BHOPAL. राजधानी भोपाल के आकृति बिल्डर के दिवालिया होने संबंधी मामला नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) दिल्ली में विचाराधीन है। आरोप है कि आकृति बिल्डर खुद से दिवालिया हुआ। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल ने दिवालिया के आदेश पर स्टे दिया हुआ है और सुनवाई जारी है। हाल ही में 22 मई को NCLAT में इसी मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान कौशलेंद्र का मुद्दा छाया रहा।
द सूत्र ने किया था संयोग का खुलासा
अपीलकर्ता एक्वासिटी वेलफेयर सोसाइटी की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने ट्रिब्यूनल के सामने एक अजीब संयोग का जिक्र किया। जिसको द सूत्र ने ही 13 अप्रैल 2023 को उजागर किया था। अपीलकर्ता के वकील की ओर से ट्रिब्यूनल को बताया गया कि NCLT टेक्निकल मेंबर का नाम और एक्वासिटी में बेनामी संपत्ति का नाम एक जैसा है। इस संयोग की जांच होनी चाहिए, जिसके बाद NCLAT ने इस मामले में और एवीडेंस सबमिट करने को कहा है। मामले में अगली सुनवाई 7 जुलाई को होना है।
संयोग का ये है पूरा मामला - 1 नाम कौशलेंद्र और कैरेक्टर 3
दैनिक भास्कर ने NCLT इंदौर बेंच में जब आकृति के खिलाफ याचिका लगाई तब सुनवाई के कोरम में टेक्निकल मेंबर के रूप में कौशलेंद्र सिंह को शामिल किया। ये कौशलेंद्र नाम के पहले कैरेक्टर हैं। दैनिक जागरण में 30 जनवरी 2014 को 2 बिल्डरों पर इनकम टैक्स के छापे की खबर छपी थी। हैडिंग थी राजधानी के 2 बिल्डर्स के यहां इनकम टैक्स की छापामार कार्रवाई। इसी खबर में लास्ट की 2 लाइन से पहले लिखा है कि 10 महीने पहले सर्वे की कार्रवाई इन दोनों बिल्डर्स के यहां की गई थी और जुलाई 2008 से जून 2013 तक मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के महत्वपूर्ण पदों पर थे कौशलेंद्र सिंह। ये कौशलेंद्र दूसरे कैरेक्टर हैं। अब तीसरा कैरेक्टर भी कौशलेंद्र ही है। आकृति एक्वासिटी में बुकिंग करवाने वालों के जब नाम खंगाले गए तो इसमें 34वें नंबर पर पीओ 98, 35वें नंबर पर पीओ 99 और 44वें नंबर पर पीओ 117 के आगे जो नाम लिखा है वो है मिस्टर कौशलेंद्र, इनके नाम से यहां 3 प्रॉपर्टी हैं। नाम तो लिखा है मगर न तो मोबाइल नंबर है और न ही एड्रेस, न ही बुकिंग अमाउंट लिखा गया है। इसलिए कहा जा रहा है कि ये बेनामी संपत्ति है। एक ही नाम कौशलेंद्र और 3 अलग-अलग कैरेक्टर और नाम के सिवाए तीनों का आपस में कोई संबंध है या नहीं, ये हम नहीं कह सकते। द सूत्र ने जब इस संयोग को उजागर किया था, तब हम पहले ही स्पष्ट कर चुके थे कि द सूत्र कोई आरोप नहीं लगा रहा बस बता रहे हैं कि ये संयोग निकलकर सामने आया है। इसके बाद ये मामला नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) दिल्ली तक भी जा पहुंचा।
बेनामी संपत्ति की नहीं दी जा रही जानकारी
एक्वासिटी वेलफेयर सोसाइटी के भानु यादव ने बताया कि रेरा ने 10 अक्टूबर 2022 को आकृति बिल्डर से बेनामी संपत्तियों की जानकारी मांगी थी, जिसमें कौशलेंद्र के नाम पर एक्वासिटी में जो 3 प्रॉपर्टी हैं, उनका भी जिक्र था, बावजूद इसके न तो आईआरपी अनिल गोयल और न ही बिल्डर हेमंत सोनी ने आज तक ये जानकारी सबमिट की है। 22 मई को सुनवाई के दौरान नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) दिल्ली में कौशलेंद्र का मुद्दा छाया रहा। ट्रिब्यूनल ने हमसे इस मामले में और एवीडेंस सबमिट करने को कहा है, जिसे हम जल्द ही सबमिट करेंगे।