संजय गुप्ता, INDORE. संघ से जुड़े और एक समय इंदौर महापौर पद के लिए बीजेपी से टिकट की दौड़ में सबसे आगे रह चुके और आदिवासी युवाओं के लिए काम कर रहे डॉ. निशांत खरे को मप्र युवा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वहीं राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के अध्यक्ष तौर पर इंदौर में सफाई काम को आगे ले जाने वाले बीजेपी नेता प्रताप करोसिया की नियुक्ति आदेश मप्र शासन ने जारी कर दिए हैं। लेकिन इस नियुक्ति के साथ ही यह बात भी तय हो गई है कि इनकी विधायक टिकट की दावेदारी लगभग खत्म हो गई है।
दावेदारी पर लग गया ग्रहण
इसके पहले शासन ने गोलू शुक्ला को आईडीए के उपाध्यक्ष पद देकर राज्यमंत्री का दिया था और उनकी दावेदारी भी इसी तरह ग्रहण लग गया है। पांच माह बाद अक्टूबर के पहले सप्ताह में आचार संहिता लग जाएगी, यानी आयोग कोई काम नहीं कर सकेंगे। फिर चुनाव के बाद नई सरकार इन आयोग, मंडल के पदाधिकारियों के भाग्य तय करेगी। यानी केवल चार माह के लिए ही यह रेवड़ी मिली है। इसकी वजह सिर्फ यही है कि यह टिकट के दावेदार है और टिकट नहीं मिलने पर पार्टी के आने वाले उम्मीदवार के लिए किसी भी तरह से कोई खतरा नहीं बने।
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क्यों आए यही नाम सामने
- प्रताप करोसिया वाल्मीकी समाज का प्रतिनिधत्व करते हैं और हाल ही में बीजेपी की सबसे बड़ी केंद्रीय बॉडी संसदीय बोर्ड में सदस्य बनाए गए सत्यनारायण जटिया के सबसे करीबी है। वह उज्जैन की घटिया सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे थे और इसके लिए वहां कथाएं कराने से लेकर अन्य सामाजिक कामों में सहभागिता भी बड़ा दी थी। वहां वर्तमान में रामलाल मालवीय कांग्रेस से विधायक है और उन्होंने कांग्रेस से बीजेपी में गए प्रेमचंद गुड्डु के बेटे अजीत बोरासी को 4628 वोट से हराया था। (गुड्डु बाद में फिर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं)।
संघ और संगठन ले चुके फैसला, जो मैदानी मजबूत चेहरा नहीं, उन्हें मंडल, आयोग में भेजें
दरअसल संघ और संगठन के विविध अलग-अलग सर्वे में बात आ चुकी है कि पार्टी अभी विधानसभा चुनाव के लिए उतनी मजबूत नहीं है। ऐसे में केवल कमल के फूल से बात नहीं बनेगी। इसके लिए संगठन को मजूबत होना है और साथ ही मजूबत उम्मीदवार चाहिए, जो मैदानी चेहरा हो और जिसकी जनता के बीच ऐसी छवि हो जो वोट खींच सके। ऐसे में कई ऐसे चेहरे भी चिन्हित हुए हैं, जो संघ और पार्टी, संगठन के लिए लंबे समय से काम कर रहे हैं और मेहनत कर रहे हैं, लेकिन इन सभी के बाद भी वह विविध पैमानों के चलते चाहे मजूबत मॉस लीडर की बात हो या फिर सामाजिक समीकरणों की बात हो या अन्य राजनीतिक पैमानों की बात हो वह फिट नहीं हो रहे हैं। ऐसे में उन्हें सम्मानजनक पद देना ही सबसे उपयुक्त है, जिससे पार्टी को भी कोई डैमेज नहीं हो।