BHOPAL. मध्यप्रदेश में अभी चुनाव हो जाएं तो कांग्रेस के 95 में से 27 विधायक हार जाएंगे। ये दावा बेबुनियाद नहीं। कुछ समय पहले हुए कांग्रेस के ही एक सर्वे में ये खुलासा हुआ है। चौंकाने वाली बात ये है कि इन 27 विधायकों में 3 पूर्व मंत्री भी शामिल हैं। उसके बावजूद भी क्या कांग्रेस बीजेपी जैसे सख्त फैसले लेने से बच रही है।
बीजेपी ने रखा 200 पार का लक्ष्य, कांग्रेस का 170 का दावा
बीजेपी ने मध्यप्रदेश में 200 पार का लक्ष्य रखा है। कांग्रेस ने तो 170 सीटें जीतने का दावा ही कर दिया है, लेकिन जो सर्वे रिपोर्ट है वही दिल की धड़कनें बढ़ाने वाली है। 170 तो दूर की बात कांग्रेस के पूरे 95 मौजूदा विधायक ही चुनाव जीत जाएं तो बड़ी बात होगी। क्या ऐसे में कांग्रेस बीजेपी की तरह कोई सख्त फैसला ले सकेगी। बीजेपी की सख्ती की मिसाल कुछ यूं है कि वो एंटीइन्कबेंसी से निपटने के लिए एक दिन में बड़े बदलाव कर देती है, जबकि कांग्रेस का इतिहास इस मामले में कमजोर है।
पीसीसी चीफ कमलनाथ की परीक्षा
अब भी खबर है कि 80 विधायक कांग्रेस रिपीट करेगी। वो भी तब जब उनकी सर्वे रिपोर्ट ये इशारा कर चुकी है कि वो अपनी सीट पर कमजोर साबित हो सकते हैं। आने वाले चुनाव कांग्रेस के लिए अग्नि परीक्षा साबित होंगे। न सिर्फ चुनाव में हार-जीत के मामले में बल्कि उससे पहले ये कमलनाथ की चुनावी रणनीति और सख्त फैसलों की भी परीक्षा होगी।
बीजेपी के दिग्गजों से अकेले लड़ेंगे कमलनाथ
चुनावी मैदान में दम भरने से पहले कांग्रेस और कमलनाथ दोनों के लिए ये याद रखना जरूरी है कि मुकाबला सिर्फ शिव और विष्णु की जोड़ी से नहीं। सीधी टक्कर न सही लेकिन मोदी-शाह और नड्डा की तिकड़ी से भी मुकाबला तो करना ही होगा। जो सख्त और हैरान करने वाले फैसले करने में एक्सपर्ट हैं। सख्ती का आलम ये है कि गुजरात में जीत के लिए रातों-रात मुख्यमंत्री समेत मंत्रिमंडल बदल दिया गया। एंटीइन्कंबेंसी खत्म करने के लिए बीजेपी ने ये फैसला किया है।
सर्वे में खराब रिपोर्ट वाले विधायकों के टिकट कटेंगे ?
