और आलाकमान की सलाह के बाद ही अमल में लाए जाएंगे। लेकिन इन्हें अभी से तय माना जा रहा है और जरूरी भी। संगठन ये समझ चुका है कि सख्त फैसलों से बचे तो 2023 में भी सत्ता से दूर ही रहना होगा। बीजेपी संगठन से मुकाबले के लिए कांग्रेस के संगठन का स्ट्रॉन्ग होना भी बेहद जरूरी है। कांग्रेस ने कलेवर बदलने की तैयारी कर ली है लेकिन जमीन पर उतरकर भी एक्टिव होना बहुत जरूरी है। उम्मीद है आलाकमान से फ्री हैंड हासिल कर चुके कमलनाथ इस ओर भी ध्यान देने से चूकेंगे नहीं।



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    सत्ता में वापसी के लिए बेकरार है कांग्रेस



    15 साल बाद सत्ता का स्वाद चखकर फिर उसे गंवा चुकी कांग्रेस इस बार वापसी के लिए बेताब है। हर फैसला सोच-सोचकर लिया जा रहा है, हर कदम फूंक-फूंककर उठाया जा रहा है। आला नेताओं की पूरी कोशिश है कि किसी भी तरह के सबोटाज और असंतोष से बचते हुए मिशन-2023 की जंग तक पहुंचा जा सके जिससे पार्टी वो नतीजे हासिल कर सके जिसकी दरकार है। इस दिशा में पहला कदम नए साल के शुरुआती दिनों में उठा लिया जाएगा। वो पहला कदम ही तय करेगा कि कांग्रेस के लिए आगे का रास्ता किस ओर जाता है।


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