शेख रेहान, KHANDWA. बागेश्वर धाम के बाद अब प्रदेश के उन जगहों का भी जिक्र होने लगा है, जहां भूत भगाने का दावा किया जाता है। खंडवा में भी ऐसा स्थान है। सैलानी बाबा सरकार में भी भूतों की अदालत लगती है। आस्था और अंधविश्वास के बीच का ये खेल यहां भी होता है। यहां सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल भी देखने को मिलती है। यहां हिंदू कैलेंडर की तारीख के अनुसार होली से रंगपंचमी तक मेला लगता है।
भूतों की हाजिरी जैसा अंधविश्वास का खेल
खंडवा जिले के सैलानी गांव में सैलानी बाबा की दरगाह है। इस दरगाह पर लोगों की गहरी आस्था है। उनका मानना है कि यहां आने पर भूत-प्रेत और बाहरी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। खंडवा के सैलानी गांव में सैलानी बाबा की मजार है। लोगों का मानना है कि यहां आने से भूत-प्रेत जैसी बाहरी बाधाएं दूर होती हैं और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि यहां भूतों की हाजिरी जैसा अंधविश्वास का खेल भी खेला जाता है इस मजार पर दूर-दूर से लोग आते हैं।
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होली से लेकर रंगपंचमी तक भूतों की अदालत
सैलानी बाबा की दरगाह पर यूं तो साल भर लोगों का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन, होली से लेकर रंगपंचमी तक भूतों की अदालत लगती है। यहां बाबा की दरगाह पर भूतों की पेशी होती है। दरगाह परिसर में आते ही पीड़ित अजीबो-गरीब हरकत और आवाजें निकालने लगते हैं। लोगों का मानना है कि यहां बाबा बुरी आत्माओं को सजा देकर शरीर से बाहर निकालते हैं और फायदा होने पर वे लोग दोबारा भी यहां हाजिरी लगाने आते हैं।
बाबा के नाम पर गांव का नाम सैलानी
साल 1939 में स्थापित बाबा की इस दरगाह में होली से लेकर रंगपंचमी तक देशभर से हजारों लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है। गांव का नाम भी बाबा के नाम पर ही सैलानी हो गया है। देशभर से आए लोग यहां तंबू बना कर कई दिनों तक रहते हैं। मान्यता है कि 5 गुरुवार को नियमित यहां आने से पीड़ितों को फायदा होता है। यहां मुर्गे और बकरे की बलि दी जाती है। लोग मुर्गे और बकरे को लाते हैं और बाबा के नाम पर यहीं छोड़ जाते हैं।
सैलानी बाबा की दरगाह 81 साल पुरानी
सैलानी बाबा की दरगाह करीब 81 साल पुरानी है, जो महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के फकीर मकदूम शाह सैलानी की है। हालांकि इस दरगाह की एक खास बात ये भी है कि यहां सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल भी देखने को मिलती है। यहां हिंदू कैलेंडर की तारीख के अनुसार होली से रंगपंचमी तक मेला लगता है, जिसमें सभी धर्मों के लोग आते हैं। समाजशास्त्र के जानकार कहते है कि किसी की आस्था पर बहस नहीं होनी चाहिए। हमें धार्मिक स्थलों पर बहस से बचकर मूलभूत आवश्यकताओं पर बात करनी चाहिए।
भूतों के मेले पर क्यों नहीं उठाए जाते सवाल- विधायक दांगोरे
बागेश्वर धाम महाराज पर सवाल उठाने वालों पर बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता और पंधाना के विधायक राम दांगोरे ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि मजारों पर भूतों के मेले लगते हैं, उन पर भी सवाल उठाए जाने चाहिए। भूतों की अदालत लगने को लेकर भले ही बहस छिड़ी हुई हो। लेकिन, हकीकत ये भी है कि एक तरफ जहां दुनिया विकास के नए-नए आयाम स्थापित कर रही है, वैज्ञानिक अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाओं को तलाश रहे हैं, तो वहीं कई लोग आज भी अंधविश्वास की गिरफ्त में जकड़े हुए हैं। हालांकि कहा जाता है कि आस्था के सामने हर तर्क फेल हो जाते हैं।