वैसे तो इस चुनावी टर्म को सत्ता विरोधी लहर कहा जाता है। विधानसभा स्तर पर देखें तो सत्ता की बागडोर विधायकों के हाथ है। मतलब साफ है कि सत्ता विरोधी लहर कांग्रेस विधायकों के खिलाफ हो सकती है। उससे निपटने के लिए क्या दिल्ली में बैठे आलाकमान और कांग्रेस के सबसे तजुर्बेकार नेता कमलनाथ कोई सख्त फैसला ले सकेंगे। क्या उन विधायकों के टिकट काटे जा सकेंगे जिनकी रिपोर्ट सर्वे में बहुत खराब आई है।
96 में से 80 विधायकों को रिपीट करने का संकेत
मौजूदा विधायकों में से कांग्रेस ने 96 में से 80 विधायकों को रिपीट करने का हिंट दिया है, जबकि हालत 41 सीटों पर खराब है। अटकलें तो ये भी हैं कि जिन सीटों पर पार्टी बहुत कम अंतर से हारी थी वहां पुराने उम्मीदवार ही रिपीट किए जाएंगे। क्या इसका मतलब ये मान जाए कि उम्मीदवार चयन में ही कांग्रेस मशक्कत करने से डर रही है या पार्टी की रणनीति कुछ और है जिसका खुलासा वक्त के साथ करने की तैयारी है।
कांग्रेस के नए सर्वे की गूंज
सियासी हलकों में इन दिनों कांग्रेस का नया सर्वे गूंज रहा है। बतौर प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने इसका खुलासा नहीं किया है पर इस सर्वे की लीक हुई कुछ रिपोर्ट्स के जरिए कांग्रेस के टिकट वितरण के फॉर्मूले को समझा जा सकता है। कांग्रेस के इस सर्वे से कुछ राहत भरी खबर मिली है तो कुछ चौंकाने वाली और कुछ परेशान करने वाली। इसे सर्वे की जगह विधायकों का रिपोर्ट कार्ड कहा जाए तो भी गलत नहीं होगा जिसके आधार पर उनके सियासी भविष्य का फैसला होना है।
कांग्रेस विधायकों का रिपोर्ट कार्ड
- कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे 17 विधायकों की रिपोर्ट बेहतर
फरवरी में हो सकता है सर्वे के बाकी बिंदुओं का खुलासा
सर्वे में ये भी कहा गया है कि लगातार हारी हुई 69 सीटों पर पहले से उम्मीदवार तय न हो सके तो भी कम से कम रीवा, ग्वालियर ग्रामीण, गोविंदपुरा, मंदसौर, इंदौर-4, उज्जैन उत्तर, रतलाम शहर, होशंगाबाद, पिपरिया, खंडवा, जबलपुर कैंट और बालाघाट सीटों पर चुनाव से 6-7 महीने पहले प्रत्याशी तय किए जाना चाहिए। इस सर्वे के बाकी बिंदुओं का खुलासा फरवरी में हो सकता है। उम्मीद की जा रही है कि कांग्रेस में अभी से इस पर तेजी से काम शुरू हो चुका है।
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विधायकों को अभी से एक्टिव रहने की सलाह
कुछ अंदरूनी सूत्रों का ये भी दावा है कि जिन विधायकों को अभी से एक्टिव रहने की सलाह दी गई है उसमें सज्जन सिंह वर्मा और जीतू पटवारी जैसे तेज-तर्रार विधायक भी शामिल हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाकी नॉन एक्टिव नजर आने वाले विधायकों के क्षेत्र में उनका क्या हाल होगा। अपनी नाकामियों को कामयाबी में बदलने के लिए कांग्रेस क्या बीजेपी जैसे सख्त कदम उठा सकेगी। विधायकों के कामकाज और लोकप्रियता के आधार पर सर्वे तो हो गया। अब उसके अनुसार सही रणनीति तैयार होना जरूरी है।
सर्वे रिपोर्ट के आधार पर क्या बड़ा फैसला लेंगे कमलनाथ ?
चुनाव से पहले सर्वे बीजेपी भी करवाती है और कांग्रेस भी। सर्वे का फायदा तब है जब उसके नतीजों को देखते हुए चुनावी प्लानिंग की जाए। बीजेपी इसी जगह कांग्रेस से 2 कदम आगे रहती है। अपनी सर्वे रिपोर्ट को आधार बनाकर बीजेपी कभी फैसला लेने से हिचकिचाई नहीं। बीते कुछ सालों के सियासी इतिहास में ऐसे बहुत से उदाहरण मिल जाएंगे जब बीजेपी के फैसलों ने लोगों को चौंकाया लेकिन नतीजों ने उन्हें सही साबित कर दिया। अब यही कर दिखाने की बारी कांग्रेस की है। क्या मध्यप्रदेश में कमलनाथ इसके लिए तैयार हैं।