BHOPAL. मध्यप्रदेश में चुनाव नजदीक हैं तो कमलनाथ के चुनावी दांव-पेंच का फन भी निखरता जा रहा है। वैसे कांग्रेस कभी-कभी उस गियर में आती है जो चुनावी रास्तों पर रफ्तार देता है। लेकिन जब कमलनाथ की चुनावी गाड़ी फिफ्थ गियर में आती है तो ऐसी चुनावी घोषणाएं हो जाती हैं जिन्हें लपकने में दूसरे दलों की सांसें फूल जाती हैं। किसानों और महिलाओं पर बड़ा दांव खेल चुके कमलनाथ ने अब बीजेपी के हिंदुत्व को ललकारा है। वो भी ऐसे समय पर जब बीजेपी खुद हिंदुत्व को छोड़ राष्ट्रवादी पार्टी होने की कोशिश में है।
भगवामय कांग्रेस
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की लिंक रोड नंबर-1 पर माहौल कुछ चौंकाने वाला था। दिन था रविवार। यूं इस रोड पर हर रोज दफ्तर जाने वालों का रेला-सा निकलता है। संडे को जरूर सड़क को कुछ राहत मिल जाती है, लेकिन अप्रैल महीने के पहले रविवार को इस सड़क को सुकून के कुछ पल तो नहीं मिले। अलबत्ता कुछ नए रंग जरूर देखने को मिल गए। यहां भगवा ही भगवा लहराता नजर आया। एक बार को तो ये गुमां भी हुआ कि कहीं बीजेपी ऑफिस का तबादला इसी रोड पर तो नहीं कर दिया गया है, लेकिन मामला चौंकाने वाला था। भगवा का विरोध करने वाली कांग्रेस आज भगवामय थी। कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय की हर दरो दीवार पर भगवा परचम लहराता या चस्पा नजर आ रहा था। मौका था धर्म संसद का। कांग्रेस ने संभवतः पहली बार ऐसा कोई प्रोग्राम किया था। इस धर्म संसद में मध्यप्रदेश कांग्रेस पुजारी प्रकोष्ठ के लोग शामिल हुए, जिन्होंने कांग्रेस की चुनावी रंगत को बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
हार्ड हिंदुत्व की डोर थामने की कोशिश कर रही कांग्रेस
ये मौसम चुनावी है जनाब और जब चुनाव आते हैं, मामला कुर्सी का होता है तब सिर्फ नेता ही इधर से उधर नहीं होते। चुनावी मुद्दे, चुनावी चालें भी बदलती हैं और अब तो तासीर भी बदलती नजर आ रही है। कांग्रेस ने ना सिर्फ प्रदेश के पुजारियों की बात सुनी, मांग सुनी बल्कि ये ऐलान भी कर दिया कि पूजा-पाठ, मंदिर और हिंदुत्व पर बीजेपी का कॉपीराइट नहीं है। बीजेपी की नकल करते हुए कांग्रेस हार्ड हिंदुत्व की डोर थामने की तो कोशिश कर रही है। इस नकल से क्या वाकई उसे फायदा होगा।
कांग्रेस ने बीजेपी के दांव-पेंच की निकाली काट
महंगाई, महिलाएं और अब मजहब- 2023 चुनाव में जीत के लिए कांग्रेस अपने तरकश में रखे हर उस तीर का आजमा रही है जो बीजेपी के जबरदस्त चक्रव्यू को भेद सके और कुर्सी तक ले जा सके। इस तरकश से अब तक महंगाई और महिलाओं पर निशाना साधने के लिए तीर निकल चुके हैं। इधर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाड़ली बहना योजना का ऐलान किया। उधर उनकी इस गेम चेंजर मानी जा रही योजना के जवाब में कमलनाथ ने महिलाओं को 1500 रुपए महीना देने का ऐलान कर दिया। महंगाई को अपना चुनावी एजेंडा बनाने की कोशिश में जुटी कांग्रेस में कमलनाथ ने हर घर को 500 रुपए में सिलेंडर देने का भी ऐलान कर दिया। ये योजनाएं साबित करती हैं कि कमलनाथ बीजेपी के हर चुनावी दांव-पेंच की काट निकालकर उससे एक कदम आगे चलने की कोशिश में है।
कमलनाथ ने बीजेपी के हिंदुत्व को दी चुनौती
अब कमलनाथ ने बीजेपी के हिंदुत्व को चुनौती देना भी शुरू कर दिया है। ये वही कमलनाथ हैं जिनके लिए ये कहा जाता है कि वो दिग्विजय सिंह को हार्ड हिंदुत्व की जगह सॉफ्ट हिंदुत्व का हिमायती बनने की सलाह देते थे। धर्म के नाम पर कट्टरपंथी नजर आने की जगह कमलनाथ ने हमेशा सेक्यूलर दिखते हुए धार्मिक नजर आने की कोशिश की है। पर अब चुनाव नजदीक आने से पहले खुद कमलनाथ और उनके नेतृत्व में पूरी कांग्रेस धर्म के नेतृत्व में जाती हुई नजर आ रही है। पुजारी प्रकोष्ठ की बैठक इसी तरफ इशारा भी कर रही है जिसमें कमलनाथ ने पुजारियों की मांगें सुनीं और उन्हें पूरा करने का आश्वासन भी दिया।
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कांग्रेस ने छेड़ा हिंदुत्व राग
इस बैठक के जरिए कांग्रेस ने खुद को मठ, मंदिरों और पुजारियों का ज्यादा बड़ा हितैषी दिखने की कोशिश की है। कमलनाथ ने खुद पुजारियों को ये आश्वासन दिया कि वो पुजारियों की मांगें पूरी जरूर करेंगे। इस नए प्लान के साथ कमलनाथ ने हिंदुत्व के मुद्दे पर भी बीजेपी से आगे निकलने की कोशिश की है। 2023 के चुनाव से पहले बीजेपी की पूरी कोशिश है कि वो सिर्फ हिंदू हितैषी की जगह राष्ट्रवादी पार्टी नजर आए। जिसके साथ दलित, पिछड़े और आदिवासी जैसा तबका खड़ा नजर आए। ऐसे समय पर कांग्रेस ने हिंदुत्व का राग छेड़ दिया है। पर क्या ये कोशिश मतदाताओं के सुर से भी सुर मिला सकेगी। इस धर्म संसद के जरिए विधानसभा पहुंचने की चाहत रखने वाली कांग्रेस ने पिछले बार पुजारी प्रकोष्ठ बनाया था। जिसका मकसद ब्राह्मण मतदाताओं को रिझाने के साथ-साथ हिंदुत्व की छवि को और मजबूत करना भी है।
कमलनाथ कांग्रेस को दे सकते हैं जीत की दिशा?
2023 में बीजेपी के पास खोने के लिए बहुत कुछ है। जबकि कांग्रेस मौजूदा स्थिति से ज्यादा जो भी हासिल कर सके वो बड़ी कामयाबी ही होगी। इसी कोशिश में जुटी कांग्रेस एक्सपेरिमेंटल मोड में भी नजर आती है। कमलनाथ ना सिर्फ बीजेपी के हिंदुत्व को ललकार रहे हैं बल्कि राम मंदिर जैसे मुद्दों पर भी खुलकर बात करने से कतराते नहीं हैं। ये बेबाकी आने वाले चुनाव में उनके लिए प्लस प्वॉइंट साबित होती है तो वो कांग्रेस को जीत के साथ-साथ नई दिशा भी दे सकते हैं। अगर फेल हुए तो संभव है कि कमलनाथ मुख्यमंत्री बनने का आखिरी मौका भी गंवा दें।